Mahalaxmi Vrat 2024: महालक्ष्मी व्रत से जीवन में नहीं आता है आर्थिक संकट

Mahalaxmi Vrat 2024
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महालक्ष्मी व्रत गणेश चतुर्थी के पांच दिन बाद रखा जाता है. पंचांग के अनुसार इसकी शुरुआत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि से होती है और समापन आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होता है. इस तरह पूरे 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत रखा जाता है।

24 सितम्बर को महालक्ष्मी व्रत है, हिन्दू धर्म में इस व्रत का बहुत महत्व है। महालक्ष्मी व्रत से न केवल मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है बल्कि श्री विष्णु भी भक्तों को आर्शीवाद देते हैं, तो आइए हम आपको महालक्ष्मी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं। 

जानें महालक्ष्मी व्रत के बारे में 

महालक्ष्मी व्रत गणेश चतुर्थी के पांच दिन बाद रखा जाता है. पंचांग के अनुसार इसकी शुरुआत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि से होती है और समापन आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होता है. इस तरह पूरे 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत रखा जाता है। इस साल 11 सितंबर 2024 से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत होगी और 24 सितंबर 2024 को इसका समापन होगा।11 सितंबर को महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत आयुष्मान और प्रीति योग के साथ होगी। महालक्ष्मी व्रत पूजा को गजलक्ष्मी और हाथी पूजा के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि इसमें हाथी की पूजा की जाती है।

कब है महालक्ष्मी व्रत

ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस साल महालक्ष्मी व्रत 24 और 25 सितंबर दोनों दिन हैं। आपको बता दें महालक्ष्मी व्रत शायं कालीन और रात्रिकालीन व्रत होता है, चूंकि सप्तमी तिथि 24 सितंबर की शाम को 5:45 पर आ जाएगी।

महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त

सप्तमी तिथि

सप्तमी तिथि का प्रारंभ: 24 सितंबर को शाम 05:45 बजे से

सप्तमी तिथि की समाप्ति: 25 सितंबर को शाम 04:44 मिनट तक

क्यों रखा जाता है महालक्ष्मी का व्रत 

जीवन में सभी तक की सुख समृद्धि और धन संपत्ति प्राप्ति के लिए दीपावली पर मां लक्ष्मी की तरह क्वांर के महीने में महालक्ष्मी का व्रत किया जाता है। इसे गज लक्ष्मी व्रत कभी कहते हैं।

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महालक्ष्मी व्रत से जुड़ी कथा 

एक गांव में एक गरीब ब्राह्मणी रहती थी। वह नियमित भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा करती थी। भक्त की श्रद्धा-भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णुजी ने उसे दर्शन दिए और भक्त से वरदान मांगने को कहा। ब्राह्मणी ने कहा कि, मैं बहुत गरीब हूं मेरी इच्छा है कि मेरे घर पर मां लक्ष्मी का वास रहे। विष्णुजी ने ब्राह्मणी को एक उपाय बताया, जिससे कि उसके घर में मां लक्ष्मी का आगमन हो। भगवान विष्णु ने बताया कि, तुम्हारे घर से कुछ दूर एक मंदिर है वहां एक स्त्री आकर उपले थापती है। तुम उस स्त्री को अपने घर पर आमंत्रित करो, क्योंकि वही मां लक्ष्मी है। ब्राह्मणी ने ऐसा ही किया और उस स्त्री को अपने घर आने का निमंत्रण दिया और उस स्त्री ने ब्राह्मणी से कहा कि वह 16 दिनों तक मां लक्ष्मी की पूजा करें।

ब्राह्मणी ने 16 दिनों तक मां लक्ष्मी की उपासना की, इसके बाद मां लक्ष्मी ने गरीब ब्राह्मणी के घर निवास किया। इसके बाद उसका घर धन-धान्य से भर गया। मान्यता है कि, तभी से 16 दिनों तक चलने वाले महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हुई। जो व्यक्ति 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत रखकर लक्ष्मी जी की उपासना करता है मां लक्ष्मी उससे प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

महालक्ष्मी व्रत का हिन्दू धर्म में है खास महत्व 

महालक्ष्मी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वैसे तो यह खासतौर महाराष्ट्र में मनाया जाता है, लेकिन इसके साथ ही देश के अन्य क्षेत्रों में भी लोग इस व्रत को करते हैं। इसमें मां लक्ष्मी के विभिन्न रूपों में पूजा होती है। पंडितों के अनुसार महालक्ष्मी व्रत रखने और पूजन करने वालों पर देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और उसे जीवन में आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। 

महालक्ष्मी व्रत में ऐसे करें पूजा 

इस साल महालक्ष्मी व्रत कई शुभ योग के साथ शुरू हो रहा है। ऐसे में देवी मां की पूजा करने के लिए पहले सुबह ही स्नान कर लें। इसके बाद पूजा स्थान पर नारियल, कलश, कपूर और घी आदि सभी सामग्रियों को एकत्रित कर लें। अब सबसे पहले पूजा स्थल पर एक चौकी लगाएं। इस चौकी पर लाल कपड़ा बिछाए। फिर चौकी पर माता लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित कर दें। इसके बाद उन्हें चुनरी चढ़ाएं। अब 16 श्रृंगार के सामानों के साथ नारियल, चंदन, पुष्प, अक्षत, फल समेत सभी चीजें अर्पित करते जाए। फिर आप एक कलश में साफ जल भरकर उसपर नारियल रखे। बाद में इसे माता के पास स्थापित कर दें। लक्ष्मी माता के मंत्रों का जाप करते हुए उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं। फिर सभी फल मिठाई उन्हें अर्पित कर दें। अब महालक्ष्मी आरती करें।

इसके बाद महालक्ष्मी व्रत की कथा पढ़ें और आरती करें। महालक्ष्मी व्रत पूरे 16 दिनों तक रखा जाता है, हालांकि यह निर्जला व्रत नहीं होता, लेकिन अन्न ग्रहण करने की मनाही होती है। आप इस व्रत को फलाहार रख सकते हैं, 16वें दिन व्रत का उद्यापन किया जाता है। यदि आप 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत करने में असमर्थ हैं तो शुरुआत के 3 या आखिर के 3 व्रत रख सकते हैं। अंत में पूजा में हुई भूल की क्षमा मांगे। पूजा में जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे। अंत में परिवार के सदस्यों के साथ पूजा-स्थल पर मौजूद सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें।

महालक्ष्मी व्रत का महत्व 

इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में धन धान्य की कमी नहीं होती। इसे करने से महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। महालक्ष्मी व्रत की कथा अनुसार इस व्रत को माता कुंती ने किया था। इसके लिए स्वर्गलोक से गजराज धरती पर आए थे।

रवि योग में महालक्ष्मी व्रत 2024

महालक्ष्मी व्रत का शुभारंभ रवि योग में हो रहा है। रवि योग आज रात 9 बजकर 22 मिनट से कल सुबह 6 बजकर 5 मिनट तक है। महालक्ष्मी व्रत के पहले दिन प्रीति योग सुबह से लेकर रात 11:55 बजे तक है, उसके आयुष्मान होगा।

- प्रज्ञा पाण्डेय 

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