उन्नाव कांड से फिर उभरा पुराना सवाल- आखिर क्यों सोता रहता है सिस्टम ?
अपराध की गंभीरता को कम करके दिखाया गया, इतना ही नहीं राज्य महिला आयोग भी पूरे घटनाक्रम में पुलिस की हीलाहवाली से असहाय नजर आया। सिस्टम की आंख तब खुली जब लड़की को दरिंदों ने आग के हवाले करके मौत के मुंह के करीब पहुंचा दिया।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर के बीच में बसा छोटा-सा जिला उन्नाव एक बार फिर वहशी दंरिदों के कारण सुर्खियां बटोर रहा है। हाल ही में भाजपा के एक विधायक द्वारा रेप की एक घटना को अंजाम दिए जाने और उसके बाद आरोपियों द्वारा लगातार पीड़िता को धमकी और हत्या के प्रयास की कोशिशों का मामला ठंडा भी नहीं हो पाया था कि एक बार फिर उन्नाव ही नहीं पूरा समाज ठीक वैसे ही शर्मसार हो गया जैसे कुछ दिनों पूर्व हैदराबाद में पशु चिकित्सक से गैंगरेप और उसके बाद उसको जलाकर मार डालने की घटना से हुआ था। गैंगरेप के आरोपियों ने एक युवती को जिंदा जला दिया। वजह पूरा सिस्टम सोया हुआ था। गैंगरेप की पीड़िता इंसाफ के लिए दर−दर भटकती रही, किसी ने उसकी नहीं सुनी। कहीं भी पुलिस ने ईमानदारी नहीं दिखाई। अपराध की गंभीरता को कम करके दिखाया गया, इतना ही नहीं राज्य महिला आयोग भी पूरे घटनाक्रम में पुलिस की हीलाहवाली से असहाय नजर आया। सिस्टम की आंख तब खुली जब लड़की को दरिंदों ने आग के हवाले करके मौत के मुंह के करीब पहुंचा दिया।
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उन्नाव जिले के बिहार थाना क्षेत्र में जब गैंगरेप पीड़िता को आज सुबह पांच लोगों ने जिंदा जला दिया, तब इस जाकर पुलिस की आंखें खुलीं। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। अब पुलिस दावा कर रही है कि उसने मामले में सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन समाज यह सवाल पूछ रहा है कि अभी तक गैंगरेप पीड़िता को न्याय क्यों नहीं मिल पाया था। क्या पुलिस तब तक नहीं जागती है जब तक पानी सिर से ऊपर नहीं हो जाता है। पुलिस का कहना है कि यह घटना बिहार थानाक्षेत्र के सिंदुपुर गांव की है। पीड़िता 90 फीसदी तक जल गई है। उसे लखनऊ के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। यहां बता देना जरूरी है कि मेडिकल सांइस यही कहती है कि अगर कोई इंसान पचास फीसदी से अधिक जल जाता है तो उसके बचने की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं।
अब पुलिस अपनी नाक बचाने के लिए बड़े−बड़े दावे कर रही है, उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पीड़िता का इलाज सरकारी खर्च पर कराए जाने और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कह रहे हैं, लेकिन लगता नहीं है कि इतने भर से मामला शांत हो जाएगा। बहरहाल, हमेशा की तरह इस बार भी सामूहिक दुष्कर्म की शिकार उन्नाव की युवती को जलाकर मारने के प्रयास पर सीएम योगी आदित्यनाथ बेहद गंभीर हैं। झारखंड दौरे पर गए सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की शाम तक रिपोर्ट तलब की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज ही लखनऊ के कमिश्नर और आईजी को तत्काल घटनास्थल का निरीक्षण कर शाम तक आख्या उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
बात गैंगरेप पीड़िता के इलाज की कि जाए तो उन्नाव के थाना बिहार क्षेत्र में सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को जिंदा जलाने की घटना का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि पीड़िता को सरकारी खर्च पर हर संभव चिकित्सा दी जाए। इसके साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्नाव जिला और पुलिस प्रशासन को निर्देश दिया है कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर कोर्ट से प्रभावी दंड दिलाने के लिए हर संभव कार्रवाई की जाए।
यहां सरकारी खर्च पर इलाज कराए जाने की भी व्याख्या करना जरूरी है। होता यह है कि जब सीएम सरकारी खर्च पर इलाज की बात कहते हैं तो अस्पताल में इलाज तो फ्री में शुरू हो जाता है, लेकिन डॉक्टरों का ध्यान इस बात पर ज्यादा होता है कि कैसे मामला शांत होते ही भुक्तभोगी को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाए। अस्पताल से छुट्टी देने के बाद भुक्तभोगी का न कोई हालचाल पूछता है, कहीं से किसी तरह की कोई मदद मिलती है। कैसे एक परिवार है जो सीएम के मुफ्त इलाज की घोषणा के बाद भी दर−दर के लिए भटक रहे हैं। कई का तो गहने, मकान, जमीन तक पीड़ितों का इलाज करवाने में बिक जाते हैं। तब न तो सरकार सामने आती है, न इस तरह की घटनाओं पर सियासत करके रोटियां सेंकने वाले नेता और कथित समाज सेवी कहीं दिखाई देते हैं। अंत में पीड़िता के परिवार को ही सब भुगतना पड़ता है। इस बात के एक नहीं कई उदाहरण मौजूद हैं।
बताया जा रहा है कि उन्नाव की पीड़िता लखनऊ के श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल (सिविल) में भर्ती है। करीब 90 प्रतिशत तक जली पीड़िता मौत से संघर्ष कर रही है। यहां पर प्लास्टिक सर्जन की देखरेख में पीड़िता का इलाज हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश सिंह ने तो योगी सरकार से सामूहिक इस्तीफा ही मांग लिया है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी डीजपी ओपी सिंह से एफआईआर क्यों नहीं लिखी है, इसका जवाब तलब किया है।
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पुलिस किस तरह से अपना दामन बचाती है। यहां यह भी समझना जरूरी है। उन्नाव के पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर कह रहे हैं कि मार्च में रायबरेली के लालगंज थाना क्षेत्र में एक केस दर्ज हुआ था। इसमें लड़की की तरफ से आरोप था कि शादी का झांसा देकर दो लोगों द्वारा गैंगरेप किया गया। इन दोनों आरोपियों का नाम पेट्रोल डालकर जलाने की घटना में भी शामिल है। इधर, पीड़िता के परिवार का कहना है कि जेल से छूटकर आए आरोपी पिछले दो दिनों से उन्हें धमकी दे रहे थे।
पीड़िता ने बयान दिया है कि वह आज सुबह 4 बजे रायबरेली जाने के लिए ट्रेन पकड़ने बैसवारा बिहार रेलवे स्टेशन जा रही थी। गौरा मोड़ पर गांव के हरिशंकर त्रिवेदी, किशोर, शुभम, शिवम और उमेश ने उसे घेर लिया और सिर पर डंडे से और गले पर चाकू से वार किया। इस बीच वह चक्कर आने से गिरी तो आरोपियों ने पेट्रोल डालकर आग लगा दी। बता दें कि इस केस की जांच रायबरेली पुलिस ने की थी। इस केस में दोनों आरोपी जेल से जमानत पर बाहर आए थे।
-स्वदेश कुमार
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