चीन ने कृत्रिम द्वीप के पास से अमेरिकी युद्धपोत गुजरने पर जताया विरोध

Chinese military warns off US warship in South China Sea
[email protected] । Aug 11 2017 12:49PM

चीन ने दक्षिण चीन सागर में उसके कृत्रिम द्वीप के पास से अमेरिकी युद्धपोत के गुजरने पर नाखुशी जताई और अमेरिका के इस कदम के बाद चीन की नौसेना ने युद्धपोत को वापस लौटने की चेतावनी दी।

बीजिंग। चीन ने विवादित दक्षिण चीन सागर में उसके कृत्रिम द्वीप के पास से अमेरिकी युद्धपोत के गुजरने पर आज नाखुशी जताई और अमेरिका के इस कदम के बाद चीन की नौसेना ने अमेरिकी युद्धपोत को वापस लौटने की चेतावनी दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेग शुआंग ने कहा कि यूएसएस जॉन एस मैक्केन युद्धपोत ने चीन और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है और देश की संप्रभुता तथा सुरक्षा को ‘‘गंभीर’’ रूप से नुकसान पहुंचाया है।

जेंग ने कहा, ‘‘चीन इस कदम से बेहद नाखुश है।’’ उन्होंने कहा कि चीन, अमेरिका के समक्ष आधिकारिक विरोध दर्ज कराएगा। वहीं अमेरिका के एक अधिकारी ने कहा कि यूएसएस जॉन एस मैक्केन ‘‘नौवहन की स्वतंत्रता’’ के तहत मिसचीफ रीफ से छह समुद्री मील के भीतर से गुरुवार को गुजरा था। चीन ने इस कृत्रिम द्वीप का निर्माण किया है। मिसचीफ रीफ दक्षिण चीन सागर में विवादित स्प्रैटली द्वीपों का हिस्सा है जिस पर चीन और पड़ोसी देश अपना-अपना दावा जताते हैं। नाम गोपनीय रखने की शर्त पर अमेरिका के एक अधिकारी ने कहा कि चीनी युद्धपोत ने यूएसएस मैक्केन को कम से कम 10 बार रेडियो चेतावनी भेजी। अधिकारी ने कहा, ‘‘उन्होंने कहा ‘कृपया मुड़ जाइए, आप हमारे जल क्षेत्र में हैं।’ हमने उन्हें बताया कि यह अमेरिकी पोत है जो अंतरराष्ट्रीय समुद्र में नियमित अभियान पर है।’’ अधिकारी ने कहा कि करीब छह घंटे तक चले अभियान के साथ सभी बातचीत ‘‘सुरक्षित और पेशेवर’’ तरीके से की गई लेकिन जेंग ने कहा कि ऐसे अभियानों से ‘‘जान को गंभीर जोखिम’’ रहता है।’’ जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पद संभालने के बाद से अब तक नौवहन की स्वतंत्रता अभियान की यह तीसरी घटना है।

अमेरिका का यह कदम तब सामने आया है जब चार दिन पहले मनीला में दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) के सुरक्षा फोरम के इतर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा द्वीप निर्माण और उसका सैन्यीकरण करने की निंदा की। चीन इस पूरे समुद्र पर अपना दावा करता है। दक्षिण चीन सागर से हर वर्ष 5 लाख करोड़ डॉलर का व्यापार होता है और इसे तेल तथा गैस जैसे संसाधनों से संपन्न माना जाता है।

चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वु क्यिान ने कहा कि चीन और पड़ोसी देशों के ‘‘संयुक्त प्रयासों’’ के कारण दक्षिण चीन सागर में स्थिति ‘‘स्थिर’’ है लेकिन अमेरिका का अभियान क्षेत्र में ‘‘शांति तथा स्थिरता’’ के लिए खतरा पैदा करता है। क्यिान ने कहा, ‘‘अमेरिका की सेना की उकसाने वाली कार्रवाईयों से चीनी सेना को रक्षा क्षमता बढ़ाने और संकल्पित होकर राष्ट्रीय संप्रभुत्ता एवं सुरक्षा की रक्षा करने को बढ़ावा मिलेगा।’’ यह अभियान ऐसे समय में भी सामने आया है जब उत्तर कोरिया के मिसाइल कार्यक्रम को लेकर कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव बढ़ रहा है और अमेरिका, उत्तर कोरिया पर और कड़े प्रतिबंध लगाने के लिए चीन पर दबाव बना रहा है। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल क्रिस लोगान ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या यह नौवहन की स्वतंत्रता है लेकिन उन्होंने कहा कि अमेरिका ऐसे अभियान जारी रखेगा। उन्होंने कहा, ‘‘पूरा अभियान अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार किया गया और यह दिखाता है कि अमेरिका उस क्षेत्र में उड़ान भरेगा, समुद्र में उतरेगा और अभियान चलाएगा जहां अंतरराष्ट्रीय कानून इसकी अनुमति देता है।’’

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