भारतमाला परियोजना- विज़नरी कॉरिडोर अक्रॉस इंडिया
भारतमाला परियोजना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की एक छत्र योजना है। इस योजना का उद्देश्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे- गलियारों, राजमार्गों, जलमार्गों आदि को विकसित करके पूरे भारत में माल और यात्री दोनों की आवाजाही की क्षमता को अनुकूलित करना है।
किसी भी राष्ट्र का विकास परिवहन नेटवर्क और उनकी देखरेख पर निर्भर करता है। और यह भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश के विकास के लिए भी लागू होता है। क्षेत्रों को जोड़ने और यातायात के सुचारू प्रवाह को बनाए रखने के लिए नई और विकसित सड़कों का निर्माण आवश्यक है। भारतमाला परियोजना के कार्यान्वयन के साथ ही इसे प्राप्त किया जा सकता है।
भारतमाला परियोजना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways -MoRTH) की एक छत्र योजना है। इस योजना का उद्देश्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे- गलियारों, राजमार्गों, जलमार्गों आदि को विकसित करके पूरे भारत में माल और यात्री दोनों की आवाजाही की क्षमता को अनुकूलित करना है।
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इसका उद्देश्य देश में 500 से अधिक जिलों के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग संपर्क को सक्षम करने के अलावा इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार पैदा करना भी है। इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ने सभी मौजूदा राजमार्ग परियोजनाओं को शामिल किया है।
आपको बता दें कि सार्वजनिक निवेश बोर्ड (PIB) ने 16.06.2017 को हुई बैठक के दौरान प्रस्ताव की सिफारिश कर दी है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने भारतमाला योजना के पहले चरण को मंजूरी दे दी है।
भारतमाला परियोजना की प्रमुख विशेषताएं
सड़कों की गुणवत्ता में सुधार- इस योजना का शुभारंभ सड़कों के अच्छे रखरखाव और उनके विकास के रूप में राष्ट्र में विकास की एक नई लहर लाने के लिए किया गया है। इस परियोजना के तहत राष्ट्र के सभी हिस्सों में सड़कों का निर्माण किया जाएगा।
कुल सड़क निर्माण- योजना के मसौदे के अनुसार, सरकार और मंत्रालय नई सड़कों को पूरा करने का प्रयास करेंगे, जिसकी लम्बाई 34, 800 किलोमीटर तक होगी।
एकीकृत योजना- भारतमाला वह नाम है जो सड़क विकास को दिया गया है और इसमें कई अन्य संबंधित योजनाएँ भी शामिल होंगी। सभी योजनाओं के पूरा होने के साथ योजना की पूर्ण सफलता की गारंटी होगी।
कार्यक्रम का कुल कार्यकाल- केंद्र सरकार की योजना को पांच साल के भीतर पूरा करने की योजना है। इस प्रकार, पहले चरण को 2022 के अंत से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
चरणों में विभाजन- योजना के परिमाण और प्रसार के कारण, इसे सात अलग-अलग चरणों में विभाजित किया जाएगा। अभी पहला चरण निर्माणाधीन चल रहा है।
दैनिक आधार पर एकाग्रता- पहले चरण को समय पर पूरा करने के लिए संबंधित विभाग ने दैनिक आधार पर कम से कम 18 किमी पथ के निर्माण के प्रयास किए हैं। कार्य को जल्दी पूरा करने के लिए इसे 30 किमी / दिन तक बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
सड़क निर्माण की विभिन्न श्रेणियां- योजना के आधिकारिक मसौदे में यह बताया गया है कि बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए विभिन्न श्रेणियों की सड़कों का निर्माण किया जाएगा।
फंडिंग का बहु-स्रोत- एक विशाल परियोजना के वित्तपोषण के लिए एक स्रोत पर्याप्त नहीं होगा। इस प्रकार सरकार को खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन पैदा करने के लिए अन्य स्रोतों पर भी निर्भर रहना होगा।
भारतमाला परियोजना श्रेणी
आर्थिक गलियारा- सड़क निर्माण परियोजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, आर्थिक गलियारों के 9000 किमी का निर्माण केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
फीडर रूट या इंटर कॉरिडोर- फीडर रूट या इंटर कॉरिडोर श्रेणी के अंतर्गत आने वाली सड़कों की कुल लंबाई 6000 किमी है।
राष्ट्रीय गलियारा दक्षता सुधार- सड़कों के बीच बेहतर कनेक्शन के लिए, योजना में निर्मित 5000 किमी सड़क राष्ट्रीय गलियारे की श्रेणी में आएगी।
बॉर्डर रोड और इंटरनेशनल कनेक्टिविटी- सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित शहरों और दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ते हुए, परियोजना ने बॉर्डर रोड या अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी श्रेणी में आने वाली 2000 किमी सड़कों के निर्माण का प्रावधान रखा है।
पोर्ट कनेक्टिविटी और कोस्टल रोड- उन क्षेत्रों को जोड़ने के लिए जो तटरेखा और महत्वपूर्ण बंदरगाहों के साथ चिन्हित किये गए हैं, केंद्र सरकार ने 2000 किमी सड़कों के निर्माण का आदेश दिया है।
ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे- यातायात और माल ढुलाई के बेहतर प्रबंधन के लिए ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण और विकास पर मुख्य ज़ोर दिया जाएगा।
बैलेंस एनएचडीपी वर्क्स- अंतिम खंड के तहत, परियोजना में लगभग 10,000 किमी नई सड़कों का निर्माण और रखरखाव होगा।
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भारतमाला योजना, मौजूदा बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करती है और इसलिए आत्मनिर्भर भारत अभियान और मेक इन इंडिया कार्यक्रम को उत्प्रेरित करती है। प्रौद्योगिकी आधारित वैज्ञानिक योजना का उपयोग भविष्य में एसेट मॉनिटरिंग और प्रोजेक्ट तैयारियों के अभ्यास का मार्ग प्रशस्त करेगा।
इसके अलावा, पूर्वोत्तर में बेहतर राजमार्ग कनेक्टिविटी के साथ, पर्यटन और बुनियादी ढांचे के विकास के क्षेत्र में इज़ाफा होने का भी अनुमान है।
- जे. पी. शुक्ला
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