उत्तर कोरिया में मानवाधिकारों की ‘अत्यंत गंभीर’ स्थिति : UN विशेषज्ञ
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इस अभियान के दौरान हाल ही में उत्तर कोरिया छोड़ने वाले लोगों का साक्षात्कार किया। हर व्यक्ति ने बताया कि आम लोगों का शोषण किया जा रहा है मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया जा रहा है जैसे कि विकास के नाम पर उन्हें मजबूरन विस्थापित किया जाना।’’
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ने कहा कि उत्तर कोरिया में मानवाधिकारों की स्थिति ‘‘अत्यंत गंभीर’’ बनी हुई है और परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए उठ रही अंतरराष्ट्रीय मांगों के साथ यह स्थिति आने वाले साल के लिए भी बड़ी चुनौती होगी। उत्तर कोरिया में मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत टॉमस क्विंटाना दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में एक संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे।
UN warns dire human rights in North Korea remain ‘unchanged’ https://t.co/yt3D90H2RP
— The Independent (@Independent) January 12, 2019
Clip of @UNHumanRights expert for #DPRK Tomás Quintana at a press conference in Seoul, South Korea, on 11 January 2019, speaking about personal testimonies gathered during his 5-day mission.
— UN News (@UN_News_Centre) January 11, 2019
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उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इस अभियान के दौरान हाल ही में उत्तर कोरिया छोड़ने वाले लोगों का साक्षात्कार किया। हर व्यक्ति ने बताया कि आम लोगों का शोषण किया जा रहा है मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया जा रहा है जैसे कि विकास के नाम पर उन्हें मजबूरन विस्थापित किया जाना।’’
Amid warming inter-Korean relations and greater dialogue between #NorthKorea and the #US, #UN Special Rapporteur on North Korea's #HumanRights Tomas Ojea Quintana says human rights there remain dismal. He joins us today to give us more details on the situation in the North pic.twitter.com/KOwcjvqeSk
— KBS Korea 24 (@KBSKorea24) January 11, 2019
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बच्चों समेत उन लोगों की कहानियां बताई गई जिनसे कई घंटों तक मजदूरी कराई गई, उन्हें बिना पारिश्रमिक के काम करने के लिए मजबूर किया गया। एक व्यक्ति ने कहा कि पूरा देश कारावास है।’’ क्विंटाना ने कहा कि निगरानी और आम लोगों की करीबी निगरानी उत्तर कोरिया में जिंदगी की एक सच्चाई है। साथ ही मौलिक आजादी पर भी पाबंदियां हैं।
North Korea Human Rights Remain Dire After Year of Work https://t.co/OEiFGOQsVI
— New Delhi Times (@NewDelhiTimes) January 12, 2019
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