प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना क्या है? इसका लाभ कौन और कैसे उठा सकता है?
प्रधानमंत्री कृषि सिचांई योजना के तहत कोई भी किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। ततपश्चात किसानों को किसी भी अनुमन्य पंजीकृत फर्म से स्प्रिंकलर पाइप खरीदने के बाद उसके बिल के साथ आवेदन कार्यालय में जमा करना होगा।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य देश में सिंचाई प्रणाली में निवेश को आकर्षित करना है। इसके अलावा, देश में खेती योग्य भूमि का विकास और विस्तार करना, पानी की बर्बादी को कम करने के लिए खेत में पानी का उपयोग बढ़ाना, पानी की बचत करने वाली तकनीकों और सटीक सिंचाई को लागू करके प्रति बूंद फसल में वृद्धि करना भी इसका प्रमुख उद्देश्य है।
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# कोई भी किसान कर सकता है ऑनलाइन आवेदन
प्रधानमंत्री कृषि सिचांई योजना के तहत कोई भी किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। ततपश्चात किसानों को किसी भी अनुमन्य पंजीकृत फर्म से स्प्रिंकलर पाइप खरीदने के बाद उसके बिल के साथ आवेदन कार्यालय में जमा करना होगा। बता दें कि साल 2015 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की गई थी, जिसे अब दो साल के लिए बढ़ा दिया गया है। बताते चलें कि खेती करते वक्त किसानों को पानी की कमी न हो, इसीलिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को शुरू किया गया था। केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार ने इस योजना के लिए 50 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई करने के लिए सरकार लागत का 80 से 90 फीसदी की छूट मिलती है। इस विधि से खेत को बिना समतल किए ही सिंचाई की जा सकती है। वहीं, ढलानों या कम ऊंचाई पर ये विधि बहुत प्रभावी हो रही है।
# कौन-कौन लोग उठा सकते हैं प्रधानमंत्री सिंचाई योजना का फायदा
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों के पास कृषि योग्य भूमि होनी चाहिए। इसके पात्र लाभार्थी देश के सभी वर्ग के किसान होंगे। इस योजना के तहत सेल्फ हेल्प ग्रुप्स, ट्रस्ट, सहकारी समिति, इंकॉर्पोरेटेड कंपनियां, उत्पादक कृषकों के समूहों के सदस्यो और अन्य पात्रता प्राप्त संस्थानों के सदस्यों को भी लाभ प्रदान किया जायेगा। पीएम कृषि सिंचाई स्कीम 2021 का लाभ उन संस्थानों और लाभार्थियों को मिलेगा जो न्यूनतम सात वर्षों से लीज एग्रीमेंट के तहत उस भूमि पर खेती करते हो। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से भी यह पात्रता प्राप्त की जा सकती है।
# किन-किन दस्तावेजों से मिलेगा प्रधानमंत्री सिंचाई योजना का फायदा
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का फायदा उठाने के लिए किसानों को आधार कार्ड, पहचान पत्र, किसानों की ज़मीन के कागज़ात, जमीन की जमाबंदी (खेत की नकल), बैंक अकाउंट, पासबुक, पासपोर्ट साइज फोटो, मोबाइल नंबर की जरुरत होती है। इसके मार्फ़त कोई भी व्यक्ति अपना आवेदन कर सकता है। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गत दिनों हुई कैबिनेट बैठक में प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना को आगे बढ़ाने को मंजूरी मिल गई है। अब इस योजना को साल 2025-26 तक आगे बढ़ा दिया गया है।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने गत दिनों 93,068 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ 2021-26 के लिये प्रधानमंत्री कृषि संचाई योजना (पीएकेएसवाई) के क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी है। सीसीईए ने राज्यों के लिये 37,454 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता तथा पीएमकेएसवाई 2016-21 के दौरान सिंचाई विकास के लिये भारत सरकार द्वारा लिये गये ऋण को चुकाने के सम्बंध में 20,434.56 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं।
