Interim General Budget 2024 में मध्यम वर्ग के लिए क्या-क्या हो सकता है खास, जानिए आम व खास की अपेक्षाएं
सरकार द्वारा मध्यम वर्ग के लिए आयकर में छूट की सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 8 लाख रुपये किया जा सकता है। वर्तमान में 7 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर आयकर से छूट मिलती है। जबकि इस सीमा को अगले वित्त वर्ष के लिए 8 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, ऐसी चर्चा आम है।
आगामी 1 फरवरी, 2024 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपना 6वां और मोदी 2.0 सरकार के कार्यकाल का 5वां व अंतिम अंतरिम केंद्रीय बजट पेश करेंगी। जिसमें मध्यम वर्ग के लिए और उसके अलावा भी कतिपय लोकलुभावन घोषणाएं की जा सकती हैं। क्योंकि यह चुनावी अंतरिम बजट है और केंद्र में पिछली 2 पारियों से सत्तारूढ़ एनडीए के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 10 वर्षीय कार्यकाल का दसवां और अंतिम अंतरिम बजट है।
इसलिए वित्त विशेषज्ञों द्वारा अनुमान लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस नीत विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन की हवा निकालने के लिए भाजपा नीत एनडीए गठबंधन की मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कुछ संभावित जनकल्याणकारी घोषणाएं कर सकती हैं, क्योंकि बजट पूर्व समीक्षा के दौरान विभिन्न दबाव समूहों द्वारा कुछ मांगें उनके या उनके प्रतिनिधियों के समक्ष रखी गई हैं। ये ऐसी मांगें हैं जो देश में बढ़ती बेरोजगारी और कमरतोड़ महंगाई की मार झेल रहे मध्यम वर्ग व निम्न मध्यम वर्ग को सीधे प्रभावित करेंगी, क्योंकि आज यह वर्ग बड़ा और संगठित वोट बैंक में तब्दील हो चुका है। पिछले 10 सालों से यह वर्ग मोदी सरकार का कट्टर समर्थक बना हुआ है। इसलिए उसकी विभिन्न उम्मीदें अस्वाभाविक भी नहीं हैं।
# अंतरिम बजट में कतिपय मुद्दों पर बजट समर्थन दे सकती है सरकार
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, आयकर में छूट में सम्भावित वृद्धि, पेंशन योजनाओं में अनुदान (सब्सिडी) में बढ़ोतरी, शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च में रणनीतिक बढ़ोतरी, नौकरी के अवसरों में तर्कसंगत इजाफा, ग्रामीण इलाकों के मध्यमवर्गीय परिवारों पर फोकस, ग्रामीण क्षेत्रों को कल्याण कारी योजनाओं के माध्यम से समर्थन, आधारभूत संरचनाओं में कम निवेश प्रस्ताव, एग्री-लोन टारगेट में वृद्धि, किसान सम्मान निधि की रकम 6000 रुपये के बजाय 8-10 हजार रुपये किए जाने, मनरेगा के लिए आवंटन बढ़ाए जाने और इसमें दैनिक मजदूरी बढ़ाई जाने, विश्वकर्मा सम्मान योजना सहित अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के लिए धन समर्थन प्रावधान बढ़ाए जा सकते हैं, क्योंकि यह चुनाव के पहले का बजट है।
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वैसे भी अंतरिम बजट वोट ऑन अकाउंट ही तो होता है, लेकिन इसमें कोई बड़े ऐलान न किए जाएं, ऐसी कोई संवैधानिक रोक भी नहीं है। इसलिए सरकार उपर्युक्त लोकलुभावन घोषणाएं कर सकती है। ऐसा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि खपत (कंजम्पशन) की ग्रोथ रेट कम है। सच्चाई यह है कि अर्थव्यवस्था में जो वृद्धि (ग्रोथ) हो रही है, वह काफी हद तक सरकारी पूंजीगत निवेश की वजह से है। जबकि खाद्य महंगाई दर (फूड इफ्लेशन) अपने ऊंचे स्तर पर बनी हुई है। लिहाजा, इन घोषणाओं से मध्यम वर्ग को काफी कुछ राहत मिल सकती है, जिससे एक बार फिर यह वर्ग मोदी 3.0 सरकार बनवाने पर प्रेरित हो सकता है। हालांकि, यह ध्यान रखना है कि ये केवल संभावित व अपेक्षित घोषणाएं हैं, जबकि वास्तविक घोषणाएं अंतरिम बजट में 01 फरवरी 2024 को ही स्पष्ट होंगी।
