Kajari Teej 2024: कजरी तीज व्रत से जीवन में आती है खुशहाली
कजरी तीज के दिन सबसे पहले सुबह नहा कर लाल या हरे रंग के साफ कपड़े पहने। उसके बाद नीमड़ी माता को जल, रोली, चावल, मेंहदी और सुहाग का सामना चढ़ाएं। कई जगह सुहाग की निशानियों को दान में देने का रिवाज है।
आज कजरी तीज है, इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना हेतु निर्जला व्रत करती हैं। पूरे साल मनाए जाने वाले तीन तीज में कजरी तीज का महत्व सबसे अधिक है, तो आइए हम आपको कजरी तीज व्रत के महत्व और पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें कजरी तीज के बारे में खास बातें
कजरी तीज का त्योहार उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, बिहार और मध्य प्रदेश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। कजरी तीज का त्योहार हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। कजरी तीज को कजली तीज, बूढ़ी तीज और सातूड़ी तीज भी कहा जाता है। इस मौके पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। साथ ही कई महिलाएं निर्जला व्रत भी करती हैं।
ऐसे करें कजरी तीज की पूजा, मिलेगा लाभ
कजरी तीज के दिन सबसे पहले सुबह नहा कर लाल या हरे रंग के साफ कपड़े पहने। उसके बाद नीमड़ी माता को जल, रोली, चावल, मेंहदी और सुहाग का सामना चढ़ाएं। कई जगह सुहाग की निशानियों को दान में देने का रिवाज है। पूजा घर में घी का दीपक जलाएं शिव-पार्वती के मंत्रों का जाप कर दिन भर व्रत रखें।
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कजरी तीज की पूजा में करें इन सामग्रियों का इस्तेमाल
पंडितों के अनुसार कजरी तीज का व्रत रखने वालों को एक दिन पहले कुछ खास सामग्री की व्यवस्था कर लेनी चाहिए। इसकी पूजा में एक दीपक, घी, तेल, कपूर, कच्चा सूता, नए वस्त्र, केला के पत्ते, बेलपत्र, शमी के पत्ते, जनेऊ, जटा नारियल, सुपारी, कलश, भांग, धतूरा, दूर्वा घास, पीला वस्त्र, हल्दी, चंदन, श्रीफल, गाय का दूध, गंगाजल, दही, मिश्री, शहद और पंचामृत जैसी सामग्री की आवश्यकता रहती है।
कजरी तीज व्रत में इन नियमों का करें पालन
कजरी तीज का व्रत बहुत खास होता है, इसलिए इसकी पहले से ही तैयारी शुरु कर दें। व्रत शुरू करने से पहले सुबह उठकर कुछ खा लें। उपवास शुरू करने से पहले फल का सेवन कर सकती हैं। इसके अलावा अगर आप कोई एक्सरसाइज करती हैं तो न करें, इससे आप थकान से बचेंगी। साथ ही व्रत में हैवी और ऑयली चीजें खाने से परहेज करें। आप दिन में फल या जूस ले सकती हैं। शरीर की ऊर्जा बनी रहे इसके लिए ताजे फलों का जूस पीएं। व्रत में पानी जरूर पीएं, इससे आपको डिहाइड्रेशन से बच जाएंगे।
कजरी तीज का शुभ मुहूर्त
पचांग के अनुसार इस बार कजरी तीज पूजा के लिए तृतीया तिथि का प्रारंभ बुधवार 21 अगस्त 2024 को शाम 05:06 मिनट से होगा और तृतीया तिथि का समापन 22 अगस्त 2024, गुरुवार को दोपहर 01:46 मिनट पर होगा। ऐसे में कजरी तीज का आरम्भ 21 अगस्त को हो जाएगा। वहीं, सूर्योदय तिथि के आधार पर 22 अगस्त को भी कजरी तीज का व्रत मान्य रहेगा। आप सुबह उठकर कजरी तीज पूजा करके इस त्योहार को मना सकते हैं।
कजरी तीज का है खास महत्व
