Munjya Movie Review | मुंज्या : हंसी और भय का रोमांचक मिश्रण जो ताजगी से भरा है

Munjya Movie Review
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भारतीय ऑडियंस को हॉरर कॉमेडी बहुत पसंद आती है। यह फिल्में उनको हंसी और हैरानी के सफर पर लेकर जाती है। यह अद्वितीय जॉनर की फिल्में दर्शकों को दोनों दुनिया के बीच एक रोमांचक यात्रा प्रदान करती हैं, जहां उन्हें हंसी के बीच भय और आश्चर्य का अनुभव होता है।

भारतीय ऑडियंस को  हॉरर कॉमेडी बहुत पसंद आती है। यह फिल्में उनको हंसी और हैरानी के सफर पर लेकर जाती है। यह अद्वितीय जॉनर की फिल्में  दर्शकों को दोनों दुनिया  के बीच एक रोमांचक यात्रा प्रदान करती हैं, जहां उन्हें हंसी के बीच भय और आश्चर्य का अनुभव होता है।

मैडॉक फिल्म्स ने फिल्म स्त्री के साथ अपने सुपरनैचुरल यूनिवर्स का निर्माण शुरू किया था। इसमें उसके बाद रूही, भेड़िया जैसे करैक्टर शामिल हुए और अब इस यूनिवर्स को एक नया भूत मिल गया है जिसका नाम है मुंज्या।  इस फिल्म में भूतपूर्व, भय और मजेदार हास्य का खास खजाना है, जो दर्शकों को एक साथ खिंचकर रखता है।

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फिल्म की कहानी शुरू होती है 1952 में। एक ब्राह्मण लड़का मुन्नी नाम की लड़की से बेहद प्यार करता है। लेकिन उसका यह प्यार उसके घर वालों को मंजूर नहीं होता। उसकी माँ को जब यह पता चलता है तो वह उसको एक अनुष्ठान समारोह में शामिल होने के लिए मजबूर करती है। मुन्नी के लिए अपने प्यार को साबित करने के लिए वह लड़का जंगल में जाकर एक खतरनाक अनुष्ठान करने की कोशिश करता है लेकिन वह सब उल्टा हो जाता है जिस वजह से उस लड़के की मौत हो जाती है। उसका परिवार उसे उसी पेड़ के नीचे दफना देता है जहां यह अनुष्ठान हुआ था।

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कहानी तेजी से आगे बढ़ती है और आज के समय में  पुणे में पहुँचती है , जहाँ बिट्टू (अभय वर्मा), एक आरक्षित कॉस्मेटोलॉजी का छात्र, अपनी माँ पम्मी (मोना सिंह) और दादी के साथ रहता है। बिट्टू बेला (शरवरी )के लिए भावनाएँ रखता है, लेकिन उन्हें व्यक्त करने के लिए संघर्ष करता है। एक पारिवारिक विवाह के बीच, लंबे समय से छिपे हुए रहस्य फिर से सामने आते हैं, विशेष रूप से चेतुक-बाड़ी के बारे में, वह स्थान जहाँ मुंज्या की उत्पत्ति हुई थी। 

इसके बाद बिट्टू के सामने एक राज़ खुलता है कि दादी ही वह लड़की है जिसने अपने भाई को दुष्ट आत्मा, मुंज्या में बदल दिया था। अब बिट्टू को मुंज्या का सामना करना होगा और उसे रोकना होगा,.इस सब में उसकी दादी की मौत हो जाती है।  अब मुंज्या बेला को अपना शिकार बना लेता है, तो बिट्टू को मुन्नी को ढूंढ़ना होता है।  मुन्नी कोई और बही बल्कि बेला की दादी ही है।  एक भूत निकालने वाले की मदद से, बिट्टू बेला को मुंज्या के चंगुल से कैसे बचाता है ,यही आगे की कहानी है। 

फिल्म में आदित्य सरपोतदार का डायरेक्शन बहुत कमाल का है। फिल्म की कहानी नयी है और स्क्रीन राइटर  योगेश चांदेकर  और निरेन भट्ट ने इस हॉरर कॉमेडी को बहुत अलग रखा है। इस फिल्म में काफी नयापन है जो ऑडियंस ने पहले नहीं देखा। 

फिल्म की कास्ट ने फिल्म को पूरी तरह से अपने कंधो पर संभाला है। सभी ने बेहद प्रशंसनीय प्रदर्शन दिखाया है। अभय वर्मा बिट्टू के रूप में सबका दिल जीत लेंगे। शरवरी ने भी साबित किया है वह इंडस्ट्री में काफी आगे जाने वाली है। मोना सिंह का प्रदर्शन सबको पसंद आएगा। 

इस फिल्म की सीजीआई ने दर्शकों को एक अलग और शानदार विज़ुअल अनुभव प्रदान किया है। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म को उसके संवेदनशील पलों के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है, जो दर्शकों को कहानी के साथ जोड़कर रखता है। 

दिनेश विजन और अमर कौशिक द्वारा निर्मित, यह फिल्म डर और हंसी का एक जादुई मिश्रण प्रस्तुत करती है जिसे आपको मिस नहीं करना चाहिए।

डायरेक्टर : आदित्य सरपोतदार 

प्रोड्यूसर : दिनेश विजन और अमर कौशिक 

कास्ट : शरवरी वाघ, मोना सिंह, अभय वर्मा, सत्यराज 

समय : 123 मिनट 

स्टार : 4

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