इमरान खान ने महिला न्यायाधीश के खिलाफ विवादित टिप्पणी के लिए माफी मांगी

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प्रतिरूप फोटो
ANI

पूर्व क्रिकेटर एवं सियातसदां ने अदालत से कहा, ' मैं महिला न्यायाधीश से माफी मांगने को तैयार हूं।' उन्होंने कहा, 'अदालत को लगता है कि मैंने हद पार की है। मेरा इरादा महिला न्यायाधीश को धमकाना नहीं था। अगर अदालत कहती है तो मैं व्यक्तिगत रूप से न्यायाधीश के पास जाकर माफी मांगने के लिए तैयार हूं।'

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक महिला न्यायाधीश के खिलाफ अपनी विवादित टिप्पणी के लिए बृहस्पतिवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में माफी मांग ली और वादा किया कि वह भविष्य में दोबारा ऐसा नहीं करेंगे। खान ने मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह की अगुवाई पीठ से कहा, “ अगर मैंने हद लांघी है तो मुझे खेद है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश मिनल्लाह की अगुवाई वाली बड़ी पीठ कर रही थी जिसमें न्यायमूर्ति मोहसिन अख्तर कियानी, न्यायमूर्ति मियां गुल हसन औरंगज़ेब, न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीर और न्यायमूर्ति बाबर सत्तार शामिल हैं।

ऐसी संभावना थी कि उच्च न्यायालय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ज़ेबा चौधरी के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी करने के लिए 69 वर्षीय खान को अवमानना की कार्यवाही में आधिकारिक तौर पर अभ्यारोपित कर सकता है। खान कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच अदालत में पेश हुए। खान की ओर से अपनी विवादास्पद टिप्पणी के लिए न्यायाधीश चौधरी से माफी मांगने की इच्छा व्यक्त करने के बाद, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही स्थगित कर दी।

इससे पहले, जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष ने अपना बयान रिकॉर्ड में रखने की इजाजत मांगी और कहा कि उन्हें पिछली सुनवाई में बोलने से रोक दिया गया था। पूर्व क्रिकेटर एवं सियातसदां ने अदालत से कहा, “ मैं महिला न्यायाधीश से माफी मांगने को तैयार हूं।” उन्होंने कहा, “अदालत को लगता है कि मैंने हद पार की है। मेरा इरादा महिला न्यायाधीश को धमकाना नहीं था। अगर अदालत कहती है तो मैं व्यक्तिगत रूप से न्यायाधीश के पास जाकर माफी मांगने के लिए तैयार हूं।”

उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया, मैं भविष्य में ऐसा कुछ नहीं करूंगा। मुख्य न्यायाधीश मिनाल्लाह ने खान से कहा, “ व्यक्तिगत रूप से न्यायाधीश से मिलना, आपका निजी फैसला होगा.. अगर आपको गलती का एहसास हो गया है और आप इसके लिए माफी मांगने के लिए तैयार हैं... तो यह काफी है।” खान की प्रतिक्रिया के बाद, अदालत ने कहा कि वह प्रतिवादी की ओर से मांगी गई माफी से संतुष्ट है। मुख्य न्यायाधीश ने पूर्व प्रधानमंत्री से कहा कि वह एक हलफनामा दाखिल करें जिसमें उन बातों का विवरण हो जो उन्होंने कही हैं।

पीठ ने मामले की सुनवाई तीन अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी। राजधानी में 20 अगस्त को एक रैली के दौरान, खान ने अपने सहयोगी शाहबाज़ गिल के साथ किए गए दुर्व्यवहार को लेकर शीर्ष पुलिस अधिकारियों, चुनाव आयोग और राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ मामला दर्ज कराने की धमकी दी थी। गिल को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने न्यायाधीश ज़ेबा चौधरी के उस फैसले पर ऐतराज़ जताया था जिसमें उन्होंने गिल को दो दिन की हिरासत में भेजने की पुलिस की गुज़ारिश को स्वीकार कर लिया था और कहा था कि उन्हें तैयार रहना चाहिए, क्योंकि उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

भाषण के कुछ घंटों बाद, खान पर अपनी रैली में पुलिस, न्यायपालिका और राज्य के अन्य संस्थानों को धमकाने के आरोप में आतंकवाद रोधी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया था। न्यायमूर्ति आमिर फारूक ने गिल की पुलिस रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए खान के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का फैसला किया था। उच्च न्यायालय ने अदालत को संतुष्ट करने के वास्ते लिखित जवाब देने का खान को दो बार मौका दिया था, लेकिन वह अदालत को संतुष्ट करने में नाकाम रहे। इसके बाद उच्च न्यायालय ने उन्हें अभ्यारोपित करने की घोषणा की थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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