मिशन वात्सल्य योजना क्या है? यह किस अम्ब्रेला योजना का अंग है? इससे बचपन कितना प्रोत्साहित हुआ है?
मिशन वात्सल्य योजना के तहत बच्चों को नीति निर्माताओं द्वारा सर्वोच्च राष्ट्रीय संपत्ति में से एक के रूप में मान्यता दी गई है। भारत में 18 वर्ष की आयु तक के 472 मिलियन बच्चे हैं और इसमें देश की 39 प्रतिशत आबादी शामिल है।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू की गई “मिशन वात्सल्य योजना” का लक्ष्य भारत के हर बच्चे के लिए एक स्वस्थ एवं खुशहाल बचपन सुनिश्चित करना है, ताकि उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता का पता लगाने के लिए अवसर प्रदान किया जा सके। इस योजना के तहत बच्चों को हर क्षेत्र में विकास के लिए सहायता प्रदान किया जाता है। जिसका उद्देश्य उनके लिए ऐसी संवेदनशील, समर्थनकारी और समकालिक इको-व्यवस्था स्थापित करना है जिसमें उनका पूर्ण विकास सम्भव हो सके।
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को "किशोर न्याय कानून 2015" के अनुरूप सुविधाएं मुहैया कराने तथा सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भी मदद की है। बता दें कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बच्चों के कल्याण एवं पुनर्वास के लिए वर्ष 2009-10 से ही एक केन्द्र प्रायोजित योजना “मिशन वात्सल्य” यानी बाल संरक्षण सेवा योजना शुरू की है। “मिशन वात्सल्य” अंतिम उपाय के रूप में बच्चों के संस्थागतकरण के सिद्धांत के आधार पर कठिन परिस्थितियों में बच्चों की परिवार-आधारित गैर-संस्थागत देखभाल को बढ़ावा देता है।
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“मिशन वात्सल्य” के मुख्य कार्यों में संवैधानिक निकायों के कामकाज में सुधार लाना, सेवा प्रदान करने के ढांचे को मजबूत बनाना, संस्थागत देखभाल और सेवाओं के स्तर में वृद्धि करना, गैर-संस्थागत समुदाय आधारित देखभाल को प्रोत्साहित करना, आपात स्थिति में पहुंच उपलब्ध कराना, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण शामिल हैं।
गौरतलब है कि सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने अपने यहां इस योजना को लागू करने के लिए केंद्रीय मंत्रालय के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। “मिशन वात्सल्य” को केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजना के तौर पर केन्द्र तथा राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों की सरकारों के बीच निर्धारित लागत बंटवारा अनुपात के अनुरूप लागू किया जाता है।
हाल ही में मंत्रालय ने “मिशन वात्सल्य” योजना के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं और राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रशासनों से वर्ष 2022-23 के लिए इस संबंध में वित्तीय नियम दिशा-निर्देश के आधार पर अपने वित्तीय प्रस्ताव और योजनाएं तैयार करने को कहा है। बता दें कि “मिशन वात्सल्य” योजना के नियम एक अप्रैल 2022 से लागू होंगे। “मिशन वात्सल्य” योजना के विस्तृत दिशा-निर्देश https://wcd.nic.in/acts/guidelines-mission-vatsalya पर उपलब्ध हैं।
उल्लेखनीय है कि मिशन वात्सल्य योजना के तहत बच्चों को नीति निर्माताओं द्वारा सर्वोच्च राष्ट्रीय संपत्ति में से एक के रूप में मान्यता दी गई है। भारत में 18 वर्ष की आयु तक के 472 मिलियन बच्चे हैं और इसमें देश की 39 प्रतिशत आबादी शामिल है। इसलिए मिशन वात्सल्य का उद्देश्य भारत में प्रत्येक बच्चे के लिए एक स्वस्थ और खुशहाल बचपन सुनिश्चित करना है। यह योजना बच्चों के विकास के लिए एक संवेदनशील, सहायक और समकालिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के प्रति सजग है।
इसके अंतर्गत किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अधिदेश को पूरा करने में राज्यों व संघ राज्य क्षेत्रों की सहायता करने के प्रति केंद्र सरकार ततपर है, ताकि वे एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें। मिशन वात्सल्य के तहत घटकों में वैधानिक निकाय शामिल होंगे; जो सेवा वितरण संरचनाएं; संस्थागत देखभाल सेवाएं; गैर-संस्थागत समुदाय आधारित देखभाल; आपातकालीन आउटरीच सेवाएं; प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे। यह योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की छाता योजनाओं में एक अग्रणी योजना है।
समझा जाता है कि मिशन पोषण 2.0, मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य जैसी कुछ ऐसी योजनाएं हैं जो कुपोषण संबंधी चिंताओं को दूर करने और महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण, उनके विकास और संरक्षण के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप करती हैं। महिलाओं और बच्चों का सशक्तिकरण और सुरक्षा केंद्र सरकार का अहम लक्ष्य है, क्योंकि दोनों मिलाकर भारत की आबादी का 67.7 प्रतिशत हो जाते हैं। इसलिए एक सुरक्षित और सुरक्षित वातावरण में उनका संपूर्ण विकास सुनिश्चित करना देश के सतत और न्यायसंगत विकास और परिवर्तनकारी आर्थिक और सामाजिक परिवर्तनों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
