सरसंघचालक मोहन भागवत जी के बयानों पर विवाद करने की बजाय उनके संबोधनों की गहराई को समझना चाहिए

mohan bhagwat
ANI
गौतम मोरारका । Nov 16 2022 5:53PM

साथ ही, इस वर्ष विजयादशमी पर सरसंघचालक जी ने जो संबोधन दिया था वह भी ऐतिहासिक रहा क्योंकि उसमें उन्होंने देश में जनसंख्या असंतुलन का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि यह समस्या किसी भी देश के विभाजन का कारण बन सकती है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने कहा है कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है और सभी भारतीयों का डीएनए एक है। इस बयान पर विवाद खड़ा करने की बजाय इसकी गहराई को देखना चाहिए। भागवत जी ने छत्तीसगढ़ में दिये गये अपने संबोधन में सही ही कहा है कि हिंदुत्व ने सब विविधताओं को हजारों वर्षों से भारत की भूमि में एक साथ चलाया है। भागवत ने जी अपनी बात को आधार देते हुए कहा है कि जो भारत को अपनी माता मानता है, मातृभूमि मानता है, जो भारत में विविधता में एकता वाली संस्कृति को जीना चाहता है, उसके लिए प्रयास करता है, वह पूजा किसी भी तरह से करे, भाषा कोई भी बोले, खान-पान, रीति-रिवाज कोई भी हो, वह हिंदू ही है। वाकई यह सही बात है कि एकमात्र हिंदुत्व नाम का विचार दुनिया में ऐसा है जो विविधताओं को एकजुट करने में विश्वास करता है।

इसके अलावा, समाज को सदैव मार्गदर्शन प्रदान करने वाले सरसंघचालक जी ने हाल ही में वर्ण और जाति जैसी अवधारणाओं को त्यागने का जो आह्वान किया था उससे भी सभी भारतीयों को जुड़ना ही चाहिए। यदि हम वास्तव में धर्म, जाति की सोच से ऊपर उठ जाएं तो हमें विश्व की महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। जाति और वर्ण आदि जैसी व्यवस्थाओं ने हमें एक तरह से बेड़ियों में जकड़ा हुआ है। देखा जाये तो सामाजिक समानता भारतीय परम्परा का हिस्सा रही है इसलिए भेदभाव के हर कारण को खत्म किया ही जाना चाहिए।

साथ ही, इस वर्ष विजयादशमी पर सरसंघचालक जी ने जो संबोधन दिया था वह भी ऐतिहासिक रहा क्योंकि उसमें उन्होंने देश में जनसंख्या असंतुलन का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि यह समस्या किसी भी देश के विभाजन का कारण बन सकती है। देखा जाये तो विश्व इतिहास में ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जो दर्शाते हैं कि जब-जब जनसांख्यिकीय असंतुलन होता है, तब-तब उस देश की भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है। यह मुद्दा वाकई बहुत गंभीर है इसलिए सरकार को चाहिए कि जनसंख्या नियंत्रण कानून संसद के आगामी सत्र में लेकर आये।

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इसके अलावा, संघ प्रमुख मोहन भागवत जी ने हाल ही में इस्लामिक विद्वानों के साथ चर्चा कर भ्रम का माहौल खत्म करने का जो प्रयास किया था उससे वह लोग बौखलाये हुए हैं जोकि संघ के बारे में नकारात्मक बातें फैलाते हैं। ऐसे लोगों से यह देखा नहीं जाता कि वह अल्पसंख्यक समुदाय जिसके मन में संघ के प्रति नफरत भरी गयी थी आज जब वह संघ के करीब जा रहा है, उसके राष्ट्र प्रेम को समझ रहा है, देश के लिए उसकी नीतियों और विचारों को समझ रहा है तो उसकी आंखें खुल रही हैं।

संघ के बारे में भ्रम और अफवाहें फैलाने वालों को यह बात भी समझनी होगी कि संघ मात्र हिंदूवादी संगठन नहीं है बल्कि यह वह संगठन है जोकि राष्ट्र की निरंतर उन्नति के लिए काम करता है और सामाजिक समरसता बनाये रखने तथा भेदभाव समाप्त करने की दिशा में बिना किसी सरकारी सहयोग के निरंतर कार्यरत रहता है।

बहरहाल, संघ प्रमुख ने सभी भारतीयों का डीएनए एक होने और भारत में रहने वाले सभी लोगों के भारतीय होने की जो बात कही है उसका स्वागत किया जाना चाहिए। इसमें कहीं कोई दो राय है ही नहीं कि विविधता होने के बावजूद हम सभी एक जैसे हैं। हमारे पूर्वज एक ही थे। हर भारतीय जो 40 हजार साल पुराने 'अखंड भारत' का हिस्सा हैं, सभी का डीएनए एक है। हमारे पूर्वजों ने यही सिखाया था कि हर किसी को अपनी आस्था और पूजा पद्धति पर कायम रहना चाहिए और दूसरों की आस्था और पूजा पद्धति को बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। हम आपस में सभी के विश्वास और संस्कारों का सम्मान करें, सबको स्वीकार करें और अपने रास्ते पर चलें तो भारत को विश्वशक्ति और विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।

-गौतम मोरारका

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