देश भर में केवल एक तीज नहीं मनायी जाती है बल्कि साल भर में तीन तरह की तीज मनायी जाती है। कजरी तीज के साथ ही हरियाली तीज, हरतालिका तीज का भी व्रत रखा जाता है। कजरी तीज की कथा के अनुसार तीज के दिन भगवान शिव से विवाह के लिए कठोर तपस्या के फलस्वरूप मां पार्वती ने शिव को प्राप्त किया था। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा होती है।
कजरी तीज पर चंद्रमा को दिया जाता है अर्घ्य
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कजरी तीज के दिन चंद्रमा को अघर्य देना अच्छा माना जाता है। इस दिन शाम को पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता है। उसके बाद चंद्रमा को मौली, अक्षत और रोली चढ़ाएं। अघर्य देते समय इस बात का ख्याल रखें कि चांदी की अंगूठी और गेंहू के दानों को हाथ में लेकर अपने स्थान पर परिक्रमा करें।
जानें खास बातें, कजरी तीज क्यों मनाई जाती है
कजरी तीज संतान प्राप्ति के लिए मनाई जाती है। जो स्त्रियां और पुरुष संतान सुख की कामना रखते हैं, वे कजरी तीज का व्रत रखकर विधि-विधान के साथ पूजा कर सकते हैं। कजरी तीज एक सजीला पर्व है, यानी इस दिन स्त्रियां साज-श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके सुखी वैवाहिक जीवन और संतान प्राप्ति की कामना करती हैं। कई जगहों पर इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के झूले को फूलों से सजाकर कृष्ण भजन भी गाए जाते हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन देवी पार्वती पहली बार भगवान शिव से मिली थी।
जानें कजरी तीज की खास बातें
कजरी तीज पर शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही नीमड़ी माता का पूजन करके चंद्रमा को जल भी अर्पित किया जाता है। कजरी तीज पर विवाहित स्त्रियां सोलह-श्रृंगार करके झूला झूलती हैं। कजरी तीज को संतान प्राप्ति के लिए खास माना जाता है, इसलिए महिलाएं संतान सुख पाने के लिए विधि-विधान के साथ पूजा करके तीज माता की कथा भी सुनती हैं।
कजरी तीज की पौराणिक कथा
कजरी तीज से जुड़ी एक प्रमुख पौराणिक कथा है। यह कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इस तपस्या और प्रेम की कहानी को याद करते हुए, कजरी तीज के दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इसके अलावा, कजरी तीज के दिन महिलाएं कजरी गीत भी गाती हैं, जिनमें प्रकृति के सौंदर्य, प्रेम और रिश्तों का वर्णन होता है। जहां हरियाली तीज सावन के महीने में मनाया जाता है, वहीं कजरी तीज श्रावण मास के समापन के बाद आता है।
कजरी तीज व्रत में इन बातों का रखें ख्याल
कजरी तीज का त्यौहार महिलाओं के लिए खास होता है। इस दिन स्त्रियां नीमड़ी माता की पूजा करती हैं। कजरी तीज का व्रत सुहागन स्त्रियां करती हैं। महिलाएं सुख-समृद्धि की कामना के लिए श्रद्धा पूर्वक यह व्रत करती हैं। अक्सर यह व्रत निर्जला रखा जाता है। लेकिन अपनी गर्भवती महिलाएं अपने सेहत का ख्याल रखते हुए जल और फलाहार ग्रहण कर सकती हैं। कुंवारी लड़कियां भी इस व्रत को अच्छे पति की कामना से करती हैं। इस दिन गाय की पूजा करके गाय को आटे की सात लोईयों पर गुड़ और घी रखकर खिलाया जाता है। गाय की इस प्रकार पूजा करने के पश्चात ही व्रत का पारण किया जाता है।
- प्रज्ञा पाण्डेय
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