अफगान आर्मी में कर्नल रहे अली अहमद जलाली संभाल सकते हैं सत्ता, तालिबान सरकार के संभावित बड़े चेहरों के बारे में जानें

Ali Ahmed Jalali
अभिनय आकाश । Aug 15 2021 7:26PM

अफगानिस्तान में एक अतंरिम सरकार का गठन होना है। देश के पूर्व आंतरिक मंत्री अली अहमद जलाली अफगानिस्तान में अतंरिम सरकार का नेतृत्व कर सकते हैं।

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे का संकट गहराता चला जा रहा है। वहां के तमाम लोग अब अफगानिस्तान को छोड़ने की फिराक में दिखाई दे रहे हैं। पूरे काबुल में ट्रैफिक जाम हो गया है। ब्रिटेन, अमेरिका, भारत जैसे बड़े-बड़े देश अपने-अपने राजदूत को वहां से निकाल रहे हैं। ये बताने के लिए काफी है कि तालिबान और उसकी कट्टर सोच का जो कब्जा अफगानिस्तान पर हो रहा है वो कैसी दहशत लोगों में फैला रहा है। इसके साथ ही अफगानिस्तान में बड़ा सियासी फेरबदल भी होने जा रहा है। अफगानिस्तान में एक अतंरिम सरकार का गठन होना है। देश के पूर्व आंतरिक मंत्री अली अहमद जलाली अफगानिस्तान में अतंरिम सरकार का नेतृत्व कर सकते हैं। 

इसे भी पढ़ें: अफगानिस्तान की सभी सीमा चौकियों पर अब तालिबान का कब्जा, अधिकारी ने दी जानकारी

कौन हैं अली अहमद जलाली

अली अहमद जलाली का जन्म काबुल में हुआ था, लेकिन वह 1987 से ही अमेरिकी नागरिक थे और मैरीलैंड में रहते थे। 2003 में जलाली की अफगानिस्तान में वापसी हुई और उस समय बदल रही सरकार में उन्हें आंतरिक मंत्री बनाया गया। 2004 में उन्हें फिर से आंतरिक मंत्री के पद पर बैठा दिया गया और सितंबर 2005 तक इस पद पर बने रहे। जलाली सेना में एक पूर्व कर्नल भी रह चुके हैं और सोवियत के हमले के दौरान पेशावर में अफगान रेजिस्टेंस हेडक्वार्टर में एक शीर्ष सलाहकार थे। 1980 के दशक में जब अफगानिस्तान में सोवियत संघ के साथ लंबा युद्ध चला था, तब भी अली अहमद जलाली ने एक सक्रिय भूमिका अदा की थी और वो उस समय अफगान सेना में कर्नल के पद पर थे।  

तालिबान सरकार के बड़े चेहरे

मुल्ला महमूद याकूब- 2015 में तालिबान ने अपने सुप्रीम कमांडर अमीर मुल्ला मोहम्मद उमर की मौत का ऐलान किया था। कहा गया कि मुल्ला उमर पाकिस्तान के पेशावर में 2013 से ही बीमार थे। हालांकि क्या बीमारी थी और कब मरे इन बातों का खुलासा नहीं हुआ। उसी समय पहली बार तालिबान के एक आंख वाले मुल्ला उमर का बेटा मोहम्मद याकूब सामने आया था।मुल्ला याकूब के बारे में कहा जाता है कि उसे सऊदी अरब के राजशाही सउद परिवार का पूरा समर्थन हासिल है और तालिबान को जिस धन की जरूरत है, वो सऊदी अरब से मिलता है। 

इसे भी पढ़ें: तालिबान से डरा पाकिस्तान! कब्जे वाले सीमा नाके को किया बंद

सिराजुद्दीन हक्कानी-  1970-80 के दशक में सोवियत सेनाओं के खिलाफ गोरिल्ला हमले करने वाले जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा है सिराजुद्दीन हक्कानी। तालिबान में इसकी हैसियत नंबर दो मानी जाती है। अमेरिका जिस हक्कानी नेटवर्क को नेस्तनाबूद करना चाहता है, उसका लीडर सिराजुद्दीन हक्कानी ही है। 

हैबतुल्लाह अखून जादा- अखुंदजादा अल-कायदा के चीफ अयमान अल जवाहिरी का करीबी समझा जाता है। कहा तो ये भी जाता है कि जवाहिरी ने उसे ‘अमीर’ का ओहदा सौंपा था। यह पदवी भी धार्मिक मामलों में फैसला करने वाले सर्वोच्च नेता की थी।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़