30 हजार का कत्ल-ए-आम, अमेरिका लगा चुका है प्रतिबंध, कौन थे ईरान के कट्टरपंथी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी
रायसी के कार्यकाल के दौरान ही अप्रैल में तेहरान द्वारा अभूतपूर्व मिसाइल और ड्रोन हमला शुरू करने के बाद ईरान ने पहली बार इज़राइल के साथ सीधे संघर्ष में प्रवेश किया। यह प्रतिक्रिया तब आई जब इज़राइल ने कथित तौर पर दमिश्क में ईरानी दूतावास परिसर पर हवाई हमला किया, जिसमें दो ईरानी जनरलों की मौत हो गई।
1994 में तेहरान के अभियोजक जनरल से लेकर देश के मुख्य न्यायाधीश तक ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के करीबी कट्टरपंथी मौलवी इब्राहिम रायसी ने 2021 में राष्ट्रपति बनने से पहले कई उपलब्धियां हासिल की हैं। हालाँकि, रायसी का कार्यकाल 2022 में 22 वर्षीय महिला महसा अमिनी की हिरासत में मौत के साथ-साथ गाजा में युद्ध पर सरकार विरोधी विरोध प्रदर्शनों को लेकर चुनौतियों से भरा रहा है। रायसी के कार्यकाल के दौरान ही अप्रैल में तेहरान द्वारा अभूतपूर्व मिसाइल और ड्रोन हमला शुरू करने के बाद ईरान ने पहली बार इज़राइल के साथ सीधे संघर्ष में प्रवेश किया। यह प्रतिक्रिया तब आई जब इज़राइल ने कथित तौर पर दमिश्क में ईरानी दूतावास परिसर पर हवाई हमला किया, जिसमें दो ईरानी जनरलों की मौत हो गई।
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इब्राहिम रईसी का संक्षिप्त परिचय
इब्राहिम रईसी ने न्यायपालिका में विभिन्न पदों पर काम किया है और सुप्रीम लीडर का चुनाव करने वाली काउंसिल ऑफ़ एक्सपर्ट के सदस्य और फिर चेयरमैन भी रह चुके हैं। 2017 में हसन रूहानी के ख़िलाफ़ राष्ट्रपति पद के चुनाव में उन्हें केवल 38.5 फ़ीसद वोट मिले थे। लेकिन चुनाव हारने के बावजूद रईसी को मार्च 2019 में आयतुल्लाह अली ख़ामनेई ने न्यायपालिका का प्रमुख बना दिया था।
30 हजार का कत्ल-ए-आम
1980 में राईसी करज की क्रांतिकारी अदालत के अभियोजक बने। 20 साल की उम्र में राईसी की तैनाती तेहरान के पश्चिम में कर दी गई थी। 1988 में उन्हें प्रमोट करके डिप्टी प्रौसेक्यूटर बनाया गया। पीपुल्स मुजाहिद्दीन से जुड़े कैदियों को मारने की समिति के सदस्य बनाए गए। राईसी उस समिति के सदस्य थे जिसके आदेश पर जेल में बंद करीब तीस हजार कैदियों को गोली मार दी गई थी। महिलाओं और बच्चों को भी तब नहीं छोड़ा गया था। पूरी दुनिया में ईरान के इस कदम की आलोचना हुई थी। तभी से रईसी ईरान के कट्टर मौलवियों की लिस्ट में शामिल हो गए थे।
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अमेरिका लगा चुका है प्रतिबंध
रईसी पहले ईरानी राष्ट्रपति है जिन पर पदभार संभालने से पहले ही अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है। उनपर यह प्रतिबंध 1988 में राजनीतिक कैदियों की सामूहिक हत्या के लिये तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने वाली ईरानी न्यायपालिका के मुखिया के तौर पर लगाया गया था। वर्ष 2017 में हुए चुनाव में रायसी ने भी चुनाव लड़ा था लेकिन उदारवादी रुहानी ने उन्हें भारी मतों से हरा दिया था। रायसी को 38 फीसदी वोट मिले थे, वहीं रुहानी को 57 प्रतिशत वोट मिले थे।
राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल
ईरान के राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल विवादास्पद और उतार-चढ़ाव वाला रहा है। 2022 में 22 वर्षीय महिला महसा अमिनी की हिरासत में मौत के बाद ईरान में राष्ट्रव्यापी विरोध की लहर दौड़ गई, जिसे कथित तौर पर देश के सख्त इस्लामी ड्रेस कोड का पालन नहीं करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के बाद के महीनों में ईरान के मौलवी शासकों को 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक से निपटते देखा गया। अधिकार समूहों ने दावा किया कि सुरक्षा बलों की कार्रवाई में सैकड़ों प्रदर्शनकारी मारे गए। रायसी के तहत, ईरान ने भी यूरेनियम संवर्धन में वृद्धि की, जिसे डोनाल्ड ट्रम्प के 2015 के परमाणु समझौते से मुकरने के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रोत्साहित किया गया।
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