चीन ने पहली बार हिंद-प्रशांत पहल को स्वीकार किया
आसियान देशों के साथ चीन के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति शी ने कहा था, दक्षिण चीन सागर में स्थिरता की रक्षा तथा इसे शांति, मित्रता और सहयोग का सागर बनाने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है।
बीजिंग| चीन ने मंगलवार को पहली बार आधिकारिक तौर पर हिंद-प्रशांत पहल को स्वीकार किया, जिसे वह अब तक नकारता रहा था।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने मंगलवार को यहां संवाददाताओं से कहा, चीन ने भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल पर गौर किया है।
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वह आसियान-चीन वार्ता संबंधों की 30वीं वर्षगांठ से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे। राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सोमवार को बैठक की वीडियो लिंक के जरिए अध्यक्षता की थी।
जब लिजियन से चीन-आसियान संयुक्त बयान में रणनीतिक हिंद-प्रशांत क्षेत्र का जिक्र किए जाने के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि चीन हमेशा क्षेत्रीय ढांचे में आसियान की केंद्रीय भूमिका का समर्थन करता है, तथा क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों में बड़ी भूमिका निभाने में आसियान का समर्थन करता है।
यह सवाल किए जाने पर कि क्या भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल और सोमवार की शिखर बैठक के दौरान चीन और आसियान द्वारा की गयी चर्चा के बीच चीन कोई समानता देखता है, प्रवक्ता ने विशेष टिप्प्णी करने से इनकार करते हुए कहा, मैंने अभी चीन की स्थिति साफ की है।
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आसियान देशों के साथ चीन के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति शी ने कहा था, दक्षिण चीन सागर में स्थिरता की रक्षा तथा इसे शांति, मित्रता और सहयोग का सागर बनाने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है।
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