हो जाएं सतर्क! प्रेगनेंसी में बढ़ जाता है शुगर होने का खतरा, करवाएँ ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट
प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज की जांच करने के लिए डॉक्टर ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। जेस्टेशनल डायबिटीज एक प्रकार का मधुमेह है जो केवल गर्भावस्था में होता है।
ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट एक प्रीनेटल टेस्ट है जो प्रेगनेंट महिलाओं में किया जाता है। यह टेस्ट गर्भवती महिला के शरीर में शुगर लेवल को मापने के लिए किया जाता है। प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज की जांच करने के लिए डॉक्टर ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। जेस्टेशनल डायबिटीज एक प्रकार का मधुमेह है जो केवल गर्भावस्था में होता है। जब प्रेगनेंसी के दौरान एक गर्भवती महिला का शरीर इंसुलिन प्रतिरोध से निपटने के लिए इंसुलिन के ऊंचे स्तर को प्राप्त करने में असमर्थ होता है, तो उसे जेस्टेशनल डायबिटीज़ होने का खतरा होता है।
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कैसे किया जाता है ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट?
ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट दो चरणों में किया जाता है। सबसे पहले प्रेगनेंट महिला को 75 ग्राम ग्लूकोज पीना होता है। इसके दो घंटे बाद, महिला का ब्लड सैंपल लिया जाता है। फिर महिला का ब्लड शुगर लेवल मापा जाता है। ग्लूकोज़ चैलेंज टेस्ट के परिणाम से पता चलता है कि प्रेगनेंट महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज़ हो सकता है। टेस्ट के परिणाम देखने के बाद ही डॉक्टर आगे कोई सलाह देता है। यदि टेस्ट के परिणाम सामान्य से ऊपर हैं, तो डॉक्टर आपको और अन्य टेस्ट करवाने के लिए भी कह सकता है।
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कब किया जाता है ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट?
ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट सभी प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए एक अनिवार्य और यूनिवर्सल स्क्रीनिंग टेस्ट है। यह टेस्ट आमतौर पर गर्भावस्था के 24वें और 28वें के बीच किया जाता है। हालाँकि, यदि आप मोटापे, गर्भकालीन मधुमेह के व्यक्तिगत इतिहास, मधुमेह के पारिवारिक इतिहास या अन्य कारकों के कारण जेस्टेशनल डायबिटीज के उच्च जोखिम में हैं तो डॉक्टर आपको प्रेगनेंसी के शुरूआती दिनों में भी यह टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। गर्भावस्था की शुरुआत में टेस्ट के असामान्य परिणाम यह संकेत दे सकते हैं कि आपको पहले से मौजूद टाइप 2 मधुमेह है। अंतिम बार यह टेस्ट प्रेग्नेंसी के 32वें-34वें सप्ताह में किया जाता है। जेस्टेशनल डायबिटीज़ से पीड़ित अधिकांश महिलाएं स्वस्थ बच्चे को जन्म देती हैं। हालांकि, यदि जेस्टेशनल डायबिटीज़ का सही इलाज न हो तो इसके कारण प्रेगनेंसी में कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। जेस्टेशनल डायबिटीज़ के कारण सी-सेक्शन डिलीवरी और जन्मजात विकृतियों की आशंका बढ़ जाती है।
- प्रिया मिश्रा
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