एनोरेक्सिया नर्वोसा बीमारी क्या होती है ? क्या है इस बीमारी का इलाज ?
एनोरेक्सिया नर्वोसा एक खाने का विकार है, जिसमें व्यक्ति का वजन सामान्य से भी कम होता है। इतना ही नहीं, इसमें व्यक्ति हमेशा ही वजन बढ़ने के डर से ग्रस्त रहता है। यूं तो यह बीमारी किसी को भी हो सकती है।
भोजन के बिना व्यक्ति के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। लेकिन कुछ व्यक्तियों के लिए भोजन ही एक समस्या बन जाती है। यहां तक कि भोजन ही उनके लिए बीमारी बन जाती है। ऐसी ही एक बीमारी का नाम है एनोरेक्सिया नर्वोसा। एनोरेक्सिया नर्वोसा नामक इस ईटिंग डिसआर्डर के चलते महिलाओं को कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। तो चलिए जानते हैं एनोरेक्सिया नर्वोसा नामक इस बीमारी के बारे में−
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क्या है एनोरेक्सिया नर्वोसा
एनोरेक्सिया नर्वोसा एक खाने का विकार है, जिसमें व्यक्ति का वजन सामान्य से भी कम होता है। इतना ही नहीं, इसमें व्यक्ति हमेशा ही वजन बढ़ने के डर से ग्रस्त रहता है। यूं तो यह बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं में इस बीमारी के लक्षण अधिक देखे जाते हैं। ऐसे में व्यक्ति अपने खाने की मात्रा को काफी हद तक प्रतिबंधित कर देता है। इतना ही नहीं, कई बार वजन को कम करने के लिए व्यक्ति भोजन के बाद उल्टी भी कर देता है। कभी−कभी इसके लिए जरूरत से ज्यादा व इंट्रेंस एक्सरसाइज भी करते हैं। वैसे तो एनोरेक्सिया नर्वोसा मेंटल हेल्थ डिसआर्डर नहीं है, लेकिन इस समस्या के चलते व्यक्ति अपनी जान तक को खतरे में डाल देता है।
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पहचानें लक्षण
कुछ फिजिकल, इमोशनल व बिहेवियरल लक्षणों के जरिए इस बीमारी के बारे में पहचाना जा सकता है और पहचान कर इसका इलाज किया जा सकता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का जरूरत से बहुत ज्यादा वेट लॉस, थिन बॉडी, इनसोमनिया, चक्कर आना, थकान महसूस करना, बालों का पतला करना, पीरियड का न होना या समय से न होना, पेट में दर्द, त्वचा का पीला व शुष्क होना, कब्ज, निर्जलीकरण, हाथ−पैरों में सूजन, रक्तचाप में गिरावट, बार−बार व्रत रखना, मील स्किप करना या बेहद कम मात्रा में भोजन करना, अत्यधिक व्यायाम, व खाने के बाद उल्टी करने जैसे लक्षण शामिल हैं।
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करें इलाज
जो भी व्यक्ति इस विकार से पीड़ित है, वह खुद की कुछ आदतों को बदल कर अपनी इस बीमारी पर काफी हद तक लगाम लगा सकता है। मसलन, किसी न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह पर एक हेल्दी डाइट को फॉलो करें और उन सभी न्यूट्रियंट्स को भोजन में शामिल करें, जो हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए जरूरी है। साथ ही योगा के जरिए स्ट्रेस व चिंता को कम करने का प्रयास करें। इसके अतिरिक्त इसके इलाज के लिए थेरेपी व दवाओं का भी सहारा लिया जा सकता है।
-मिताली जैन
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