नवरात्रि के तीसरे दिन किस पूजा-विधि से पायें, माँ चंद्रघंटा की विशेष कृपा
आज शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा-उपासना का विधान है | नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि में माँ भगवती के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है | माँ चंद्रघंटा भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाली है | माँ के इस स्वरुप की पूजा वैष्णों देवी में की जाती है।
आज शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा-उपासना का विधान है। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि में माँ भगवती के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। माँ चंद्रघंटा भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाली है। माँ के इस स्वरुप की पूजा वैष्णों देवी में की जाती है। वैसे तो माँ भगवती के सभी रूपों की उपासना करना फलदायी ही होता है लेकिन नवरात्रि के इन नौ दिनों में माँ के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। आज हम आपको बताने जा रहे है नवरात्रि के तीसरे दिन यानि कि माँ चंद्रघंटा की पूजा-विधि के बारे में:
कैसा है माँ चंद्रघंटा का स्वरुप ?
माँ चंद्रघंटा के स्वरूप की बात करें माता के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है जिस कारण से माँ के इस स्वरूप को चंद्रघंटा कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां के घंटे की ध्वनि अपने भक्तों को सभी प्रकार की प्रेत-बाधाओं से दूर रखती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ का दैत्यों और असुरों के साथ युद्ध हुआ था और इस युद्ध में माँ चन्द्रघंटा ने घंटों की टंकार से असुरों का नाश किया था। माँ भगवती का यह स्वरूप साहस और वीरता का प्रतीक है। यह स्वरुप मां पार्वती का विवाहित रूप है। माँ चन्द्रघंटा की दस भुजाएं हैं और प्रत्येक भुजाओं में अलग अलग अस्त्र-शस्त्र विराजमान हैं। मां का तेज सोने के समान है कहने का अर्थ है माँ का शरीर सोने की तरह चमकीला है और माँ शेर पर सवार होकर असुरों का नाश करती हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन मां की पूजा-उपासना करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का अंत होता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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जानें माँ चंद्रघंटा की पूजा-विधि
1. सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर, स्नान आदि कर साफ और सुंदर वस्त्र धारण पहनें।
2. उसके बाद चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां चंद्रघंटा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें और उस स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
3. मां को पंचामृत यानि कि दूध, दही, घी और शहद से स्नान कराएँ और उसके बाद माँ का श्रंगार करें।
4. माता को वस्त्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, नारियल और गुड़हल का फूल अर्पित करें।
5. माँ चंद्रघंटा गाय के दूध से बने व्यंजन या मिठाई, फल और गुड़ का भोग लगाएं। ऐसी मान्यता है कि माँ चंद्रघंटा को गुड़ अत्यंत प्रिय है।
6. इसके बाद मां चंद्रघंटा के मंत्रों का 108 बार जप करें। ऐसा कहा जाता है कि चंद्रघंटा के मंत्रों का जप करने से भक्तों के सभी समस्याओं का अंत होता है।
- रौनक
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