कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए अमेरिका ने भारत को दिया ये सलाह

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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ. फाउची ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाने की भी सलाह दी, ताकि संक्रमण की दर कम की जा सके और उसकी निरंतरता तोड़ी जा सके।

वाशिंगटन।अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची ने कोविड-19 की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हुए भारत में हालात को ‘‘बहुत निराशाजनक’’ करार दिया और भारत सरकार को अस्थायी फील्ड अस्पताल तत्काल बनाने के लिए सैन्य बलों समेत सभी संसाधनों का इस्तेमाल करने की सलाह दी। उन्होंने अन्य देशों से भी अपील की कि वे भारत की मदद के लिए केवल सामग्री ही नहीं, बल्कि कर्मी भी मुहैया कराएं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ. फाउची ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाने की भी सलाह दी, ताकि संक्रमण की दर कम की जा सके और उसकी निरंतरता तोड़ी जा सके। डॉ. फाउची ने यह सलाह ऐसे समय दी है, जब भारत में कोविड-19 के मामले दो करोड़ की संख्या पार कर गए हैं और महज 15 दिनों में संक्रमण के 50 लाख से अधिक मामले आए हैं। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर 2,02,82,833 पर पहुंच गए है और मृतक संख्या 2,22,408 पर पहुंच गई है।

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दूसरी ओर अमेरिका में संक्रमण के 3.2 करोड़ मामले हैं और 5,77,000 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि अमेरिका की आबादी भारत की 120 करोड़ की जनसंख्या की एक-चौथाई है। इसके बावजूद स्वास्थ्य संबंधी अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, अपेक्षाकृत कमजोर अर्थव्यवस्था और निम्न जीवन स्तर के कारण भारत संक्रमण की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हुई है और देश चिकित्सकीय ऑक्सीजन एवं अस्पतालों में आईसीयू बिस्तरों की कमी से जूझ रहा है। डॉ. फाउची ने कहा, ‘‘भारत कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी के कारण बहुत दबाव में है, ऐसे में बाकी देशों को अमेरिका की तरह उसकी मदद करनी चाहिए।’’ डॉ. फाउची ने कहा कि दुनिया के अन्य देश सामग्री एवं कर्मी मुहैया कराके भारत की मदद कर सकते हैं, ‘अमेरिका नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शस डिजीजेज’ के निदेशक डॉ. फाउची ने भारत में व्यापक स्तर पर टीकाकरण मुहिम चलाने की भी सलाह दी। 80 वर्षीय डॉ. फाउची ने कहा, ‘‘सबसे पहले अभी उन्हें ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लगाना शुरू करना चाहिए, चाहे वे उनके द्वारा विकसित टीके हों या रूस और अमेरिका जैसे अन्य आपूर्तिकर्ताओं से खरीदे गए टीके हों।’’ उन्होंने कहा कि अभी टीका लगाने से आज पैदा हुई समस्या खत्म नहीं होगी।

इससे कई हफ्तों में समस्या को रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि तत्काल समस्या यह है कि ऑक्सीजन और मूल उपचार के लिए अस्पतालों में रोजाना आ रहे हजारों मरीजों को कैसे इलाज मुहैया कराया जाए और कैसे उनकी देखभाल की जाए। दुनिया में संक्रामक रोग के शीर्ष विशेषज्ञों में से एक माने जाने वाले डॉ. फाउची ने कहा,‘‘यह साफ है कि भारत में हालात बेहद गंभीर हैं।’’ डॉ. फाउची ने कहा, ‘‘जब लोग इतनी बड़ी संख्या में संक्रमित हो रहे हों, हर किसी की पर्याप्त देखभाल न हो पा रही हो, अस्पतालों में बिस्तरों, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सामान की कमी हो, तो यह बेहद निराशाजनक स्थिति बन जाती है। इसे देखते हुए हमें लगता है कि पूरी दुनिया को हरंसभव तरीके से मदद करनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी चीजें है जो भारत तत्काल, मध्यम अवधि और दीर्घ अवधि में कर सकता है। उन्होंने सलाह दी कि तत्काल अस्थायी अस्पताल बनाने के लिए सशस्त्र बलों की सहायता ली जा सकती है।

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डॉ. फाउची ने कहा, ‘‘चीन में जब पिछले साल गंभीर समस्या थी, तो उसने अपनी संसाधनों को बहुत तेजी से नए अस्पताल बनाने में जुटा दिया था, ताकि वह उन सभी लोगों को अस्पताल मुहैया करा सके, जिन्हें भर्ती किए जाने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा कि अस्पताल में बिस्तरों की गंभीर कमी है और अस्थायी व्यवस्थाओं में लोगों की देखभाल की जा रही है। डॉ. फाउची ने सुझाव दिया कि भारत को अपनी सेना की मदद से उसी तरह फील्ड अस्पताल बनाने चाहिए, जैसे कि युद्ध के दौरान बनाए जाते हैं, ताकि उन लोगों को अस्पताल में बिस्तर मिल सके, जो बीमार हैं और जिन्हें भर्ती किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने संक्रमण केा फैलने से रोकने के लिए कुछ सप्ताह लॉकडाउन लागू करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पता है कि भारत पहले ही कई कदम उठा रहा है, तो मैं आपको ऐसा कुछ नहीं बता रहा हूं, जो आप पहले से नहीं कर रहे।

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कुछ दिनों पहले मैंने सुझाव दिया था कि देश में लॉकडाउन लागू करना चाहिए और भारत के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन लागू किया गया है।’’ डॉ. फाउची ने कहा, ‘‘चीन ने पिछले साल ऐसा किया था, ऑस्ट्रेलिया में जब संक्रमण फैला था, उसने ऐसा किया था, न्यूजीलैंड ने यह किया था, अन्य कई देशों ने एक सीमित अवधि के लिए पूर्ण लॉकडाउन लागू किया था। आपको छह महीने के लॉकडाउन की आवश्यकता नहीं है। आप कुछ सप्ताह के लिए लॉकडाउन लागू कर सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अन्य देशों में लॉकडाउन लागू करने के अनुभवों से यह स्पष्ट है कि लॉकडाउन से संक्रमण की दर कम होती है और संक्रमण की निरंतरता टूटती है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या भारत में संक्रमण की मौजूदा दर से अन्य देशों को भी खतरा है, डॉ. फाउची ने कहा, ‘‘देखिए, जब किसी एक देश में व्यापक स्तर पर संक्रमण फैला हो, तो संक्रमण का खतरा हमेशा होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपको इस बात को लेकर सावधानी बरतने की आवश्यकता है कि संक्रमण व्यापक स्तर पर कहीं और न फैले।’’ डॉ. फाउची ने कोविड-19 से निपटने में भारत को मुहैया कराई जा रही अमेरिकी मदद का हवाला देते हुए कहा, ‘‘हमें बहुत खेद है कि भारत इस अत्यंत मुश्किल समय से गुजर रहा है और इसलिए हम उसके साथ एकजुट होकर खड़े हैं और उसे हर संभव करने की कोशिश कर रहे हैं।

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