पाकिस्तान में थिएटर्स कंगाल, नहीं मिल रहे दर्शक, मुश्किल हो गया किराया और बिजली बिल जुटाना
पाकिस्तान में बॉलीवुड फिल्मों के शोज बंद होने के बाद से ही फिल्मों के डिस्ट्रीब्यूटर, प्रोड्यूसर और थिएटर मालिकों के बीच एक शीत-युद्ध चल रहा था। सरकार द्वारा कोविड -19 प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद भी मल्टीप्लेक्स व्यवसाय खोलने के लिए इच्छुक नहीं थे।
कराची में कुछ बची हुई सफल और सस्ती सिंगल स्क्रीन थियेटरों में एक में एक अनोखा पोस्टर चस्पा दिखा। जिसमें लिखा गया कि गुरुवार, 9 जून तक थियेटर बंद रहेगा। हालांकि उनके फेसबुक पेज पर नोटिस में बंद होने का कारण नहीं बताया गया था। लेकिन इसका कारण स्पष्ट था, लोग फिल्में देखने के लिए जा ही नहीं रहे हैं। वीकेंड में तो फिर भी थिएटर्स के अंदर लोग नजर आ जाते हैं, वीक डेज का नजारा तो सन्नाटों से भरा होता है। इसके साथ ही एक न्यूजपेपर एड के साथ बताया गया कि सिनेमा घर 10 जून को जुरासिक वर्ल्ड: डोमिनियन के साथ फिर से खुल जाएगा। वैसे ये ये पहली बार नहीं था जब कैपरी सिनेमा ने अपनी विशाल सिनेमा स्क्रीन पर से पर्दा हटाया। 23 से 27 मई के बीच भी यही आलम देखने को मिला था।
इसे भी पढ़ें: पाकिस्तान को लग सकती है मिर्ची! 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा जम्मू-कश्मीर
लेकिन ये नजारा केवल पाकिस्तान के सिंगल स्कीन्स का नहीं बल्कि मल्टीप्लेक्स भी ऐसी ही कंगाली के दौर से गुजर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जिसकी वजह से अब उन्हें किराया और बिजली का बिल जुटाना मुश्किल हो रहा है। कहा तो ये भी जा रह है कि अगर ऐसा कुछ और वक्त तक चलता रहा तो कुछ टाइम के बाद वहां से सिनेमा का चलन ही विलुपत हो जाए। पाकिस्तान में बॉलीवुड फिल्मों के शोज बंद होने के बाद से ही फिल्मों के डिस्ट्रीब्यूटर, प्रोड्यूसर और थिएटर मालिकों के बीच एक शीत-युद्ध चल रहा था। सरकार द्वारा कोविड -19 प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद भी मल्टीप्लेक्स व्यवसाय खोलने के लिए इच्छुक नहीं थे।
इसे भी पढ़ें: कर्ज जाल में फंसा पाकिस्तान, ड्रैगन को बेचेगा गिलगित-बाल्टिस्तान
रिपोर्ट में एक सिनेमा मालिक ने बताया कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो उसे अपना बिजनेस बंद करना पड़ेगा, क्योंकि खर्चे कमाई से कहीं ज्यादा भारी पड़ रहे हैं। सरकार इस ठंडे पड़ रहे सिनेमा बिजनेस को राहतों की आंच देती तो रहती है, मगर इसका बहुत असर होता नहीं दिखता। अगर मौजूदा स्थिति बनी रहती है, तो सरकार से वादा किए गए प्रोत्साहनों की कोई भी राशि फिल्मों को अपने पैरों पर वापस लाने में मदद नहीं कर सकती है।
अन्य न्यूज़