क्या आप जानते हैं विटामिन डी की कमी से हमारे शरीर को होता नुकसान
विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण के लिए बहुत ज़रूरी है। यदि लगातार विटामिन डी की कमी बनी रही तो हड्डियां कमज़ोर होकर टूट सकती हैँ। इसक अलावा विटामिन डी की कमी से इन रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
हमारे देश में करी 70 से 80 प्रतिशत लोगों में विटामिन डी की कमी है। चिंता की बात यह है कि अधिकांश लोगों को यह बात पता भी नहीं हैं, क्योंकि आमतौर पर बाकी विटामिन्स और मिनरल्स पर जितना ध्यान दिया जाता है विटामिन डी के बारे में लोगों को ज़्यादा जानकारी नहीं है, जबकि इसका स्रोत सबसे सस्ता है। जी हां, धूप विटामिन डी का बेहतरीन स्रोत है बावजूद इसके इस विटामिन की कमी होना वाकई चिंताजनक है।
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चलिए आपको बताते हैं कि विटामिन डी की कमी से होने वाले नुकसान और इसके स्रोत।
सबसे पहले तो यह जान लें कि शरीर में इस विटामिन की कमी का पता कैसे लगाया जाए। विटामिन डी की कमी होने पर आपको निम्न लक्षण दिखने लगेंगे-
हड्डियों में दर्द होना।
मांशपेशियों में कमजोरी महसूस होना।
थकान और कमजोरी।
ज़रुरत से ज़्यादा नींद आना।
डिप्रेशन में होने जैसा महसूस होना।
शरीर की तुलना में सिर से अधिक पसीना आना।
बार-बार इन्फेक्शन होना।
सांस लेने में दिक्कत होना, आदि।
विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण के लिए बहुत ज़रूरी है। यदि लगातार विटामिन डी की कमी बनी रही तो हड्डियां कमज़ोर होकर टूट सकती हैँ। इसक अलावा विटामिन डी की कमी से इन रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
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डायबिटीज
इस बीमारी की बड़ी वजह। वैसे मोटापे के साथ ही विटामिन डी की कमी भी बीमारी के लिए जिम्मेदार है। डायबिटीज केयर जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, यदि मोटापे और विटामिन डी की समस्या किसी व्यक्ति को एकसाथ है तो शरीर में इंसुलिन की मात्रा असंतुलित हो जाती है और इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
बच्चों में एनीमिया का खतरा
यदि खून में विटामिन डी का स्तर 30 नैनो ग्राम प्रति मिली लीटर से कम है तो ऐसे में बच्चे को एनीमिया होने का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टर्स का कहना है कि 30 नैनो ग्राम प्रति मिली लीटर से कम स्तर वाले बच्चों को सामान्य विटामिन डी के स्तर वाले बच्चों की तुलना में दोगुना ज़्यादा खतरा होता है। इतना ही नहीं विटामिन डी की कमी का असर रेड ब्लड सेल के उत्पादन पर भी होता है।
ब्रेस्ट कैंसर
हाल ही हुई एक स्टडी के अनुसार विटामिन डी की कमी होने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। स्टडी के मुताबिक, विटामिन डी की कमी के साथ ही यदि मोटापा भी है तो ब्रेस्ड कैंसर का खतरा ज़्यादा होता है।
डिमेंशिया
एक नए अध्ययन के मुताबिक, विटामिन डी की कमी से डिमेंशिया या मनोभ्रंश होने का खतरा बढ़ सकता है। अध्ययन के अनुसार, विटामिन डी की अधिक कमी वाले लोगों में डिमेंशिया होने की संभावना 122 प्रतिशत अधिक होती है।
विटामिन डी का बेहतरी स्रोत है धूप इसके अलावा डायट में कुछ खास चीज़ों को शामिल करके भी इसकी कमी दूर की जा सकती है।
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कॉड लिवर ऑयल- यह तेल कॉड मछली के जिगर से प्राप्त होता है और सेहत के लिए बेहद अच्छा माना जाता है। इससे जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद मिलती है और इसे कैप्सूल या तेल के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
मशरूम- मशरूम में विटामिन डी की भरपूर मात्रा होती है। सूखे शिटेक मशरूम विटामिन डी 3 के साथ-साथ विटामिन बी के भी शानदार स्रोत हैं। इनमें कम कैलोरी होती है और इन्हें जब चाहे खाया जा सकता है।
सूरजमुखी के बीज- इनमें न केवल विटामिन डी 3, बल्कि मोनोअनसैचुरेटेड वसा और प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में होता है।
मछली- विभिन्न प्रकार की मछली जैसे सालमन और ट्यूना 'विटामिन डी' के अच्छे स्रोत हैं।
दूध- विटामिन डी का यह भी एक बेहतरीन स्रोत है। हमें दिन भर में जितना विटामिन डी चाहिए होता है, उसका 20 फीसदी हिस्सा दूध पूरा कर देता है।
अंडों- प्रोटीन के साथ ही अंडे में विटामिन डी भरपूर मात्रा में होता है। हालांकि विटामिन डी ज्यादा अंडे की जर्दी में पाया जाता है। लेकिन फिर भी हमें इसे पूरा खाना चाहिए। अंडे का सफेद हिस्सा खाने से विटामिन डी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होती।
- कंचन सिंह
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