अपराधियों के साथ ही भ्रष्टाचारियों पर भी बुलडोजर वाली कार्रवाई करे योगी सरकार
दवा रखी रखी एक्सपायर नहीं होतीं, बल्कि खरीदी ही तब जाती हैं, जब इनकी एक्सपायर होने की अवधि नजदीक होती है। कंपनी अपनी खराब होने वाली दवाएं प्रदेश स्तर पर खरीद करने वालों से मिलकर दे देती हैं। एक्सपायरी नजदीक होती है तो जल्दी−जल्दी जिलों को भेजी जाती है।
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री / स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने गत सप्ताह राज्य की राजधानी में ट्रांसपोर्ट नगर स्थित उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन के गोदाम में छापा मारा। निरीक्षण के दौरान गोदाम में जबरदस्त अव्यवस्था मिली। दवाएं इधर, उधर फेंकी पड़ी थीं। अलग-अलग डिब्बों की चेकिंग में उप मुख्यमंत्री ने 16 करोड़ 40 लाख 33 हजार रुपये मूल्य की एक्सपायर्ड दवाएं पकड़ीं। जांच में प्रकाश में आया कि ये दवाएं कॉर्पोरेशन द्वारा अस्पतालों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए थीं, लेकिन नहीं भेजी गईं। उन्होंने पूरे प्रकरण की जांच के लिए एक समिति का गठन करने व गोदाम में उपलब्ध दवाइयों का ऑडिट कराने के लिए पत्रावली प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
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इससे पहले इसी माह उन्होंने लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान का निरीक्षण किया। यहां भी इन्हें 40 लाख के आसपास की ऐसी दवाइयां मिलीं जो गोदाम में रखी रखी एक्सपायर हो गईं। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार को लगभग साढ़े पांच साल हो गए। इसके बावजूद प्रदेश के प्रशासनिक स्तर के भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लग सकी। वह पहले की तरह जारी है। इतना जरूर हुआ है कि पहले जो काम सौ रुपये में हो जाता था, ईमानदार सरकार के नाम पर वह अब हजार रुपये में हो रहा। विकास कार्यों में लिया जाने वाला कमीशन कहीं कम नहीं हुआ।
ये दवा रखी रखी एक्सपायर नहीं हुईं, बल्कि खरीदी ही तब जाती हैं, जब इनकी एक्सपायर होने की अवधि नजदीक होती है। कंपनी अपनी खराब होने वाली दवाएं प्रदेश स्तर पर खरीद करने वालों से मिलकर दे देती हैं। एक्सपायरी नजदीक होती है तो जल्दी−जल्दी जिलों को भेजी जाती है। जिले में बैठे स्वास्थ्य अधिकारियों से कहा जाता है कि जल्दी बांटकर ये दवा खत्म करें। इसमें मोटा लेन−देन होता है। ये खेल लंबे समय से चल रहा है। सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बार-बार आदेश के बावजूद कोई सुधरने को तैयार नहीं। सरकार कहती है कि जेम पोर्टल से खरीदारी करो। अधिकारियों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। इस पोर्टल से खरीदारी करना ज्यादा अच्छा लगा। क्योंकि उन पर सरकार आरोप नहीं लगा सकती। अधिकारी कमीशन तय कर कंपनी के एजेंट को अपना जेम पोर्टल का पासवर्ड दे देते हैं। वह कमीशन शामिल करके रेट निकाल कर दे देता है। करोना काल शुरू होने पर प्रदेश सरकार पंचायतों द्वारा चार हजार में खरीदे थर्मामीटर और ऑक्सोमीटर की जब जांच करा रही थी, तब बिजनौर के स्वास्थय विभाग ने जेम पोर्टल से यह दोनों उपकरण 18 हजार रुपये में खरीदे।
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एक्सपायर डेट की दवा मिलने से साफ होता है कि घोटाला बड़ा है। ये तो पकड़ा गया। नहीं तो जाने कब से ये खेल हो रहा है। आम जनता के स्वास्थ्य के नाम पर, उनके उपचार पर जो पैसा खर्च होना चाहिए था, वह अधिकारियों के भ्रटाचार की भेंट चढ़ गया। देशभर में एक्सपायर दवाइयों का बड़ा कारोबार है। मेरठ, बिजनौर समेत कई जगह पर समय-समय पर एक्सपायर डेट की दवाइयां बड़ी−बड़ी तादाद में पकड़ी जाती रही हैं। ये दवाइयां रैपर बदल कर बाजार में भेज दी जाती हैं। या सरकारी सप्लाई में चली जाती हैं। जरूरतमंद पूरे पैसे देकर दवा खरीदता है। लाभ न होने पर वह डॉक्टर बदलता है। मरीज और उसके तीमारदारों को पता ही नहीं होता कि दवा एक्सपायर डेट की है। योगी जी की जेसीबी अपराधियों पर चल रही है। जब तक वह भ्रष्टाचार में लिपटे अधिकारियों पर नहीं चलेगी, इनकी संपत्ति जब्त नहीं होगी, तब तक इन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
-अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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