# केंद्र सरकार का प्रमुख मिशन है त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम
गौरतलब है कि त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीबी), हर खेत को पानी (एचकेकेपी) और भूमि, जल व अन्य विकास घटकों को 2021-26 में जारी रखने को भी मंजूरी दी गई। बता दें कि त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम, केंद्र सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य सिंचाई परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। एआईबीपी के अंतर्गत 2021-26 के दौरान कुल अतिरिक्त सिंचाई क्षमता को 13.88 लाख हेक्टेयर तक करना है। चालू 60 परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान देने के अलावा, जिसमें उनसे सम्बंधित 30.23 लाख हेक्टेयर कमान क्षेत्र विकास भी शामिल है, अतिरिक्त परियोजनाओं को भी शुरू किया जा सकता है। जनजातीय इलाकों और जल्दी सूखे का सामना करने वाले इलाकों की परियोजनाओं को शामिल करने के मानदंडों में ढील दी गई है।
रेणुकाजी बांध परियोजना (हिमाचल प्रदेश) और लखवार बहुउद्देश्यीय परियोजना (उत्तराखंड) नामक दो राष्ट्रीय परियोजनाओं के लिये 90 प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषण का प्रावधान किया गया है। दोनों परियोजनाएं यमुना बेसिन में भंडारण की शुरूआत करेंगी, जिससे यमुना बेसिन के ऊपरी हिस्से के छह राज्यों को फायदा पहुंचेगा। साथ ही दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को जलापूर्ति होगी तथा यमुना के उद्धार की दिशा में प्रगति होगी।
# हर खेत को पानी देने का है नेक इरादा
हर खेत को पानी (एचकेकेपी) का उद्देश्य है कि खेतों तक पहुंच में इजाफा हो और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य भूमि का विस्तार हो। एचकेकेपी के तहत लघु सिंचाई और जल स्रोतों के उद्धार-सुधार-बहाली, पीएमकेएसवाई के घटक हैं तथा इनका उद्देश्य है कि अतिरिक्त 4.5 लाख हेक्टेयर रकबे को सिंचाई के दायरे में लाना। जल स्रोतों के उद्धार के महत्त्व के मद्देनजर, मंत्रिमंडल ने शहरी और ग्रामीण इलाकों में जल स्रोतों को दोबारा जीवित करने के लिये वित्तपोषण को मंजूरी दी है। इस योजना में उन्हें शामिल करने के मानदंडों का विस्तार किया गया है तथा केंद्रीय सहायता को आम क्षेत्रों के हवाले से 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत किया गया है। इसके अलावा एचकेकेपी के भूजल घटक को भी 2021-22 के लिये अस्थायी रूप से मंजूर किया गया। इसका लक्ष्य है 1.52 लाख हेक्टेयर भूमि के लिये सिंचाई क्षमता विकसित करना।
# वर्षा जल द्वारा सिंचित इलाकों का विकास करना ही वॉटरशेड विकास घटक का लक्ष्य
वॉटरशेड विकास घटक का लक्ष्य है वर्षा जल द्वारा सिंचित इलाकों का विकास करना। इसके लिये मिट्टी और जल संरक्षण, भूजल की भरपाई, मिट्टी बहने को रोकना तथा जल संरक्षण व प्रबंधन सम्बंधी विस्तार गतिविधियों को प्रोत्साहित करना। भूमि संसाधन विकास के स्वीकृत वॉटरशेड विकास घटक में 2021-26के दौरानसंरक्षित सिंचाई के तहत, अतिरिक्त 2.5 लाख हेक्टेयर भूमि शामिल करने के लिए 49.5 लाख हेक्टेयर वर्षा सिंचित/अनुपजाऊ भूमि को कवर करने वाली स्वीकृत परियोजनाओं को पूरा करने की परिकल्पना की गई है। कार्यक्रम में स्प्रिंगशेड के विकास के लिए विशेष प्रावधान शामिल किया गया है।
उल्लेखनीय है कि पीएमकेएसवाई को 2015 में शुरू किया गया था जो एक प्रमुख योजना है। इसके तहत यहां उल्लिखित विशेष गतिविधियों के लिये राज्य सरकारों को केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है। इसमें जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा संरक्षण के दो प्रमुख घटक शामिल हैं: त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम और हर खेत को पानी। एचकेकेपी में चार उप-घटक हैं- कमान क्षेत्र विकास (सीएडी), सतह लघु सिंचाई (एसएमआई), जलस्रोतों का उद्धार, सुधार और बहाली (आरआरआर) तथा भूजल विकास। इसके अलावा, भूमि-जल विकास वाले हिस्से को भूमि संसाधन विकास द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
पीएमकेएसवाई का दूसरा घटक, यानी प्रति बूंद अधिक फसल को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग क्रियान्वित कर रहा है। इन सबकी सफलता से देश में कृषि विकास व फसल उत्पादन में आशातीत बढ़ोतरी होगी, जिससे बढ़ती जनसंख्या का पेट भरा जा सकेगा।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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