भारत के 2 मित्र देशों पर कैसे हो गया बड़ा हमला, अब क्या करेंगे पीएम मोदी
अजरबैजान के साथ युद्ध में भारत का मित्र देश अर्मेनिया नागोर्नो-काराबाख़ नाम का एक बड़ा हिस्सा हार गया है। वहीं मालदीव में जो हुआ है वो भारत के लिए ज्यादा गहरी चोट है।
पिछला एक हफ्ता भारत के दो मित्र देशों के लिए मुश्किलों वाला रहा है। भारत के दो मित्र देशों पर हमला हुआ है जिसका सीध असर दिल्ली पर पड़ना तय है। ये दो देश अर्मेनिया और मालदीव हैं। अर्मेनिया पर सैन्य हमला हुआ तो मालदीव पर राजनीतिक हमला हुआ है। अजरबैजान के साथ युद्ध में भारत का मित्र देश अर्मेनिया नागोर्नो-काराबाख़ नाम का एक बड़ा हिस्सा हार गया है। वहीं मालदीव में जो हुआ है वो भारत के लिए ज्यादा गहरी चोट है।
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नागोर्नो-काराबाख को लेकर आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच संघर्ष को दुनिया के वर्षों पुराने संघर्षों में से एक कहा जाता है। यह संघर्ष 19 सितंबर को शुरू हुआ, जब अज़रबैजान ने आक्रामक हमला किया और 24 घंटों के भीतर, नागोर्नो-काराबाख के अलगाववादी प्रांत पर जीत की घोषणा की। प्रांत के अधिकारियों ने अब कहा है कि जातीय अर्मेनियाई एन्क्लेव 1 जनवरी, 2024 को भंग हो जाएगा। हालांकि दूर, दक्षिण काकेशस क्षेत्र में हाल के घटनाक्रम का भारत के लिए इस क्षेत्र के साथ कनेक्टिविटी और संबंधों पर प्रभाव है। भारत के लिए ये चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि आर्मेनिया को हराने वाला देश पाकिस्तान का पक्का दोस्त है।
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भारत के एक और पड़ोसी देश मालदीव में भी बड़ा राजनीतिक उलटफेर हो गया है। मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुज्जू प्रोगेसव पार्टी ऑफ मालदीव गठबंधन के नेता हैं और इस गठबंधन को चीन के साथ करीबी रिश्तों के लिए जाना जाता है। राष्ट्रपति चुनाव में चीन समर्थक मोहम्मद मुइज्जू की जीत के साथ ही ये संकेत भी मिल गए हैं कि वो चीन की ही बोली बोलेंगे और भारत के लिए मुसीबतें बढ़ाएंगे। अपने ताजा बयान में उन्होंने कुछ ऐसे ही संकेत भी दिए। मुइज्जु ने कहा कि वो अपने कार्यकाल के पहले ही दिन से मालदीव की धरती से विदेशी सैनिकों को हटाने के प्रयास शुरू करेंगे। हालांकि मुइज्जू ने मालदीव में विदेशी सेना की उपस्थिति की बात करते हुए किसी देश का नाम तो नहीं लिया है। लेकिन अपने चुनावी अभियान के दौरान उन्होंने मालदीव में भारतीय सेना की मौजूदगी का जिक्र जरूर किया था।
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