कोरोना से निबटने के मोदी के प्रयास रंग ला रहे, अदालत की प्रशंसा से बढ़ेगा सरकार का हौसला
सर्वोच्च न्यायालय की यह टिप्पणी देश के लिए गौरव की बात है। भारत एक विशाल आबादी वाला देश है। इसमें अब तक कोरोना महामारी से 4.46 लाख मौत हुई हैं। इतने मरने वालों के परिवार वालों को प्रति व्यक्ति 50 हजार रुपया देने का निर्णय लेना केंद्र की बड़ी बात है।
आलोचना करने वाले कुछ भी कहें किंतु कोरोना महामारी से निपटने के लिए भारत द्वारा किए प्रयासों की पूरी दुनिया में प्रशंसा हो रही है। प्रायः सबने भारत की पीठ थपथपाई है। अब तो स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए देश में किये गए इंतजामों की तारीफ की। कोरोना से जान गंवाने वालों के परिजनों को मुआवजे के तौर पर 50 हजार रुपए देने के केंद्र के फैसले पर कोर्ट ने खुशी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि सरकार के इस कदम से उन लोगों के परिजनों को थोड़ी सांत्वना मिलेगी, जिन्होंने अपनों को खोया है।
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जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि देश में जनसंख्या, वैक्सीन पर खर्च, आर्थिक हालत और विपरीत परिस्थितियों को देखते हुए असाधारण कदम उठाए गए। उन्होंने कहा कि जो हमने किया, वो दुनिया का कोई और देश नहीं कर पाया। हमें खुशी है कि पीड़ित व्यक्ति के आंसू पोंछने के लिए कुछ कदम उठाए गए। केंद्र की ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'हम जीवन को पहुंची क्षति की भरपाई नहीं कर सकते लेकिन पीड़ित परिवारों के लिए देश जो कुछ कर सकता है, किया जा रहा है।' जस्टिस शाह और एएस बोपन्ना ने भी कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए भारत के इंतजामों की सराहना की। पीठ ने कहा 'हम खुश हैं कि पीड़ितों को कुछ सांत्वना मिलेगी। यह कई परिवारों के आंसू पोंछेगा। हमें इस तथ्य का अवश्य ही न्यायिक संज्ञान लेना चाहिए कि लोगों की कई सारी समस्याओं के बावजूद कुछ किया जा रहा है। भारत ने जो किया है, कोई अन्य देश नहीं कर सका है।
सर्वोच्च न्यायालय की यह टिप्पणी देश के लिए गौरव की बात है। भारत एक विशाल आबादी वाला देश है। इसमें अब तक कोरोना महामारी से 4.46 लाख मौत हुई हैं। इतने मरने वालों के परिवार वालों को प्रति व्यक्ति 50 हजार रुपया देने का निर्णय लेना केंद्र की बड़ी बात है। इतना ही नहीं इसी के साथ देश भर में फ्री वैक्सीन दी जा रही है। अब तो यह भी आदेश हो गए कि बुजुर्ग, बीमार और दिव्यांग को उसके घर पर जाकर वैक्सीन लगाई जाएगी।
अब तक लगभग 22 करोड़ लोगों को वैकसीन की दोनों डोज लगाई जा चुकी हैं। यह 18 साल से ऊपर की आबादी का 15.05 प्रतिशत है। लगभग 62 करोड़ व्यक्तियों को एक डोज दी जा चुकी है। यह 18 साल से ऊपर की आबादी का 45.1 प्रतिशत है। इतनी बड़ी मात्रा में वैक्सीन दिया जाना देश के लिए बड़ी उपलब्धि है। देश के चिकित्सक और इस कार्य में लगे अन्य चिकित्साकर्मियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिन पर एक दिन में ही ढाई करोड़ से अधिक कोरोना वैकसीन की खुराक लगा कर विश्व रिकार्ड बनाया है।
