जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति से की मुलाकात, भारत चीन के संबंध पर कही ये बात
चीन की तीन दिवसीय अहम यात्रा पर पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया अनिश्चितता की स्थिति का सामना कर रही है तब भारत-चीन संबंधों को स्थिरता का परिचायक होना चाहिए। रविवार को यहां पहुंचे जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति वांग क्शिान से झोंग्ननहाई में भव्य व बेहद खूबसूरत इम्पीरियल आवासीय परिसर में मुलाकात की, जहां शीर्ष चीनी नेता रहते हैं। बाद में उन्होंने विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की, जिसके बाद एक प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक हुई।
बीजिंग। चीन की तीन दिवसीय अहम यात्रा पर पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया अनिश्चितता की स्थिति का सामना कर रही है तब भारत-चीन संबंधों को स्थिरता का परिचायक होना चाहिए। रविवार को यहां पहुंचे जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति वांग क्शिान से झोंग्ननहाई में भव्य व बेहद खूबसूरत इम्पीरियल आवासीय परिसर में मुलाकात की, जहां शीर्ष चीनी नेता रहते हैं। बाद में उन्होंने विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की, जिसके बाद एक प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक हुई।
@DrSJaishankar on his first visit to #China after taking over as External Affairs Minister of #India | Speaking to #Xinhua in #Beijing on the India-China bilateral relationship. @MEAIndia @PMOIndia @PIB_India pic.twitter.com/E4D5ho6blb
— Vikram Misri (@VikramMisri) August 11, 2019
राष्ट्रपति शी चिंनफिंग के भरोसेमंद माने जाने वाले वांग के साथ मुलाकात के दौरान अपनी शुरुआती टिप्पणी में जयशंकर ने कहा, ‘‘हम दो साल पहले अस्ताना में एक आम सहमति पर पहुंचे थे कि ऐसे समय में जब दुनिया में पहले से अधिक अनिश्चितता है, हमारा संबंध स्थिरता का परिचायक होना चाहिए।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी के बीच हुई शिखर बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वुहान शिखर सम्मेलन के बाद मैं यहां आ कर आज बहुत खुश हूं, जहां वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर हमारे नेताओं के बीच आम सहमति और बढ़ी थी।’’ विदेश मंत्री एस जयशंकर चीनी नेतृत्व के साथ वार्ता के लिए तीन दिवसीय दौरे पर रविवार को बीजिंग पहुंचे। उनकी यात्रा के दौरान इस साल राष्ट्रपति शी के भारत दौरे की तैयारियों को अंतिम रूप देने सहित कई मुद्दों पर बातचीत होगी।
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मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद जयशंकर चीन का दौरा करने वाले पहले भारतीय मंत्री हैं। यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है, जब भारत ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करते हुए उसे दो केंद्रशासित क्षेत्रों में बांट दिया है। हालांकि संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के भारत के फैसले से बहुत पहले उनका दौरा तय हो चुका था। राजनयिक से विदेश मंत्री बने जयशंकर 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे थे। किसी भारतीय दूत का यह सबसे लंबा कार्यकाल था। जयशंकर की यात्रा के दौरान चार सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। वर्ष 2017 में डोकलाम में 73 दिनों तक चले गतिरोध के बाद मोदी और शी ने पिछले साल वुहान में पहली अनौपचारिक वार्ता कर द्विपक्षीय संबंधों गति दी थी। अधिकारियों इस साल पहली बार द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर पार करने की उम्मीद है।
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