जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की
ऊर्जा संपन्न ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित, चाबहार बंदरगाह संपर्क और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत और ईरान द्वारा विकसित किया जा रहा है। भारत क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए चाबहार बंदरगाह परियोजना पर जोर दे रहा है, खासकर अफगानिस्तान से इसके संपर्क के लिए। ताशकंद में 2021 में एक संपर्क(कनेक्टिविटी) सम्मेलन में जयशंकर ने चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान सहित एक प्रमुख क्षेत्रीय पारगमन केंद्र के रूप में पेश किया था। चाबहार बंदरगाह को आईएनएसटीसी परियोजना के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में भी देखा जाता है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को यहां अपने ईरान के समकक्ष होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से मुलाकात की और उनकी चर्चा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह और उत्तर-दक्षिण कनेक्टिविटी परियोजना में भारत की भागीदारी के लिए दीर्घकालिक रूपरेखा पर केंद्रित थी। जयशंकर दोनों पक्षों के बीच जारी उच्च स्तरीय संवाद के तहत ईरान के दौरे पर हैं। उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति डॉ. इब्राहिम रईसी से भी मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शुभकामनाएं प्रेषित कीं। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “आज तेहरान में ईरानी विदेश मंत्री अमीर-अब्दुल्लाहियन के साथ व्यापक चर्चा हुई। हमारी द्विपक्षीय चर्चा चाबहार बंदरगाह और आईएनएसटीसी कनेक्टिविटी परियोजना के साथ भारत की भागीदारी के लिए दीर्घकालिक ढांचे पर केंद्रित थी।
उन्होंने क्षेत्र में समुद्री नौवहन के खतरों के बारे में भी बात की और जोर देकर कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि इस मुद्दे को “तेजी से समाधान किया जाए”। यह स्पष्ट रूप से इजरायल-हमास टकराव के बीच ईरान समर्थित यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाने का संदर्भ था। अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन में हूती ठिकानों को निशाना बनाकर हवाई हमले किए हैं। भारत लाल सागर में उभरती स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है। जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के बीच बृहस्पतिवार को फोन पर हुई बातचीत में यह मुद्दा उठा। जयशंकर ने ईरानी विदेश मंत्री के साथ बैठक के बाद कहा, “एजेंडे में अन्य मुद्दे गाजा स्थिति, अफगानिस्तान, यूक्रेन और ब्रिक्स सहयोग थे।”
बाद में, उन्होंने ईरानी राष्ट्रपति रईसी से मुलाकात की और उन्हें ईरानी मंत्रियों के साथ अपनी “सार्थक चर्चा” से अवगत कराया। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर कहा, “इस्लामिक गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति डॉ. इब्राहिम रईसी से मुलाकात कर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को शुभकामनाएं दीं। करमान हमले पर शोक व्यक्त किया। उन्हें ईरानी मंत्रियों के साथ अपनी सार्थक चर्चाओं से अवगत कराया। संबंधों के आगे विकास के लिए उनके मार्गदर्शन को महत्व दें।” ईरान की समाचार एजेंसी ‘आईआरएनए’ ने कहा, “उन्होंने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम पर भी चर्चा की।” इससे पहले सोमवार को जयशंकर ने अपने ईरान में सड़क और शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बज्रपाश से मुलाकात करके अपने कार्यक्रम की शुरुआत की। मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह पर दीर्घकालिक सहयोग ढांचा स्थापित करने पर विस्तृत और “सार्थक” चर्चा की।
जयशंकर ने बज्रपाश के साथ अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “तेहरान में मेरे दौरे की शुरुआत सड़क और शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बज्रपाश से मुलाकात के साथ हुई। चाबहार बंदरगाह के संबंध में दीर्घकालिक सहयोग ढांचा स्थापित करने पर विस्तृत और सार्थक चर्चा। अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।”
ऊर्जा संपन्न ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित, चाबहार बंदरगाह संपर्क और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत और ईरान द्वारा विकसित किया जा रहा है। भारत क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए चाबहार बंदरगाह परियोजना पर जोर दे रहा है, खासकर अफगानिस्तान से इसके संपर्क के लिए। ताशकंद में 2021 में एक संपर्क(कनेक्टिविटी) सम्मेलन में जयशंकर ने चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान सहित एक प्रमुख क्षेत्रीय पारगमन केंद्र के रूप में पेश किया था। चाबहार बंदरगाह को आईएनएसटीसी परियोजना के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में भी देखा जाता है।
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