Pregnancy Food: प्रेग्नेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर में न करें इन चीजों का सेवन, बच्चे की सेहत पर पड़ सकता है बुरा असर

Pregnancy Food
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हम आपको बताने जा रहे हैं कि प्रेग्नेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर में किन-किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। एक्सपर्ट के हिसाब से प्रेग्नेंसी के पहली तीन महीनों में बैलेंस डाइट लेना चाहिए। यह मां और बच्चे के सेहत पर असर डालता है।

 प्रेग्नेंसी में शुरूआती तीन महीने काफी ज्यादा नाजुक होते हैं। इस दौरान महिलाओं को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए। वरना इसका सीधा असर बच्चे पर पड़ता है। क्योंकि प्रेग्नेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर में महिलाओं को कुछ चीजों को नहीं खाना चाहिए। क्योंकि सेहत के प्रति लापरवाही करने से प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे की जान पर भी खतरा हो सकता है। प्रेग्नेंसी का टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद महिलाओं को अपनी डाइट का ख्याल रखना चाहिए।

क्योंकि महिलाओं की डाइट बच्चे के विकास के लिए बेहद जरूरी होता है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि प्रेग्नेंसी में कुछ चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे मां और बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि प्रेग्नेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर में किन-किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। एक्सपर्ट के हिसाब से प्रेग्नेंसी के पहली तीन महीनों में बैलेंस डाइट लेना चाहिए। क्योंकि यह मां और बच्चे के सेहत पर सीधा असर डालता है। प्रेग्नेंसी के शुरूआती दौर में इन चीजों से दूरी बनाए रखना चाहिए।

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फर्स्ट ट्राइमेस्टर में न करें इन चीजों का सेवन

कच्चा और अधपका मांस

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कच्चा, अधपका, चिकन और अंडों का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इन चीजों में हानिकारक बैक्टीरिया पाई जाती है। जिसके कारण आपको कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। जोकि बच्चे और मां दोनों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। एक्सपर्ट के अनुसार, प्रेग्नेंसी की शुरूआत में कच्चे अंडे से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।

कुछ तरह की फिश

वैसे तो फिश प्रोटीन, ओमेगा 3 और फैटी एसिड का बेहतरीन सोर्स है। लेकिन कई फिशेज में हाई लेवल मर्करी पाया जाता है। जो बच्चे के नर्वस सिस्टम के विकास में नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में स्वॉर्डफिश, किंग मैकेरल, शार्क और और टाइलफिश का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि प्रेग्नेंसी में फिश खाना चाहती हैं, तो आपको सार्डिनेस, सेलमन और ट्राउट फिश का सेवन करना चाहिए।

अपाश्चुरीकृत डेयरी प्रोडक्ट

इसके अलावा प्रेग्नेंसी में अपाश्चुरीकृत दूध और डेयरी प्रोडक्ट भी नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इसमें कई तरह की सॉफ्ट चीजें शामिल होती है। सॉफ्ट चीजों में लिस्टेरिया बैक्टीरिया हो सकती है, जोकि इंफेक्शन के अलावा मिसकैरेज और स्टिलबर्थ की समस्या पैदा कर सकता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर में पाश्चुरीकृत डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करना चाहिए। 

कच्ची शेलफिश

प्रेग्नेंसी में कच्ची और अधपकी शेलफिश का सेवन नहीं करना चाहिए। शेलफिश में हानिकारक बैक्टीरिया और पैरासाइट हो सकते हैं, जो फूड पॉइजनिंग और अन्य बीमारियां हो सकती है। एक्सपर्ट के मुताबिक जब तक शेलफिश 

कैफीन

बता दें कि प्रेग्नेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर में अधिक कैफीन का सेवन करने से मिसकैरिज और लो-बर्थ वेट की समस्या हो सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान एक दिन में 200mg कैफीन के सेवन करने की सलाह दी जाती है। एक्सपर्ट के मुताबिक चॉकलेट, चाय, सोडा और एनर्जी ड्रिंक्स में कैफीन पाया जाता है। प्रेग्नेंसी में हेल्दी डाइट के साथ हेल्दी मॉर्निंग रूटीन फॉलो करना चाहिए।

एल्कोहल

प्रेग्नेंसी में महिलाओं को एल्कोहल का सेवन नहीं करना चाहिए। खासकर फर्स्ट ट्राइमेस्ट में एल्कोहल का सेवन करने से बच्चे के दिमाग के विकास पर असर पड़ता है।

फल और सब्जियां

प्रेग्नेंसी में डाइट में फल और सब्जियां शामिल करने की सलाह दी जाती है। लेकिन ध्यान रखें कि प्रेग्नेंसी में बिना धुले फल और सब्जियों का सेवन न करें। क्योंकि बिना धुले फल और सब्जियों पर कई तरह के बैक्टीरिया और पेस्टिसाइड मौजूद होते हैं। जिससे आपको इंफेक्शन का खतरा होता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में सुपरहेल्दी फूड्स का सेवन करना चाहिए।

प्रेग्नेंट महिलाओं को अनानास और कच्चा पपीता नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इसमें कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जिनसे आपको उल्टी की समस्या हो सकती है। इन फलों के सेवन से फर्स्ट ट्राइमेस्टर में ब्लीडिंग हो जाती है। वहीं प्रेग्नेंसी के दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर में प्री-मैच्योर लेबर दर्द की परेशानी भी हो सकती है। प्रेग्नेंसी में किसी भी तरह की समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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