ताइवान को दी गई चीन की धमकियों का जर्मनी ने विरोध किया
दोनों देशों के बीच जलडमरूमध्य यथास्थिति में यदि कोई परिवर्तन होता है, तो वह शांतिपूर्ण होना चाहिए। साथ ही, दोनों पक्षों के आम सहमति पर पहुंचने के बाद ही ये बदलाव किए जाने चाहिए।
ताइवान की यात्रा पर आए जर्मन संसदीय समूह के प्रमुख सांसद पीटर हेड ने सोमवार को कहा कि चीन-ताइवान संबंध में कोई भी बदलाव शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के चार्टर में ताइवान की स्वतंत्रता को खारिज किए जाने के दो दिन बाद उन्होंने यह बयान दिया है। मानवाधिकारों पर केंद्रित जर्मनी के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन से उनके कार्यालय में भेंटवार्ता की। सांसदों ने इसपर भी चर्चा की कि ताइवान को किस तरह चीन की धमकियों का सामना करना चाहिए। हेड ने कहा, “ताइवान सचमुच सैन्य धमकियों का सामना कर रहा है।
जर्मनी के दृष्टिकोण से, दोनों देशों के बीच जलडमरूमध्य यथास्थिति में यदि कोई परिवर्तन होता है, तो वह शांतिपूर्ण होना चाहिए। साथ ही, दोनों पक्षों के आम सहमति पर पहुंचने के बाद ही ये बदलाव किए जाने चाहिए।” चीन दावा करता है कि ताइवान उसका क्षेत्र है। उसका कहना है कि उसके पूर्वी तट से लगभग 160 किलोमीटर (100 मील) दूर स्थित ताइवान उसके नियंत्रण में आना चाहिए। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने शनिवार को अपने महाधिवेशन के समापन के दौरान पार्टी के संविधान में एक वक्तव्य शामिल किया था, जिसमें ताइवान की स्वतंत्रता की मांग कर रहे ‘‘अलगाववादियों का पुरजोर विरोध करने और उन्हें रोकने’’ की बात कही गई थी।
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हेड ने कहा, “हम चीन की पार्टी के 20 वें महाधिवेशन में दिए गए शी चिनफिंग के वक्तव्य को ताइवान के खिलाफ धमकी के तौर पर देखते हैं।” उन्होने कहा, ‘‘(अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी) पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन द्वारा व्यक्ति की गयी प्रतिक्रिया भी हमारे संज्ञान में है।’’ जुलाई में पेलोसी की यात्रा के बाद चीन ने बड़ा सैन्याभ्यास किया था। जर्मनी का प्रतिनिधिमंडल रविवार को यहां पहुंचा है और बुधवार को उसके लौट जाने का कार्यक्रम है। इस महीने ताइवान आने वाला यह जर्मनी का दूसरा संसदीय प्रतिनिधिमंडल है।
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