# अपने जोरदार टैक्स रेवेन्यू के दम पर लोककल्याण के क्षेत्र में आशातीत बदलाव ला सकती है केंद्र सरकार
आपको बता दें कि अपने टैक्स रेवेन्यू के दम पर केंद्र सरकार अपने अंतरिम बजट में उपरोक्त प्रावधान कर सकती है और ऐसा किये जाने से उसकी आर्थिक सेहत पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्योंकि व्यवहारिक वित्तीय उपायों से टैक्स रेवेन्यू में जोरदार बढ़ोतरी का सिलसिला कभी थमने वाला नहीं है। इसलिए सरकार द्वारा मध्यम वर्ग के लिए आयकर में छूट की सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 8 लाख रुपये किया जा सकता है। बता दें कि वर्तमान में 7 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर आयकर से छूट मिलती है। जबकि इस सीमा को अगले वित्त वर्ष के लिए 8 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, ऐसी चर्चा आम है।
वहीं, सरकार मध्यम वर्ग के लिए पेंशन योजनाओं में अनुदान (सब्सिडी) वृद्धि की पेशकश कर सकती है। क्योंकि ये योजनाएं युवाओं को अवकाश प्राप्ति (रिटायरमेंट) के लिए बचत करने में काफी मदद कर सकती हैं। वहीं, सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च में वृद्धि कर सकती है। जिससे मध्यम वर्ग के लिए इन सेवाओं को अधिक सुलभ बनाया जा सकता है। वहीं, सरकार रोजगार सृजन पर भी ध्यान केंद्रित कर सकती है। क्योंकि इससे मध्यम वर्ग के लिए नौकरी के अवसर बढ़ सकते हैं। चूंकि यह वर्ग सरकार का समर्थक वर्ग है, इसलिए सरकार इसके हितों को कभी भी नजरअंदाज नहीं कर सकती है।
वहीं, केंद्र सरकार अपने अंतरिम बजट में मध्यम वर्गीय परिवार से जुड़े ग्रामीण इलाकों पर फोकस बढ़ा सकती है। समझा जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों में साबुन, बिस्किट जैसे फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स की बिक्री सुस्त पड़ने और खाने-पीने की चीजों की ऊंची महंगाई दर को देखते हुए सरकार ग्रामीण खपत को बढ़ावा देने वाले कदम उठा सकती है।
# ग्रामीण क्षेत्रों को कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से देना होगा बजट समर्थन
वहीं, विभिन्न रेटिंग एजेंसियों के मुताबिक भी ग्रामीण क्षेत्रों को कल्याण कारी योजनाओं के माध्यम से समर्थन देना जरूरी दिख रहा है, क्योंकि हाल के वर्षों में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है जिससे ग्रामीण इलाकों में खपत (कंजम्पशन) भी कमजोर है। विगत अक्टूबर-दिसंबर 2023 की तिमाही में भी देश की सबसे बड़ी कंज्यूमर गुड्स कंपनी हिंदुस्तान यूनीलीवर का मुनाफा मात्र 1.1 प्रतिशत ही बढ़ सका। क्योंकि ग्रामीण इलाकों में सुस्त डिमांड का इसमें बहुत बड़ा हाथ रहा। इसलिए कम्पनी चिंतित है और सरकार से अंतरिम बजट प्रावधानों की उम्मीद पाल रखी है।
वहीं, केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (नैशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस) ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी का जो पहला अडवांस एस्टिमेट जारी किया है, उसके मुताबिक एग्रीकल्चर और इससे जुड़े सेक्टरों की ग्रोथ महज 1.8 पसेंट ही रहने का अनुमान है। इससे साफ है कि इनवेस्टमेंट पर जोर बढ़ने के बावजूद जीडीपी में खपत (कंजम्पशन) का योगदान अब भी आधे से ज्यादा है। वहीं, एनएसओ के पहले अडवांस एस्टिमेट के मुताबिक, जीडीपी में प्राइवेट फाइनल कंजम्पशन एक्सपेंडिचर का योगदान 56.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो साल 2023 में 58.5 प्रतिशत था।
