Kartik Pradosh Vrat 2024: कार्तिक भौम प्रदोष व्रत होता है शुभ फलदायक

Kartik Pradosh Vrat
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कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए यह व्रत भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। पंडितों के अनुसार इस दिन सुबह जल्दी उठें और घर की साफ सफाई करें और इसके बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

आज भौम प्रदोष व्रत है, भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत बहुत खास माना जाता है। इस व्रत को करने से भक्तों को अनेक प्रकार के लाभ होते हैं, और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है तो आइए हम आपको भौम प्रदोष व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं। 

जानें कार्तिक भौम प्रदोष व्रत के बारे में 

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस बार कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा। उस दिन मंगलवार है, इस वजह से यह भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। वैसे तो यह अक्टूबर माह का अंतिम प्रदोष व्रत है, प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त के बाद होती है। इस बार भौम प्रदोष व्रत की पूजा के समय हस्त नक्षत्र है, इस दिन किए कुछ कार्यों से शुभ फलों की प्राप्ति होती है, वहीं, कुछ कार्यों को करने की मनाही भी होती है।

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कार्तिक भौम प्रदोष व्रत पर करें ये उपाय, मिलेगा लाभ

पंडितों के अनुसार महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में खुशहाली लाने, वंश वृद्धि बढ़ाने और सुख समृद्धि बनाए रखने के लिए दूध में केसर मिलाकर प्रदोष काल में शिवलिंग पर अर्पित करें और जौ के आटे को भगवान शिव के चरणों में अर्पित कर इसकी रोटियां बनाएं। फिर इन रोटियों को गाय के बछड़े को खिलाएं। इससे घर में धन संपत्ति में वृद्धि होगी और इनकम की स्थिति भी सुधरेगी, इससे आपकी सभी परेशानियां खत्म हो जाएंगी।

कार्तिक भौम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इस कार्तिक प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 29 अक्टूबर 2024 की शाम 5 बजकर 38 मिनट से लेकर रात के 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।

कार्तिक भौम प्रदोष व्रत पर ऐसे करें पूजा 

कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए यह व्रत भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। पंडितों के अनुसार इस दिन सुबह जल्दी उठें और घर की साफ सफाई करें और इसके बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब भगवान शिव का स्मरण करते हुए प्रदोष व्रत का संकल्प लें। अब घर के मंदिर या पूजा स्थल की अच्छे से साफ सफाई करें और शुद्धि के लिए गंगाजल छिड़कें। भौम प्रदोष व्रत में हनुमान जी की पूजा अर्चना करना विशेष शुभ फलदायक माना जाता है, इसलिए भगवान शिव और माता पार्वती के साथ साथ हनुमान जी की भी प्रतिमा स्थापित करें और पूजा अर्चना करें।

प्रदोष काल की पूजा के समय भी भगवान शिव और माता पार्वती के साथ साथ हनुमान जी की पूजा अर्चना करें। शुद्ध घी का दीपक और धूप जलाएं और शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी आदि से अभिषेक करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, चंदन, फूल आदि चढ़ाएं, मां पार्वती और हनुमान जी को भी तिलक करें और अक्षत, फल और फूल आदि अर्पित करें। फिर भगवान शिव की पूजा करते हुए मंत्रों का जाप करें, भौम प्रदोष व्रत की कथा सुनें। हनुमान जी की पूजा अर्चना के लिए हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें और प्रसाद में उनको बूंदी या बूंदी के लड्डू अर्पित करें।  पंडितों का मानना है कि भौम प्रदोष व्रत के दिन हनुमान जी की पूजा अर्चना करने से मंगल ग्रह की शांति होती है और मंगल ग्रह से संबंधित दोष दूर हो जाते हैं।

भौम प्रदोष व्रत का महत्व 

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व माना जाता है, यह व्रत बहुत शुभ और लाभदायक माना जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा पाने का यह एक खास अवसर होता है, प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति बीमारियों और समस्याओं से मुक्त हो जाता है। यह व्रत स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। पंडितों का मानना है कि यह व्रत करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और साधक को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। संतान प्राप्ति की इच्छा के लिए भी यह यह व्रत विशेष फलदायक माना जाता है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत ग्रह दोषों को दूर करने में भी सहायक होता है। विशेषकर मंगल ग्रह से संबंधित दोषों के निवारण के लिए भौम प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना है।

भौम प्रदोष व्रत शुभ संयोग 

इस बार भौम प्रदोष व्रत के दिन तीन शुभ संयोग बनेंगे। भौम प्रदोष में पुष्कर योग प्रातः  6:31 बजे से प्रातः 10:31 बजे तक रहेगा। दूसरी ओर, इंद्र योग प्रातः 7:48 बजे तक रहेगा। इसके बाद वैधृति योग रहेगा। व्रत के दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र सुबह से शाम 6 बजकर 34 मिनट तक है। उसके बाद से हस्त नक्षत्र है, जो पूरी रात है।

भौम प्रदोष व्रत है कार्तिक मास का पहला प्रदोष व्रत

कार्तिक मास का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के दिन रखा जाएगा। इस दिन मंगलवार है, इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा, अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक ये अक्टूबर का आखिरी प्रदोष व्रत है लेकिन कार्तिक मास का पहला प्रदोष होगा।

- प्रज्ञा पाण्डेय

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