Guru Pradosh Vrat 2023: गुरु प्रदोष व्रत से मिलता है वैवाहिक सुख
हर महीने के कृष्ण पक्ष तथा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता है। प्रदोष व्रत में सोम प्रदोष, मंगल प्रदोष और शनि प्रदोष का विशेष महत्व होता है। अश्विन माह का दूसरा प्रदोष व्रत गुरुवार को है। गुरु प्रदोष व्रत बहुत ही मंगलकारी और शुभफलदायी माना जाता है।
आज गुरु प्रदोष व्रत है, हिन्दू धर्म में इसका खास महत्व है। इस दिन शिव जी की आराधना की जाती है, तो आइए हम आपको गुरु प्रदोष व्रत के महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें गुरु प्रदोष के बारे में
हर महीने के कृष्ण पक्ष तथा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता है। प्रदोष व्रत में सोम प्रदोष, मंगल प्रदोष और शनि प्रदोष का विशेष महत्व होता है। अश्विन माह का दूसरा प्रदोष व्रत गुरुवार को है। गुरु प्रदोष व्रत बहुत ही मंगलकारी और शुभफलदायी माना जाता है। इस प्रदोष व्रत को करने से भगवान शिव के साथ ही भगवान विष्णु की कृपा का भी लाभ मिलता है। अश्विन माह का शुक्ल पक्ष चल रहा है ऐसे में इस दौरान गुरु प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है। पंडितों का मानना है कि गुरु प्रदोष का व्रत करने वाले को 100 गाय को दान करने के समान फल की प्राप्ति होती है। इस साल अश्विन माह का दूसरा प्रदोष व्रत 26 अक्टूबर 2023 को है। प्रदोष काल के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का गुणगान करते हैं। इसी कारण प्रदोष व्रत में शाम के समय शिवलिंग का अभिषेक करने पर सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
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गुरु प्रदोष व्रत 2023 मुहूर्त
पंचांग के अनुसार अश्विन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 अक्टूबर 2023 को सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 27 अक्टूबर 2023 को सुबह 06 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी।
गुरु प्रदोष व्रत महत्व
भगवान शिव शंकर की पूजा आराधना करने से जीवन में कभी भी सुख समृद्धि की कमी नहीं होती है। पंडितों का मानना है कि प्रदोष व्रत करने से साधक और व्रत करने वालों के जीवन का हर दोष मिट जाता है। गुरु प्रदोष व्रत उन लोगों को जरुर करना चाहिए जिनके विवाह में अड़चने आ रही हो, वैवाहिक जीवन से सुख-शांति छिन गई है। शास्त्रों के अनुसार शिव और श्रीहरि विष्णु दांपत्य जीवन से जुड़ी हर समस्या का समाधान हैं। इनकी उपासना से भक्तों की समस्त परेशानियां दूर हो जाती हैं।
26 सितम्बर, बृहस्पतिवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत खास है क्योंकि इस व्रत को करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है और दुश्मनों का नाश होता है। बृहस्पतिवार को पड़ने वाले व्रत को गुरु प्रदोष भी कहा जाता है।
प्रदोष व्रत में दिन के हिसाब से मिलता है फल
वैसे तो प्रदोष व्रत बहुत फलदायी होता है लेकिन प्रदोष व्रत का विभिन्न अवसरों पर करने का अलग महत्व होता है। रविवार को पड़ने वाले प्रदोष को रवि प्रदोष कहते हैं। रवि प्रदोष का व्रत रहने से लम्बी आयु और निरोगी काया मिलती है। सोमवार के दिन होने वाले प्रदोष को सोम प्रदोष या चन्द्र प्रदोष कहते हैं और इसे करने से आपकी इच्छाएं पूरी होती है। मंगलवार के प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष कहा जाता है। भौम प्रदोष व्रत से रोगों से मुक्ति मिलती है और आप स्वस्थ रहते हैं। बुधवार के दिन बुध प्रदोष होता है। इस व्रत को करने से कामनाएं सिद्ध होती है। बृहस्पतिवार के दिन व्रत से शत्रुओं का नाश होता है। शुक्र प्रदोष व्रत से सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत से उत्तम पुत्र की प्राप्ति होती है।
गुरु प्रदोष पूजा विधि
पंडितों के अनुसार गुरु प्रदोष के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रात:काल स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान का स्मरण कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें। सायंकाल में पूजा के दौरान भोलेनाथ को बेलपत्र, भांग, फूल, धतूरा, गंगाजल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें। अब प्रदोष की कथा पढ़ें और शिव जी की आरती करें। पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराएं। अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत का समापन करें।
व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा
स्कंद पुराण में कही गयी कथा के अनुसार एक गांव में एक विधवा ब्राह्मणी अपने बच्चे के साथ रहती थी। वह भिक्षा मांग कर अपना गुजारा करती थी। एक दिन रास्ते में लौटते समय उसे नदी किनारे एक बालक मिला। वह बालक कोई सामान्य बालक नहीं था बल्कि वह विदर्भ देश का राजुकमार धर्मगुप्त था। दुश्मनों ने उसके पिता का राज्य हड़प कर उसके पिता की हत्या कर दी थी। उसकी माता का देहांत पहले ही हो चुका था। ब्राह्मण महिला ने उस बच्चे को अपना लिया। एक दिन ऋषि शांडिल्य ने उस ब्राह्मण महिला को प्रदोष व्रत करने को कहा। प्रदोष व्रत करने से राजकुमार धर्मगुप्त का विवाह गंधर्व राज की कन्या से हो गया। उसके बाद धर्मगुप्त को उसका खोया राज्य मिल गया।
प्रदोष व्रत के फायदे भी जानें
प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनोवांछित फल देते हैं। इस व्रत को करने से जीवन में किसी प्रकार का अभाव या परेशानी नहीं होती है। प्रदोष व्रत करने से बीमारियों दूर रहती है और रोगों पर होने वाले खर्च में कमी आती है। अगर आप आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं तो उसे दूर करने के लिए प्रदोष का व्रत कर सकते हैं। अविवाहित युवक और युवतियों को प्रदोष का व्रत करने से मनचाहे वर-वधु मिलते हैं और जीवन में सुख बना रहता है। साथ ही भगवान शिव ज्ञान और मोक्ष के देवता हैं। अध्यात्म की राह पर चलने की इच्छा रखने वालों को प्रदोष का व्रत करने से लाभ मिलता है।
- प्रज्ञा पाण्डेय
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