क्या अमेरिका में कोविड-19 के लिए फाइजर के टीके को मिलेगी हरी झंडी?

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दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों, दुनिया में 15 लाख से ज्यादा लोगों की मौत, अकेले अमेरिका में 2,89,000 से ज्यादा लोगों की संक्रमण से मौत होने की पृष्ठभूमि में एफडीए का टीके के उपयोग पर फैसला आने वाला है।

वाशिंगटन। कोविड-19 के लिए फाइजर के टीके को अमेरिका में हरी झंडी पाने के लिए एफडीए के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की चर्चा के दौर की बड़ी बाधा को पार करना होगा। अगर एफडीए टीके को मंजूरी दे देता है तो देश में इसे सुरक्षित और प्रभावी मानकर इसका उपयोग शुरू किया जाएगा। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (एफडीए) की टीका सलाहकार समिति की बृहस्पतिवार को हो रही बैठक अमेरिका में फाइजर के टीके के उपयोग को मंजूरी देने के लिहाज से संभवत: एक पड़ाव है। परीक्षण के दौरान टीका काफी हद तक कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव करने में प्रभावी साबित हुआ है। एफडीए का यह पैनल एक साइंस कोर्ट की तरह काम करता है और यह टीके से जुड़े तमाम पहलुओं पर चर्चा करेगा।

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चर्चा का सीधा प्रसारण किया जाता है। ज्यादातर मामलों में एफडीए गैर-सरकारी विशेषज्ञों की इस समिति की सलाह को मानता है, हालांकि उसके लिए ऐसा करना अनिवार्य नहीं है। दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों, दुनिया में 15 लाख से ज्यादा लोगों की मौत, अकेले अमेरिका में 2,89,000 से ज्यादा लोगों की संक्रमण से मौत होने की पृष्ठभूमि में एफडीए का टीके के उपयोग पर फैसला आने वाला है। हालांकि, इस बैठक में ब्रिटेन में टीकाकरण के दौरान दो लोगों को हुए इसके प्रतिकूल प्रभावों (रिएक्शन) के मामले पर भी चर्चा होगी क्योंकि ब्रिटिश सरकार इसकी जांच कर रही है। वहीं ब्रिटिश अधिकारियों ने गंभीर बीमारी से ग्रस्त या अतीत में गंभीर बीमारी की चपेट में आए लोगों को टीका लगाने को लेकर चेतावनी दी है। इसके बावजूद एफडीए से टीके को जल्दी मंजूरी मिलने की संभावना है क्योंकि सप्ताह की शुरुआत में पैनल की बैठक में इसके प्रति सकारात्मक रूख रहा है।

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एफडीए का कहना है कि बड़े पैमाने पर किया गया फाइजर का अध्ययन बताता है कि जर्मन कंपनी बायोएनटेक के साथ मिलकर विकसित किया गया उसका यह टीका सभी लोगों पर 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रभावी है। सुरक्षा संबंधी कोई बड़ी मसला सामने नहीं आया है और टीके से जुड़े सामान्य साइड इफेक्ट जैसे बुखार, थकान और इंजेक्शन लगने की जगह पर दर्द आदि को बर्दाश्त किया जा सकता है। जॉन हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के ‘इंटरनेशनल वैक्सीन एक्सेस सेंटर’ के प्रमुख डॉक्टर विलियम मूस का कहना है, ‘‘रिपोर्ट में दिए गए आंकड़े बिल्कुल वैसे ही हैं जैसा कि हमने पहले सुना था और यह उत्साहित करने वाले हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे ऐसा कुछ नहीं दिखा रहा जिससे टीके की मंजूरी में देरी हो सकती है।’’ इस संबंध में एफडीए के कमिश्नर स्टीफन हान ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘बहुत सारे सवाल किए जा रहे हैं कि इसमें इतना वक्त क्यों लग रहा है या क्या हम पूरी क्षमता के साथ प्रयास कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं आशा करता हूं कि लोग हमारी पारदर्शिता को देखेंगे और समझेंगे कि हमने कितनी मेहनत की है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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