Saubhagya Sundari Vrat: सौभाग्य सुंदरी व्रत से जीवन में आती है खुशहाली

shiv parvati
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धार्मिक मान्यता के अनुसार सौभाग्य सुंदरी व्रत से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यदि आपकी कुंडली में मांगलिक दोष है तो इस व्रत को करने से वह भी कम होता है। यदि किसी कन्या के विवाह में अड़चन आ रही हो तो इस व्रत को करने से सभी बढ़ाएं दूर हो जाती हैं।

आज सौभाग्य सुंदरी तीज है, इसको सौभाग्य सुंदरी व्रत भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर देवी मां का पूजन करती हैं और परिवार की सुख-समृद्धि व कल्याण की कामना करती है तो आइए हम आपको सौभाग्य सुंदरी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं। 

जानें सौभाग्य सुंदरी व्रत के बारे में 

सौभाग्य सुंदरी तीज, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत माघ महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन व्रत रखने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है और वैवाहिक जीवन में खुशहाली रहती है। माघ माह आरंभ हो चुका है। इस महीने कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार आएंगे जिसमें सौभाग्य सुंदरी तीज भी एक है। पंचांग के अनुसार सौभाग्य सुंदरी तीज माघ महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल सौभाग्य सुंदरी व्रत 16 जनवरी को पड़ रहा है।

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सौभाग्य सुंदरी व्रत से जुड़ी खास बातें

इस दिन महिलाएं चमकीले कपड़े पहनती हैं और जटिल अनुष्ठान करती हैं। यह व्रत विशेष रूप से उत्तरी भारत में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने परिवार की समृद्धि और मांगलिक दोष सहित ग्रह दोषों को खत्म करने के लिए प्रार्थना करती हैं। इस दिन वैवाहिक संबंधों में सद्भाव और समृद्धि लाने के लिए देवी पार्वती की पूजा की जाती है।

सौभाग्य सुंदरी व्रत का महत्व 

धार्मिक मान्यता के अनुसार सौभाग्य सुंदरी व्रत से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यदि आपकी कुंडली में मांगलिक दोष है तो इस व्रत को करने से वह भी कम होता है। यदि किसी कन्या के विवाह में अड़चन आ रही हो तो इस व्रत को करने से सभी बढ़ाएं दूर हो जाती हैं। 

सौभाग्य सुंदरी व्रत की पूजा ऐसे करें 

पंडितों के अनुसार सौभाग्य सुंदरी व्रत खास होता है इसलिए सौभाग्य सुंदरी तीज के दिन महिलाओं सबसे पहले जल्दी उठकर स्नान करें और नए वस्त्र पहनकर अच्छी तरह साज-श्रृंगार करें। इस दिन सुहाग से जुड़ी चीजों जैसे मेहंदी, कुमकुम, आलता, सिंदूर आदि को श्रृंगार में जरूर शामिल करें। इसके बाद मां पार्वती और भगवान शिव की एक साथ पूजा करें। मां पार्वती का भी श्रृंगार करें और पूजा में उन्हें सुहाग का सामान चढ़ाएं। इसके बाद धूप-दीप जलाएं, साथ ही इस दिन भगवान गणेश की भी पूजा जरूर करें। सौभाग्य सुंदरी व्रत के दिन महिलाएं निर्जला उपवास भी रखती हैं तो कुछ महिलाएं पूजा के बाद फलाहार करती हैं।

सौभाग्य सुंदरी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा 

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवी सती के पिता ने जब उनके पति शिवजी का उपहास उड़ाते हुए उनका अपमान किया तो इससे दुखी होकर सती ने अग्नि में अपने शरीर का त्याग दिया था । लेकिन अग्निकुंड़ में शरीर त्यागते समय सती ने अपने पिता से यह वादा किया कि वह हर जन्म में शिव की पत्नी के रूप में ही वापस आएंगी। सती का अगला जन्म पार्वती के रूप में हुआ । इस जन्म में भी माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाया। लेकिन इसके लिए पार्वती को घोर तपस्या करनी पड़ी। आखिर कार शिव जी उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

इसके बाद से सौभाग्य सुदंरी तीज व्रत की परंपरा चली आ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत के प्रभाव से सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है और वैवाहिक जीवन में खुशहाली रहती है।

सौभाग्य सुंदरी तीज के दौरान करें ये अनुष्ठान

सौभाग्य सुंदरी तीज के दिन महिलाएं सूर्योदय के समय उठती हैं और जल्दी स्नान करती हैं। वे विवाहित महिलाओं के 16 श्रृंगार करती हैं और अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनती हैं। इन 16 श्रृंगारों में से कुछ हैं मेहंदी, कुमकुम, चूड़ियाँ, रोली, हल्दी पाउडर, सुपारी, सिंदूर और पायल।

सौभाग्य सुंदरी तीज के अवसर पर, विवाहित महिलाएं देवी मां (देवी पार्वती का एक रूप) की पूजा करती हैं। महिलाएं भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं और अनुष्ठानिक तरीके से सभी पूजाएं करती हैं। भगवान और देवी की मूर्तियों को लाल कपड़े में लपेटा जाता है और लकड़ी के मंच पर रखा जाता है। सामने एक मिट्टी का दीपक जलाया जाता है और देवताओं को मोली, रोली, चावल, सुपारी और पान के रूप में विभिन्न प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। देवी पार्वती की मूर्ति को भी 16 श्रृंगारों से खूबसूरती से सजाया जाता है। अनुष्ठानों के अनुसार, पूजा के दौरान सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। सौभाग्य सुंदरी तीज पूजा करते समय भगवान शिव के पूरे परिवार के साथ-साथ नौ ग्रहों की भी पूजा की जाती है।

इस दिन भक्त अपने घर पर ब्राह्मण को आमंत्रित करते हैं। महिलाएं देवी पार्वती को भोग लगाने के लिए इस दिन के लिए एक विस्तृत और विशेष भोजन तैयार करती हैं। पूजा के बाद, ब्राह्मण को भोजन कराने और फिर उसे कपड़े और ‘दक्षिणा’ देने की प्रथा है।

सौभाग्य सुंदरी तीज के दिन महिलाएं कठोर व्रत रखती हैं। वे पूरे दिन कुछ भी नहीं खाती-पीती हैं। सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत सभी पूजा अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद तोड़ा जाता है। महिलाएं अपने पति के कल्याण और दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं।

- प्रज्ञा पाण्डेय

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