Epilepsy Symptoms: क्यों आने लगते हैं मिर्गी के दौरे, जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीके

Epilepsy Symptoms
Creative Commons licenses

मिर्गी का दौरा पड़ने पर कुछ समय के लिए मरीज अनियंत्रित गतिविधि में जा सकता है। इसमें पूरा शरीर या फिर शरीर के आशिंक हिस्से में असामान्य गतिविधि हो सकती है। अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव कर इस समस्या पर कुछ हद तक निजात पाया जा सकता है।

मिर्गी एक चिरकालिक असंक्रामक रोग है। इसमें दिमाग की गतिविधियां असामान्य हो जाती हैं। जिसके चलते व्यक्ति को दौरे, संवेदना का आवेग और असामान्य व्यवहार करने के साथ कभी-कभी चेतना भी खो देता है। मिर्गी का दौरा पड़ने पर कुछ समय के लिए मरीज अनियंत्रित गतिविधि में जा सकता है। इसमें पूरा शरीर या फिर शरीर के आशिंक हिस्से में असामान्य गतिविधि हो सकती है। कई बार इस स्थिति में बेहोशी आ जाती है, या फिर आंतों या ब्लेडर पर कंट्रोल खत्म हो जाता है। हर आयु, नस्ल और जाति के लोग इस बीमारी से प्रभावित हो सकते हैं।

हांलाकि हर दौरा मिर्गी का दौरा नहीं कहा जा सकता है। कई बार मदिरा पान छोड़ने के दौरान भी सेहतमंद रहने वाले मस्तिष्क को भी दौरे पड़ सकते हैं। ब्लड सर्कुलेशन में गिरावट होने पर भी दौरे के लक्षण देखे जा सकते हैं। या फिर पेनिक अटैक व बेहोशी आ सकती है।

इसे भी पढ़ें: Marathon Tips: पहली बार मैराथन में हिस्सा लेने से पहले ऐसे करें तैयारी, बिना थके तय कर पाएंगे लंबी दूरी

मिर्गी के दौरे पड़ने के कारण 

बता दें कि मिर्गी का शीघ्रता से इलाज कर पाना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि मिर्गी के दौरे अक्सर अप्रत्याशित और बिना वजह के पड़ते हैं। मस्तिष्क में घाव या चोट, ऑटोइम्यून रोग, विकासात्मक विकृतियों, ब्रेन ट्यूमर, संक्रमण, स्ट्रोक और अनुवांशिक प्रवृत्तियों जैसी मुश्किल होने पर मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं। लेकिन मिर्गी के दौरों की तब तक पुष्टि नहीं होती, जब तक किसी व्यक्ति को एक या दो से ज्यादा बार दौरे ना पड़ जाएं।

​मिर्गी के दौरे पड़ने के लक्षण

बोलने या समझने में दिक्कत होना

अस्थायी रूप से बेहोश हो जाना

बार-बार दौरा पड़ना 

संवेदनों में परिवर्तन

सुन्न महसूस होना

मांसपेशियों में मरोड़, आवाज कम हो जाना, पेशियों का अनियंत्रित रूप से काम करना

दिल की धड़कन और श्वास की गति बढ़ जाना

अस्थायी रूप से भ्रम उत्पन्न होना, सोचने की शक्ति मंद हो जाना, संचार एवं समझने में दिक्कत होना

हाथों व पैरों की गतिविधि में परिवर्तन

भय, चिंता या दहशत महसूस करना।

​मिर्गी की जांच के लिए मेडिकल टेस्ट

इलेक्ट्रोएंसेफैलोग्राफी (ईईजी)

मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (एमआरआई)

पोज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी)

कंप्यूटराइज़्ड टोमोग्राफी (सीटी स्कैन)

सिंगल-फोटॉन एमिशन कंप्यूटराइज़्ड टोमोग्राफी आदि हैं।

मिर्गी के दौरे का इलाज

मिर्गी आने के कारण कंट्रोल के बाहर हैं और अपरिहार्य हैं। लेकिन इनका इलाज संभव हो सकता है। बता दें कि मिर्गी का इलाज दवाइयों से शुरू होता है। लेकिन दवाओं से लाभ ना मिलने पर डॉक्टर सर्जरी या फिर अन्य तरह के इलाज का सुझाव भी दे सकते हैं।

​पर्याप्त नींद

मिर्गी के इलाज के साथ ही व्यक्ति को अपनी लाइफस्टाइल में कुछ सुधार करना जरूरी है। जैसे उसे पर्याप्त नींद जरूर लेनी चाहिए। क्योंकि नींद कम लेने से मिर्गी के दौरे बढ़ सकते हैं। वहीं अपनी डेली रुटीन में एक्सरसाइज को भी शामिल करना चाहिए। इससे ना सिर्फ आप स्वस्थ रहते हैं, बल्कि चिंता और तनाव भी काभी हद तक कम होता है।

​संतुलित भोजन लें

हर व्यक्ति को अपनी डाइट में संतुलित भोजन लेना चाहिए, वेट कंट्रोल में रखना चाहिए और पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। इसके अलावा मदिरा एवं अन्य अवैध पदार्थों का सेवन ना करें इससे मिर्गी का दौर पड़ सकता है। 

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़