आज देश में कोरोना रोधी टीकाकरण बहुत तेजी से हो रहा है। प्रतिमाह 20 से 25 करोड़ कोरोना की वैक्सीन की डोज लग रही हैं। विशेष बात यह है कि लगने वाली वैक्सीन का निर्माण देश में ही हो रहा है। आठ महीने के कम समय में देश में आधी से अधिक आबादी को कोरोना वैक्सीन की एक डोज भी लगवाना इस बात का प्रमाण है कि देश की जनता को देश में बनी वैक्सीन पर यकीन है। वह उत्साह के साथ वैक्सीन लगवा रहे हैं। खुद बूथ पर जा रहे हैं।
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एक समय था जब देश में कोरोना वैक्सीन को लेकर बहुत मारा-मारी हो रही थी। वैक्सीन आवंटन को लेकर केन्द्र व राज्य सरकार एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे थे। जनता में टीकाकरण में होने वाली देरी को लेकर सरकार के प्रति रोष था। केंद्र के वैक्सीन आपूर्ति की जिम्मेदारी संभालने के बाद आज हालात पूरी तरह बदल गए हैं। विश्व योग दिवस से केंद्र सरकार ने 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को निःशुल्क टीके का कार्यक्रम शुरू कराया। यह टीकाकरण आज भी बहुत तेजी से चल रहा है। केंद्र सरकार द्वारा टीकाकरण की जिम्मेदारी लेने के बाद से केंद्र व राज्य सरकारों के मध्य खींचतान व आरोप−प्रत्यारोप तो बंद हुए ही, केंद्र के टीकाकरण कार्यक्रम में सभी राज्य सरकारों ने पूरी क्षमता से यागदान किया। इसी सामूहिक प्रयास का परिणाम है कि प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर भारत में एक दिन में ढाई करोड़ से अधिक टीकाकरण संभव हो पाया है। केंद्र का मानना है कि इसी साल दिसम्बर तक देश के सभी व्यस्क 94 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन लगा दी जाएगी। टीकाकरण अभियान सफल होने का सबसे प्रमुख कारण है कि सरकार ने समय रहते टीकाकरण अभियान की नीति बनाई। देश के वैज्ञानिकों ने टीके की खोज की और उसको बनाया। निजी कंपनियों ने बहुत तेजी से उत्पादन किया। सरकार ने व्यवस्थित तरीके से उसे आम व्यक्ति तक पहुंचाने की व्यवस्था की। राजनेताओं ने भले ही टीके का विरोध किया। देशवासियों ने देश में निर्मित टीके पर विश्वास ही नहीं जताया, उसको उत्साह के साथ लगवाया भी। देशवासियों ने कोरोना के टीके को लगवा कर कोरोना की लहर को रोकने की दिशा में बहुत बड़ा काम किया है।
इस महामारी की दूसरी लहर से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई। देशभर में ऑक्सीजन गैस की किल्लत महसूस की गई। उसके बाद केंद्र व राज्य सरकारों ने अपने चिकित्सकीय तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में तेजी से कार्य कर किया। आज हालत यह है कि देश के हर छोटे-बड़े अस्पतालों में गैस उत्पादन के संयंत्र लगाए जा रहे हैं। जीवन रक्षक दवाओं का तेजी से उत्पादन हो रहा है। इसी का परिणाम है कि देशवासी तीसरी लहर आने की संभावना से उतने आशंकित नहीं हैं जितना उन्हें दूसरी लहर ने डराया। नुकसान दिया। जो भी हो, कोविड से लड़ने में, इस आपदा पर नियंत्रणा पाने में भारत की पूरी दुनिया में प्रशंसा हो रही थी। अब सर्वोच्च न्यायालय ने भी सरकार के कार्य की तारीफ करके आलोचना करने वालों के मुह बंद कर दिए हैं। सरकार की पीठ थपथपा कर उसे और बेहतर करके का हौसला दिया है।
- अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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