महिला और बाल विकास मंत्रालय सुपोषित और खुश बच्चों और आत्मविश्वासी, आत्मनिर्भर महिलाओं को एक ऐसा वातावरण प्रदान करके सुनिश्चित करने का प्रयास करता है जो सुलभ, सस्ती, विश्वसनीय हो और सभी प्रकार के भेदभाव और हिंसा से मुक्त भी। इसलिए मंत्रालय का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के लिए राज्य की कार्रवाई में अंतराल को दूर करना और लैंगिक समानता और बाल केंद्रित कानून, नीतियों और कार्यक्रमों को बनाने के लिए अंतर-मंत्रालयी और अंतर-क्षेत्रीय अभिसरण को बढ़ावा देना है। उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, कैबिनेट ने इसे मिशन मोड में लागू करने के लिए मंत्रालय की 3 महत्वपूर्ण अम्ब्रेला योजनाओं को मंजूरी दी है, जैसे, मिशन पोषण 2.0, मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य।
जहां मिशन पोषण 2.0 एक एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम है। जो पोषण सामग्री और वितरण में एक रणनीतिक बदलाव के माध्यम से बच्चों, किशोर लड़कियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण की चुनौतियों का समाधान करना चाहता है। यह उनके स्वास्थ्य, कल्याण और प्रतिरक्षा का पोषण करने वाली प्रथाओं को विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए एक अभिसरण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना चाहता है। पोषण 2.0 पूरक पोषण कार्यक्रम के तहत भोजन की गुणवत्ता और वितरण को अनुकूलित करने का प्रयास किया गया है।
मिशन पोषण 2.0 देश के मानव पूंजी विकास में योगदान देगा। यह कुपोषण चुनौतियों का समाधान देगा। जो स्थायी स्वास्थ्य और कल्याण के लिए पोषण जागरूकता और अच्छी खाने की आदतों को बढ़ावा देना और प्रमुख रणनीतियों के माध्यम से पोषण संबंधी कमियों को दूर करना अपना लक्ष्य रखता है। इस कार्यक्रम के तहत, पोषण संबंधी मानदंडों और मानकों और टीएचआर की गुणवत्ता और परीक्षण में सुधार किया जाएगा। इसके अलावा अधिक से अधिक हितधारक और लाभार्थी भागीदारी को भी बढ़ावा दिया जाएगा। पारंपरिक सामुदायिक भोजन की आदतें। पोषण 2.0 के अंतर्गत 3 महत्वपूर्ण कार्यक्रमों व योजनाओं को इसके दायरे में लाया गया है, जैसे, आंगनवाड़ी सेवाएं, किशोरियों के लिए योजना और पोषण अभियान।
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पोषण 2.0 मातृ पोषण, शिशु और छोटे बच्चे के आहार के मानदंड, एमएएम-एसएएम के उपचार और आयुष के माध्यम से कल्याण पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह अभिसरण, शासन और क्षमता निर्माण के स्तंभों पर टिका होगा। पोषण अभियान आउटरीच के लिए प्रमुख स्तंभ होगा, जिसमें पोषण संबंधी सहायता, आईसीटी हस्तक्षेप, मीडिया वकालत और अनुसंधान, सामुदायिक आउटरीच और जन आंदोलन से संबंधित नवाचार भी शामिल हैं।
मिशन पोषण 2.0 अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कई प्रमुख रणनीतियों को एकीकृत किया है, जैसे, सुधारात्मक रणनीतियाँ, पोषण जागरूकता रणनीतियाँ, संचार रणनीतियाँ और हरित पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण। मिशन पोषण 2.0 के तहत उद्देश्यों को प्रमुख मंत्रालयों, विभागों, संगठनों के साथ मजबूत हस्तक्षेप-संचालित अभिसरण गतिविधियों के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा।
वहीं, गत 1 मार्च 2021 को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन के माध्यम से एक शासन उपकरण के रूप में एमओडब्ल्यूसीडी द्वारा शुरू किए गए "पोषण ट्रैकर" के तहत डिजिटल बुनियादी ढांचा, पोषण वितरण सहायता प्रणालियों को मजबूत करेगा और पारदर्शिता लाएगा। समझा जाता है कि पोषण ट्रैकर के तहत प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जा रहा है, ताकि बच्चों में स्टंटिंग, वेस्टिंग, कम वजन की व्यापकता की गतिशील पहचान के साथ साथ पोषण सेवा वितरण की अंतिम मील ट्रैकिंग भी की जा सके।
वहीं, मिशन शक्ति महिलाओं के लिए एकीकृत देखभाल, सुरक्षा, संरक्षण, पुनर्वास और सशक्तिकरण के माध्यम से एक एकीकृत नागरिक-केंद्रित जीवनचक्र समर्थन की परिकल्पना करता है, क्योंकि वे अपने जीवन के विभिन्न चरणों में प्रगति करती हैं। मिशन शक्ति की दो उप-योजनाएं 'संबल' और 'समर्थ' हैं। जहां "संबल" उप-योजना महिलाओं की सुरक्षा के लिए है, वहीं "समर्थ" उप-योजना महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए है।
"संबल" उप-योजना में वन स्टॉप सेंटर (ओएससी), महिला हेल्पलाइन (181-डब्ल्यूएचएल) और बेटी बचाओ बेटी पढाओ (बीबीबीपी) की मौजूदा योजना शामिल है। इसके अलावा, नारी अदालतों का एक नया घटकसमाज में और परिवारों के भीतर वैकल्पिक विवाद समाधान और लैंगिक न्याय को बढ़ावा देने और सुविधा प्रदान करने के लिए महिलाओं के समूह के रूप में जोड़ा गया है।
"समर्थ्य" उप योजना महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए है, जिसमें उज्ज्वला, स्वाधार गृह और कामकाजी महिला छात्रावास की मौजूदा योजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा, कामकाजी माताओं के बच्चों के लिए राष्ट्रीय क्रेच योजना और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई), जो अब तक अम्ब्रेला आईसीडीएस योजना के तहत रही है, को भी 'समर्थ' में शामिल किया गया है।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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