राजद्रोह पर नया आईपीसी क्या कहता है? इसे समझिए

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कमलेश पांडे । Oct 14 2023 12:04PM

भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से संबंधित है। जिसमें अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियों और अलगाववादी गतिविधियों का संदर्भ जोड़ा गया है।

राजद्रोह पर नया आईपीसी क्या कहता है, इसे समझना सबके लिए बहुत जरूरी है, ताकि किसी से कोई गलती नहीं हो। क्योंकि अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 ही राजद्रोह कानून की जगह लेगी। बता दें कि भारत सरकार ने देश के आपराधिक कानून में बहुत बड़ा बदलाव कर चुकी है। जिसके मुताल्लिक मोदी सरकार की ओर से भारतीय संसद में औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून (124 ए) को खत्म करने का फैसला लिया गया है। लिहाजा इस कानून को सरकार भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 के साथ बदल चुकी है और नए बिल से राजद्रोह शब्द हटा दिया है, जिसे संसद पारित भी कर चुकी है।

गौरतलब है कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वर्ष 2023 में लोकसभा में आईपीसी, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए तीन विधेयक पेश किया था, जहां पर उन्होंने कहा था कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) पर नया विधेयक राजद्रोह के अपराध को पूरी तरह से निरस्त कर देगा। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  15 अगस्त 2022 को लाल किले की प्राचीर से स्पष्ट कहा था कि हम गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त कर देंगे। जिसके दृष्टिगत ही भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 एक साथ लेकर आया हूं। गृह मंत्री ने कहा कि भारतीय दंड संहिता, 1860 की जगह अब भारतीय न्याय संहिता 2023 होगा। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 प्रस्थापित होगा और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ प्रस्थापित होगा।

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# जानिए, क्या कहती है आईपीसी की धारा 124-ए, जो राजद्रोह से है सम्बंधित 

राजद्रोह से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 124 A के मुताबिक, बोले या लिखे गए शब्दों या संकेतों द्वारा या दृश्य प्रस्तुति द्वारा, जो कोई भी भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमानना पैदा करेगा या फिर पैदा करने का प्रयत्न करेगा, शासन के खिलाफ असंतोष उत्पन्न करेगा या फिर करने का प्रयत्न करेगा, तो उसे आजीवन कारावास या तीन वर्ष तक की सजा और ज़ुर्माना अथवा सभी से दंडित किया जा सकता है। हालांकि मोदी सरकार ने अब इसे बदल दिया है और इसकी जगह पर 

भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 को लागू किया है।

# समझिए, क्या कहती है भारतीय न्याय संहिता की धारा 150, जो अब देश में लागू है

भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से संबंधित है। जिसमें अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियों और अलगाववादी गतिविधियों का संदर्भ जोड़ा गया है। इसमें साफ-साफ कहा गया है कि जो कोई भी जानबूझकर या शब्दों के माध्यम से या फिर मौखिक या लिखित या संकेतों या दृश्य प्रतिनिधित्व या इलेक्ट्रॉनिक संचार या वित्तीय साधनों का उपयोग करके देश के जनमानस को उत्तेजित करता है या उत्तेजित करने का प्रयास करता है, अलगाववाद या सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियों को उत्तेजित करता है या फिर प्रयास करता है या अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करता है या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है या इस तरह के किसी भी कृत्य में शामिल होने या करने पर आजीवन कारावास या 7 साल तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माना भी लगाया जाएगा। नए कानून में धारा 150 के तहत कुछ प्रावधान में बदलाव करके उसे बरकरार रखा गया है। इस धारा में इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन की मदद से वित्तीय साधनों को जोड़ा गया है।

इससे स्पष्ट है कि सरकार ने राजद्रोह के कानून की मूल भावनाओं को धारा 124 ए की बजाए धारा 150 में समाहित कर लिया है, ताकि न्यायालय के आदेश का भी अनुपालन सुनिश्चित हो और राजद्रोह, देशद्रोह जैसे जघन्य अपराध करने वाले लोग या उनका समूह बचने भी न पाए। इसलिए इस नए कानून की सर्वत्र सराहना हुई है।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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