अलग-अलग फलों और फसलों के क्लस्टर्स बना रही योगी सरकार
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन के अनुसार संस्थान, सरकार की मदद से लखनऊ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दशहरी और चौसा आम के लिए क्लस्टर बनाकर करीब 4000 बागवानों को जोड़ चुका है।
क्लस्टर में खेती की संभावनाओं को देखते हुए योगी सरकार पहले से विकसित कलस्टर्स की सुविधाएं बढ़ा रही है। साथ ही नए फलों और फसलों के क्लस्टर्स भी विकसित कर रही है। फल और फसल विशेष के इन क्लस्टर्स से आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्र का कायाकल्प हो जाएगा।
बल्क में उत्पादन होने पर बाजार खुद किसानों तक पहुंचता है
उल्लेखनीय है कि जहां बल्क (बड़ी मात्रा) में किसी चीज का उत्पादन होता है, वहां खरीदार खुद पहुंचने लगते। खरीदारों में प्रतियोगिता होने से उत्पाद की गुणवत्ता के अनुसार उसका वाजिब दाम भी मिलता है। खेतीबाड़ी भी बाजार के इस सामान्य नियम का अपवाद नहीं है।
बल्क में फलों या फसलों के उत्पादन का मतलब है, बड़े पैमाने पर बड़े रकबे में किसी एक फल या फसल की खेती। इसे उस फल या फसल का क्लस्टर भी कह सकते हैं। धीरे-धीरे वह कलस्टर उस फल या फसल की पहचान बन जाती है। जैसे-जैसे यह पहचान मुकम्मल होती जाती है, वैसे वैसे उस क्लस्टर के उत्पाद की संभावनाएं भी बढ़ती जाती हैं। मसलन मलीहाबादी दशहरी, सहारनपुर का चौंसा, बनारस का लंगड़ा, गोरखपुर और बस्ती का गवरजीत, अयोध्या, गोंठा और सहारनपुर का गुड़, प्रतापगढ़ का आंवला, सिद्धार्थनगर का कालानमक धान और कुशीनगर का केला आदि।
ओडीओपी ने भी बढ़ा दी कलस्टर की संभावना
जिन जिलों के एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) खेतीबाड़ी से संबंधित हैं उनको इस योजना के जरिये कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) देकर ग्रेडिंग, पैकिंग, ब्रांडिंग और बाजार तक की सुविधा देना इसी प्रयास का हिस्सा है।
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आम के कलस्टर से लाभान्वित हो रहे 4000 किसान
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन के अनुसार संस्थान, सरकार की मदद से लखनऊ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दशहरी और चौसा आम के लिए क्लस्टर बनाकर करीब 4000 बागवानों को जोड़ चुका है। इनको पुराने बागों के पुरोद्धार, बौर और फसल संरक्षा के उपाय, फलों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किए जाने वाले तरीकों के बाबत जानकारी दी जाती है। इसका इन किसानों को लाभ भी हो रहा है। पहली बार मलिहाबाद से 5 टन दशहरी आम संयुक्त राज्य अमेरिका भेजा गया।
योगी सरकार और विश्व बैंक से संचलित यूपी एग्रीस योजना में भी क्लस्टर का जिक्र
हाल ही में योगी सरकार और विश्व बैंक के बीच उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल इंटर प्राइजेज स्ट्रेंथिंग (यूपी एग्रीस) नामक जिस योजना पर काम की सहमति बनी है उसमें भी एग्रो क्लस्टर्स बनाने का जिक्र है। इस पूरी योजना पर सरकार और विश्व बैंक मिलकर छह साल में 4000 करोड़ रुपये खर्च करेंगे। केंद्र सरकार भी क्लस्टर की संभावनाओं का किसानों के हित में अधिकतम लाभ लेना चाहती है।
केंद्र सरकार 1800 करोड़ रुपये की लागत से बनाएगी बागवानी के 100 क्लस्टर
हाल ही में केंद्रीय कृषि कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कहा था कि अगले पांच वर्षों में केंद्र सरकार 1800 करोड़ रुपये की लागत से बागवानी के निर्यात केंद्रित 100 कलस्टर बनाएगी। सरकार की सब्जी उत्पादन के लिए भी क्लस्टर बनाने की तैयारी है।
केंद्र की इन योजनाओं का भी सर्वाधिक लाभ यूपी को होगा
स्वाभाविक है कि 9 तरह की वैविध्यपूर्ण जलवायु, इंडो गंगेटिक बेल्ट की सबसे उर्वर भूमि, भरपूर पानी और प्रचुर मात्रा में श्रम के रूप में मानव संसाधन और बाजार होने के नाते केंद्र की इन योजनाओं का उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक लाभ भी मिलेगा।
सरकार भी योजनाओं का अधिकतम लाभ किसानों की दिलाने को तैयार
योगी सरकार ने केंद्र की मदद से इन योजनाओं का अधिकतम लाभ प्रदेश के किसानों को दिलाने की तैयारी भी कर दी है। मसलन, प्रयागराज से हल्दिया तक देश के इकलौते जलमार्ग से सस्ते में कृषि उत्पादों का परिवहन होने भी लगा है। योगी सरकार की मंशा इस जलमार्ग का विस्तार अयोध्या तक करने की है। इससे प्रदेश के अवध और पूर्वांचल के बहुतेरे किसानों को लाभ मिलेगा। इसी तरह का लाभ मध्य उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को जेवर एयरपोर्ट के बन जाने से भी होगा।
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