आतंकियों का समर्थक पाकिस्तान, मुशर्रफ से इमरान तक शान में पढ़ चुके कसीदे
भारत में जब विभिन्न आतंकी घटनाओं में शामिल दोषियों को फांसी दी जाती है तब भी पाकिस्तान इन आतंकियों के साथ हमदर्द दिखाता है। याकूब मेनन हो या फिर अजमल कसाब या फिर अफजल गुरु। हालांकि एक बात स्पष्ट है कि जितना पाकिस्तान आतंकियों का समर्थन करता है उतना ही जल्दी वह गर्त में जाता दिख रहा है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बृहस्पतिवार को अल-कायदा के प्रमुख और 9/11 मास्टरमाइंड दिवंगत ओसामा बिन लादेन को ‘‘शहीद’’ बताते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की लड़ाई में साथ देकर पाकिस्तान को ‘‘शर्मिंदगी’’ झेलनी पड़ी है। बजट सत्र के दौरान खान ने संसद में कहा कि अमेरिकी जब एबटाबाद घुसे और उन्होंने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया.. शहीद किया..तो वह पूरी दुनिया में बसे पाकिस्तानियों के लिए शर्मिंदगी का पल था। उसके बाद पूरी दुनिया हमें गालियां देने लगी। हमारा सहयोगी हमारे देश में घुसा और बिना सूचना दिए किसी को मार दिया। और, आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की लड़ाई में 70 हजार पाकिस्तानी मारे गए हैं। बिन लादेन को मई 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिकी नेवी सील्स ने मार गिराया था।
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खान की इस टिप्प्णी की विपक्ष ने आलोचना की। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के ख्वाजा आसिफ ने कहा कि ओसामा बिन लादेन एक आतंकवादी था और हमारे प्रधानमंत्री उसे शहीद बता रहे हैं। हजारों लोगों की हत्या के पीछे उसका हाथ था। पाकिस्तानी एक्टिविस्ट मीना गबीना ने ट्विटर पर लिखा कि दुनिया भर में मुसलमानों को एक ओर जहां आतंकवाद के चलते भेदभाव का सामना करना पड़ता है, वही हमारे प्रधानमंत्री ओसामा बिन लादेन को शहीद कह रहे है। यह पहला मौका नहीं है जब इमरान खान को अपने बयान के कारण शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है। बीते सालों में इमरान खान लगातार विवादित बयान देते रहे है। अमेरिका दौरे के दौरान भी कह चुके हैं कि आईएसआई ने अमेरिका को सुराग देने में मदद की थी। क्रिकेटर से प्रधानमंत्री बने इमरान खान अक्सर आतंकवादियों को लेकर हमदर्दी जताते रहते है। इस कारण उनकी दुनिया भर में खूब आलोचना होती हैं।
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विपक्ष उन्हें इमरान खान की जगह तालिबान खान तक कह देता है। आलोचनाओं के बावजूद इमरान खान आतंकियों से हमदर्दी नहीं छोड़ते और ना ही उन्हें अपने देश में पनप रहे आतंकवाद दिखता है। यही कारण है कि उन्हें दुनिया पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं बल्कि सेना की कठपुतली के तौर पर देखती है। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान के हुक्मरानों का आतंकियों से हमदर्दी देखने को मिली है। इससे पहले भी पाकिस्तान के राजनेता आतंकियों का समर्थन करते नजर आए है। चाहे वह नवाज शरीफ हो या परवेज मुशर्रफ या फिर आसिफ अली जरदारी। सभी ने समय-समय पर आतंकवादियों का समर्थन किया है और भारत के खिलाफ आतंक को प्रायोजित करने में पाकिस्तान के जमीन का इस्तेमाल होने दिया। मुशर्रफ ने तो यह बात तक स्वीकार्य भी कर लिया है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकी साजिश रचता है। मुंबई के 1993 बम धमाका हो या फिर 26-11 का हमला सभी में पाकिस्तान का हाथ रहा है। प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद एक बार नवाज शरीफ ने भी इस बात को कुबूल किया था कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने ही मुंबई में आतंकी हमले करवाने की साजिश रची थी।
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इतना ही नहीं पाकिस्तान के नेता भारत द्वारा कश्मीर या अन्य हिस्सों में मारे गए आतंकियों पर भी अपनी घरीयाली आंसू बहते है। भारत ने जब कश्मीर में आतंकवादी का सफाया करना शुरू किया तब भी पाकिस्तान अपनेघरीयाली आंसू बहाता रहा। भारत के सैनिकों ने कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं को वारदात देने वाले बुरहान वानी का खात्मा किया तो पाकिस्तान ने उसे शहीद बता दिया। पाकिस्तान के नेता खुले मंच पर बुरहान वानी की प्रशंसा करते थे। इतना ही नहीं, कश्मीर में जब भारतीय सेना आतंकियों का खात्मा करती है तो पाकिस्तानी उसे धर्म के चश्मे से देखते है। उसके नेता इन आतंकियों को शहीद बताते हुए यह कहते है कि वह कश्मीर की आजादी के लिए लड़ रहे थे। भारत में जब विभिन्न आतंकी घटनाओं में शामिल दोषियों को फांसी दी जाती है तब भी पाकिस्तान इन आतंकियों के साथ हमदर्द दिखाता है। याकूब मेनन हो या फिर अजमल कसाब या फिर अफजल गुरु। हालांकि एक बात स्पष्ट है कि जितना पाकिस्तान आतंकियों का समर्थन करता है उतना ही जल्दी वह गर्त में जाता दिख रहा है।
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