Prabhasakshi Exclusive: Pakistan के पास अपना खर्चा चलाने के लिए पैसे नहीं हैं, मगर वह चीनियों की सुरक्षा पर अरबों रुपए कैसे खर्च कर रहा है?

Shehbaz Sharif
ANI

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ईरान और अफगानिस्तान की सीमा से सटा बलूचिस्तान लंबे समय से हिंसक विद्रोह का गढ़ रहा है। बलूच विद्रोही समूहों ने पहले भी चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजनाओं को निशाना बनाकर कई हमले किए हैं।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि पाकिस्तान ने चीन के हितों की खातिर सशस्त्र बलों के लिए 45 अरब रुपये के बजट को मंजूरी दी है। यहां सवाल उठता है कि जिस देश के पास सामान्य खर्च चलाने के लिए पैसा नहीं है वह दूसरे की सुरक्षा पर इतना खर्च क्यों और कैसे कर रहा है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि चीन ने पाकिस्तान में बड़ा निवेश तो कर ही रखा है साथ ही इस समय वह इस्लामाबाद का सबसे बड़ा आर्थिक मददगार भी है लेकिन जिस तरह चीनी कर्मियों पर हमले बढ़ रहे हैं उसके चलते चीनी नेतृत्व की चिंता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सैन्य और आईएसआई का नेतृत्व चीन का दौरा कर चुके हैं जहां उन्हें फटकार लगायी गयी और साफ कह दिया गया कि यदि आप चीनियों को सुरक्षा नहीं दे सकते तो हम अपनी सेना वहां भेज कर उनको सुरक्षा प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जानता है कि यदि चीनी सेना देश में आई तो उसका जनता विरोध करेगी इसलिए चीनी नेतृत्व को खुश करने के लिए भारी भरकम राशि चीनियों को सुरक्षा देने के लिए रखी गयी है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पाकिस्तानी नेतृत्व ने यह कदम तब उठाया जब इसी सप्ताह पाकिस्तान के सबसे व्यस्त हवाई अड्डे के पास चीनी श्रमिकों के काफिले को निशाना बनाकर किए गए बलूच विद्रोही समूह के आत्मघाती हमले में दो चीनी नागरिकों की मौत हो गई और 17 लोग घायल हो गए। उन्होंने कहा कि यह हमला पाकिस्तान में चीनी श्रमिकों के खिलाफ हिंसा की श्रृंखला में नवीनतम घटना है। उन्होंने कहा कि यह हमला इस्लामाबाद में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन से दो सप्ताह से भी कम समय पहले हुआ। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह विस्फोट एक आत्मघाती हमला था, जिसमें जिन्ना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से निकल रहे चीनी इंजीनियरों और निवेशकों के काफिले को निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा कि हमले में एक इलेक्ट्रिक पावर कंपनी के चीनी कर्मचारियों को ले जा रहे काफिले को निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस हमले को जघन्य कृत्य बताया और चीनी लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा है कि आतंकवाद का यह निंदनीय कृत्य न केवल पाकिस्तान पर बल्कि पाकिस्तान और चीन के बीच स्थायी मित्रता पर भी हमला है। उन्होंने कहा कि विदेश कार्यालय ने कहा है कि पाकिस्तान और चीन घनिष्ठ साझेदार और भाइचारे का रिश्ता है, जो आपसी सम्मान और साझा नियति के बंधन से एकजुट हैं। उन्होंने कहा कि बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान चीनी नागरिकों, परियोजनाओं और पाकिस्तान में संस्थानों की सुरक्षा और संरक्षा के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है, और आतंकवादी ताकतों को हराने के लिए अपने चीनी भाइयों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ईरान और अफगानिस्तान की सीमा से सटा बलूचिस्तान लंबे समय से हिंसक विद्रोह का गढ़ रहा है। बलूच विद्रोही समूहों ने पहले भी चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजनाओं को निशाना बनाकर कई हमले किए हैं। उन्होंने कहा कि बीएलए चीन और पाकिस्तान पर संसाधन संपन्न प्रांत का शोषण करने का आरोप लगाता है। यह समूह लंबे समय से अलग मातृभूमि की मांग कर रहा है। पिछले दो सालों में इस समूह ने कराची में विदेशी नागरिकों को निशाना बनाकर इसी तरह के कई आत्मघाती बम हमले किए हैं। उन्होंने कहा कि इस साल मार्च में बीएलए ने चीन द्वारा संचालित ग्वादर बंदरगाह के पास एक पाकिस्तानी नौसैनिक हवाई अड्डे पर हमले की जिम्मेदारी ली थी। अप्रैल 2022 में, कराची विश्वविद्यालय के कन्फ्यूशियस संस्थान के पास इस समूह के एक आत्मघाती हमले में तीन चीनी प्रशिक्षक और एक पाकिस्तानी ड्राइवर की मौत हो गई। नवंबर 2018 में, कराची में चीनी वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले में बंदूकधारियों ने कम से कम चार लोगों की हत्या कर दी थी।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसीलिए पाकिस्तान सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए 45 अरब रुपये का अतिरिक्त बजट उपलब्ध कराने का फैसला किया है, ताकि नकदी की कमी से जूझ रहे देश में चीन के वाणिज्यिक हितों की रक्षा करने और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर बाड़ लगाने का प्रबंधन करने की उसकी क्षमता को मजबूत किया जा सके। उन्होंने कहा कि 45 अरब रुपये में से 35.4 अरब रुपये सेना को और 9.5 अरब रुपये नौसेना को विभिन्न उद्देश्यों के लिए दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जून में बजट की मंजूरी के बाद सशस्त्र बलों के लिए स्वीकृत यह दूसरा बड़ा अनुपूरक अनुदान है। इससे पहले ईसीसी ने ‘ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम’ के लिए 60 अरब रुपये दिए थे। उन्होंने कहा कि ये अनुपूरक अनुदान 2127 अरब रुपये के रक्षा बजट के अतिरिक्त है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी हमलों की बढ़ती संख्या के कारण, चीन ने अपनी सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए आतंकवाद विरोधी सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि चीन ने पाकिस्तान में पहले से काम कर रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक संयुक्त कंपनी की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा है।

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