जानिए सेक्सुअली ट्रांसमेटेड डिजीज क्या है और कैसे करें बचाव

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मिताली जैन । Aug 20 2019 5:42PM

सेक्सुअली ट्रांसमेटेड डिजीज होने पर व्यक्ति में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। वैसे पुरूषों व महिलाओं में इसके लक्षण अलग−अलग हो सकते हैं। जैसे स्त्रियों को योनि के आसपास के हिस्से में खुजली या योनि से स्त्राव भी हो सकता है, वहीं पुरूषों में भी लिंग से स्त्राव हो सकता है।

पिछले कुछ समय में एसटीडी यानी सेक्सुअली ट्रांसमेटेड डिजीज के मामले बढ़े हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जो असुरक्षित यौन संबंध बनाने के कारण होती है। योनी संभोग, मौखिक सम्भोग और गुदापरक सम्भोग जैसे अन्तरंग संबंध और यौन संपर्क से एसटीडी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक संचारित होते है। इस बीमारी का समय रहते इलाज करवाना जरूरी है। अन्यथा इससे व्यक्ति को गंभीर परेशानी हो सकती है। तो चलिए जानते हैं इस बीमारी के कारण व बचाव के बारे में− 

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पहचानें लक्षण

सेक्सुअली ट्रांसमेटेड डिजीज होने पर व्यक्ति में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। वैसे पुरूषों व महिलाओं में इसके लक्षण अलग−अलग हो सकते हैं। जैसे स्त्रियों को योनि के आसपास के हिस्से में खुजली या योनि से स्त्राव भी हो सकता है, वहीं पुरूषों में भी लिंग से स्त्राव हो सकता है। वहीं एसटीडी होने पर व्यक्ति को संभोग या मूत्र त्याग करते समय पीड़ा होती है। जननांगों पर मस्से होना भी एसटीडी का ही एक लक्षण है। इतना ही नहीं, इसके कारण व्यक्ति हरदम थकावट, रात में पसीना व वजन घटना भी शुरू हो जाता है।

हो सकता है घातक

सेक्सुअली ट्रांसमेटेड डिजीज व्यक्ति के लिए घातक साबित हो सकता है क्योंकि एसटीडी से अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। एसीटीडी के कारण व्यक्ति को ग्रीवा परक कैंसर और अन्य कैंसर हो सकते हैं। जिगर के रोग, अनउर्वरकता, गर्भ सम्बन्धी समस्याएं और अन्य कष्ट हो सकते हैं। कुछ प्रकार के एस टी डी एच आई वी/एड्स की सम्भावनाओं को बढ़ा देते हैं।

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प्रकार

सेक्सुअली ट्रांसमेटेड डिजीज कई प्रकार का होता है जैसे क्लैमाइडिया, गोनोरिया, ह्यूमन पैपीलोमावारस, हेपेटाइटिस ए।

क्लैमाइडिया

क्लैमाइडिया एक एसटीडी है जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नामक जीवाणु के कारण होता है। यह जीवाणु केवल मनुष्यों को संक्रमित करता है। क्लैमाइडिया विश्व स्तर पर जननांग और नेत्र रोगों का सबसे आम संक्रामक कारण है। क्लैमाइडिया पीडि़त होने पर महिलाओं में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते। वहीं, इसके लक्षणों में मूत्राशय के संक्रमण, योनि स्राव में परिवर्तन, पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द, दर्दनाक संभोग व पीरियड्स के बीच खून आना आदि शामिल हैं। यह बीमारी जन्म के समय मां से उनके बच्चे को भी लग सकता है। क्लैमाइडिया से ग्रस्त माताओं से उनके बच्चे को नेत्र संक्रमण और निमोनिया हो सकता है। 


एचपीवी

ह्यूमन पैपीलोमावारसइ यानी एचपीवी एक यौन संक्रमित बीमारी है। एचपीवी का सबसे आम लक्षण जननांगों, मुंह या गले पर मस्सा है। एचपीवी संक्रमण होने पर व्यक्ति को मौखिक कैंसर, ग्रीवा कैंसर, वल्वर कैंसर, शिश्न कैंसर व मलाशय का कैंसर हो सकता है। एचपीवी के लिए कोई उपचार नहीं है। हालांकि, एचपीवी संक्रमण अक्सर अपने आप ही साफ हो जाता है। एचपीवी 16 और एचपीवी 18 सहित कुछ सबसे खतरनाक उपभेदों से बचाने के लिए एक वैक्सीन भी उपलब्ध है।

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सिफलिस

सिफलिस एक अन्य जीवाणु संक्रमण है। यह अक्सर अपने शुरुआती चरण में किसी का ध्यान नहीं जाता है। इसके लक्षणों में सबसे पहले व्यक्ति को गोल घाव नजर आता है। यह आपके जननांगों, गुदा या मुंह पर विकसित हो सकता है। इसमें दर्द नहीं होता, लेकिन वास्तव में यह संक्रामक है। इसके अलावा इस बीमारी में व्यक्ति को लाल चकत्ते, थकान, बुखार, सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, वजन घटना व बाल झड़ने जैसे लक्षण नजर आते हैं। अगर इस बीमारी का इलाज न किया जाए तो व्यक्ति को देखने व सुनने में हानि, याददाश्त में कमी, मानसिक बीमारी, मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी का संक्रमण, दिल की बीमारी यहां तक कि व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

एचआईवी

यह भी एक यौन संचारित बीमारी है, जो आपके प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर करती है। यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो यह स्टेज 3 एचआईवी को जन्म दे सकता है, जिसे एड्स के रूप में जाना जाता है। इसके शुरूआती लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, दर्द एवं पीड़ा, सूजी हुई लसीका ग्रंथियां, गले में खराश, सिरदर्द, जी मिचलाना व चकत्ते आदि हो सकते हैं।

गोनोरिया

गोनोरिया नामक जीवाणु के कारण गोनोरिया नीसेरिया होता है। गोनोरिया एक अन्य आम जीवाणु एसटीडी है। इसे "क्लैप" के रूप में भी जाना जाता है। गोनोरिया के लक्षणों में मुख्य रूप से लिंग या योनि से सफेद, पीला, बेज या हरे रंग का स्त्राव, सेक्स या पेशाब के दौरान दर्द या परेशानी, सामान्य से अधिक लगातार पेशाब, जननांगों के आसपास खुजली होना व गले में खराश आदि हो सकता है। बच्चे के जन्म के दौरान मां से नवजात शिशु में यह बीमारी हो सकती है। जब ऐसा होता है, तो गोनोरिया शिशु में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। गोनोरिया का आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज किया जा सकता है।

ऐसे करें बचाव

अधिकतर एसटीडी बीमारियों का इलाज संभव है, लेकिन आप कोशिश करें कि आपको इस समस्या का सामना करना ही न पड़े। इसके लिए जरूरी है कि आप कुछ सावधानियां बरतें। जैसे संभोग के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करें। किसी भी व्यक्ति से संभोग करने से पहले यह अवश्य सुनिश्चित करें कि सामने वाले व्यक्ति को किसी प्रकार का यौन रोग न हो। किसी भी व्यक्ति से यौन संपर्क में आने से पहले सुनिश्चित करें कि आप सुरक्षित यौन संबंध ही बनाएंगे। माता−पिता, स्कूल, और समाज को सुरक्षित सेक्स के महत्व के बारे में बच्चों को पढ़ाया जाए और यह बताया जाए कि एसटीडी से संक्रमित होने से कैसे रोका जाए।

मिताली जैन

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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