वाम मानसिकता वाले प्रोफेसर रतन लाल जैसे लोगों से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है?

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ANI

रतन लाल के वकील जो भी तर्क दें लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रोफेसर ने भगवान शिव के बारे में जो टिप्पणी की वह गलत थी। समाज पर पड़ने वाले दुष्परिणाम को जानने के बावजूद पढ़ा-लिखा व जागरूक व्यक्ति यदि विवादित टिप्पणी करे तो कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए।

ज्ञानवापी में जबसे शिवलिंग मिला है तबसे सोशल मीडिया पर कुछ लोग नकारात्मक टिप्पणियां करने में लगे हैं लेकिन हमारी पुलिस और प्रशासन ऐसे लोगों को ठीक करने में लगे हुए हैं। ताजा मामला दिल्ली का है जहां दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग पाए जाने के दावों पर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। उनकी गिरफ्तारी के विरोध में वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) से जुड़े छात्रों ने उत्तरी दिल्ली के मौरिस नगर के साइबर पुलिस थाने के बाहर आधी रात को प्रदर्शन और नारेबाजी की। विरोध-प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने सड़क को भी जाम किया। शनिवार को भी दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में वाम छात्र संगठनों से जुड़े छात्र ढपली बजाते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं।

वहीं प्रोफेसर रतन लाल के वकील महमूद प्राचा ने कहा है कि प्रोफेसर रतन लाल के ख़िलाफ़ झूठा मुकदमा दर्ज़ किया गया है। उन्होंने कहा कि FIR में कोई ऐसी बात नहीं है जो संज्ञेय अपराध में आता हो। महमूद प्राचा का कहना है कि IPC की धारा 153A और 295A के तहत गिरफ़्तारी नहीं की जा सकती, पुलिस के पास वह शक्ति ही नहीं है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है।

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अब प्रोफेसर रतन लाल के वकील जो भी तर्क दें लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रोफेसर ने भगवान शिव के बारे में जो टिप्पणी की वह गलत थी। एक पढ़ा-लिखा और जागरूक व्यक्ति यह जानते हुए कि उसकी किसी विवादित टिप्पणी से लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं, तनाव फैल सकता है, फिर भी ऐसी टिप्पणी करता है तो उसे उसके कृत्य की सजा मिलनी ही चाहिए। पुलिस ने सही कदम उठाते हुए एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने) और 295ए (धर्म का अपमान कर किसी वर्ग की धार्मिक भावना को जानबूझकर आहत करना) के तहत गिरफ्तार किया है।

हम आपको बता दें कि दिल्ली के एक वकील की शिकायत के आधार पर मंगलवार रात (17 मई) रतन लाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। वकील विनीत जिंदल ने अपनी शिकायत में कहा कि रतन लाल ने हाल ही में ‘शिवलिंग’ पर एक अपमानजनक और उकसाने वाला ट्वीट किया था। ट्वीट में टिप्पणी के साथ फनी इमोजी भी पोस्ट की गई थी। कई लोगों ने इस पोस्ट पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कार्रवाई की मांग के साथ इसे दिल्ली पुलिस के ट्विटर हैंडल को टैग भी किया था।

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उधर, गिरफ्तारी से पहले एक समाचार एजेंसी द्वारा संपर्क किये जाने पर प्रोफेसर रतन लाल ने दावा किया कि उनकी पोस्ट के बाद उन्हें जान से मार देने की धमकियां मिल रही हैं और सोशल मीडिया पर उन पर लगातार हमला किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से सुरक्षा मुहैया करने की भी मांग की। रतन लाल ने कहा, ‘‘भारत में, यदि आप कुछ बोलते हैं, तो किसी व्यक्ति या अन्य की भावनाएं आहत होंगी। इसलिए, इसमें कुछ नया नहीं है। अपनी सफाई देते हुए उन्होंने समाचार एजेंसी से कहा कि मैं एक इतिहासकार हूं और कई अवलोकन किये हैं। यहां हम कह सकते हैं कि रतन लाल सफाई तो दे रहे हैं लेकिन उन्होंने धार्मिक भावनाएं भड़काने की जो गलती की है उसकी सजा उन्हें मिलनी ही चाहिए। इस पूरे मामले में आश्चर्यजनक बात यह है कि एक तो रतन लाल ने गलती की ऊपर से उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी एक पत्र लिख कर एके-56 राइफल से लैस दो अंगरक्षक उन्हें मुहैया करने का अनुरोध किया है क्योंकि उन्हें कथित रूप से जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। यानि एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी।

बहरहाल, रतन लाल का मामला दर्शाता है कि कैसे हमारे शिक्षा संस्थानों में वाम दलों से जुड़े लोगों ने कब्जा किया हुआ है और ऐसी मानसिकता वाले लोग हमारे छात्रों को क्या शिक्षा देते होंगे? यदि किसी धर्म या उसके प्रतीकों का अपमान शिक्षक ही करेंगे तो छात्र क्या सीखेंगे?

- नीरज कुमार दुबे

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