इस सप्ताह माता शीतला की पूजा करें, हर प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलेगी
शीतला सप्तमी चैत्र माह के कृष्णपक्ष के दिन पड़ती है और इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि माता शीतला देवी दुर्गा और पार्वती जी का अवतार हैं और इन्हें हर प्रकार के रोगों का उपचार प्रदान करने की शक्ति प्राप्त है।
मार्च माह के अंतिम सप्ताह में पड़ने वाले पर्व एवं त्योहारों की बात करें तो इनमें रंग पंचमी, शीतला सप्तमी, शीतला अष्टमी, कालाष्टमी, मासिक कालाष्टमी, कालभैरव जयन्ती और पापमोचिनी एकादशी प्रमुख हैं। आइए डालते हैं इन व्रत और पर्वों पर विस्तृत नजर।
सोमवार- 25 मार्च को रंग पंचमी- होली के पांच दिन बाद रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। रंग पंचमी को धनदायक माना जाता है और इस पर्व की धूम खासतौर पर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में देखने को मिलती है। इस दिन राधा कृष्ण जी को अबीर गुलाल लगाया जाता है।
बुधवार- 27 मार्च को शीतला सप्तमी- शीतला सप्तमी चैत्र माह के कृष्णपक्ष के दिन पड़ती है और इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि माता शीतला देवी दुर्गा और पार्वती जी का अवतार हैं और इन्हें हर प्रकार के रोगों का उपचार प्रदान करने की शक्ति प्राप्त है। शीतला सप्तमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है।
इसे भी पढ़ें: कानपुर के अनोखे माता मंदिर में मन्नत पूरी करने के लिए चढ़ाये जाते हैं ताले
गुरुवार- 28 मार्च को बसोड़ा- शीतला अष्टमी, कालाष्टमी और वर्षी तप आरम्भ। कालाष्टमी पर्व को काला अष्टमी के नाम से भी जानते हैं और हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान यह पर्व मनाया जाता है।
रविवार- 31 मार्च को पापमोचिनी एकादशी- संवत् वर्ष की अंतिम एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी युगादी से पहले पड़ती है और होलिका दहन और चैत्र नवरात्रि के बीच में आती है।
अन्य न्यूज़