वहीं, साल 2023-24 के बजट में केंद्र का कुल टैक्स रेवेन्यू 33 लाख 60 हजार करोड़ रुपये रहने का अनुमान दिया गया था। रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष में केंद्र का ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू 34 लाख 20 हजार करोड़ रुपये रह सकता है। जबकि अगले वित्त वर्ष में इसके 11 प्रतिशत बढ़कर 38 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। जो कि खुशी की बात है।
# आधारभूत संरचनाओं में भी कम करना होगा निवेश
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कहा है कि वर्ष 2025 से 26 तक फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 4.5 प्रतिशत तक लाना है जिसके लिए फिस्कल कंसॉलिडेशन जरूरी हो जाता है। वैसे तो विगत 10 वर्षों से मोदी सरकार में आधारभूत संरचनाओं में निवेश पर काफी जोर था, लेकिन अब स्पष्ट है कि इसमें कमी लानी होगी, अन्यथा राजकोषीय घाटा कम करना मुश्किल हो जाएगा। लिहाजा इस बार कैपिटल एक्सपेंडिचर ज्यादा नहीं बढ़ेगा। हालांकि इस बात का पक्का पता 1 फरवरी 2024 को ही चल पाएगा।
# किसान सम्मान निधि, मनरेगा मजदूरी वृद्धि, विश्वकर्मा सम्मान योजना समेत सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के लिए बढ़ाए जा सकते हैं बजट प्रावधान
हमारी अर्थव्यवस्था में खपत (कंजम्पशन) वृद्धि दर कम है। क्योंकि अर्थव्यवस्था में जो बढ़ोतरी हो रही है, वह काफी हद तक सरकारी पूंजीगत निवेश की वजह से है। इसलिए खाद्य महंगाई दर अपने ऊंचे स्तर पर है। वैसे भी अंतरिम बजट होता तो वोट ऑन अकाउंट ही है, लेकिन बड़े ऐलान न किए जाएं, ऐसी कोई संवैधानिक रोक भी नहीं है। लिहाजा किसान सम्मान निधि की रकम 6000 रुपये के बजाय 8-10 हजार रुपये की जा सकती है। वहीं, मनरेगा के लिए बजट आवंटन भी बढ़ाया जा सकता है। इसमें दैनिक मजदूरी भी बढ़ाई जा सकती है। विश्वकर्मा सम्मान योजना सहित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के लिए प्रावधान बढ़ाए जा सकते हैं, क्योंकि यह आम चुनाव के पहले का बजट है और ऐसे ही बजट प्रावधान से कुछ देर के लिए ही सही, पर मतदाता भी प्रभावित होते आए हैं।
# एग्री-लोन टारगेट में बढ़ोतरी
अंतरिम बजट 2024-25 में कुल 25 लाख करोड़ रुपये तक के कृषि कर्ज देने का लक्ष्य निर्धारित किया जा सकता है। क्योंकि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए एग्री-क्रेडिट टारगेट महज 20 लाख करोड़ रुपये का है। जिससे अभी किसानों को छोटी अवधि का 3 लाख रुपये तक का कृषि कर्ज 7 प्रतिशत ब्याज पर दिया जाता है। वहीं, समय पर कर्ज चुकाने वालों को 3 प्रतिशत सालाना की ब्याज छूट मिलती है। हालांकि, जानकारों का कहना है कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए एग्री-क्रेडिट टारगेट बढ़ाकर 25 लाख करोड़ तक किये जाने की मांग रखी गई है, जिसपर वित्त मंत्री विचार कर सकती हैं। क्योंकि वित्त वर्ष 2023-24 में तकरीबन 82 प्रतिशत हिस्सा दिसंबर तक हासिल किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि 7 करोड़ 34 लाख किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए कर्ज लिया है, जो बहुत बड़ी बात है। इसलिए सरकार भी इसे बढ़ावा देने पर सहमत दिखाई दे रही है।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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