संकल्पों और घोषणाओं का भारत ! जानें वास्तविकता की कसौटी पर 1 साल में कितनी खरी उतरी मोदी सरकार
गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल को राज्यसभा में चर्चा और पास करने के लिए पेश किया तो उन्होंने बीजेपी घोषणापत्र का भी जिक्र किया था। शाह ने कहा कि चुनाव से पहले ही हमने जनता के सामने नागरिकता संशोधन बिल लाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे जनता ने अपना समर्थन दिया।
वादे हैं वादों का क्या? चुनाव में वादों के पिटारे के रूप में घोषणापत्र जारी किये जाते हैं। जिसके जरिये सभी पार्टियां अपनी विचारधारा, नीतियां और कार्ययोजना का ब्यौरा जनता के सामने रखती है। सरल भाषा में कहें तो ये बताती है कि अगर वह सत्ता में आई तो आपके, हमारे और सभी जनता के लिए क्या-क्या करेगी। वैसे तो चुनाव में और भी कई पहलु अहम हैं लेकिन घोषणापत्र का एक अहम रोल होता है। जनता भी यह उम्मीद करती है कि इनके द्वारा किये गए वादों पर वो खरे उतरेंगे और उसी के अनुसार वो मतदान कई बार करती भी है। इस तरह पार्टियां अपने घोषणापत्र में ऐसी घोषणाएं करती हैं जो मतदाताओं को लुभा सकें और वो चुनाव जीत सकें। लेकिन आजकल तो घोषणापत्र का नाम ही बदल गया है। शायद इन राजनीतिक पार्टियों को अहसास हो चुका है कि इन घोषणापत्रों से जनता का विश्वास उठ रहा है। अब घोषणापत्र को संकल्प-पत्र, शपथपत्र, वचन-पत्र, अटल दृष्टि इत्यादि के नाम से जारी किया जा रहा है। देश की सत्ता में दूसरी बार विराजमान मोदी सरकार अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को लगातार अमलीजामा पहना रही है। बीजेपी ने 2019 के चुनावी घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने, नागरिकता संशोधन कानून लाने और तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने का वादा किया था। इन तमाम वादों के साथ बीजेपी ने आतंकवाद पर नकेल कसने के लिए यूएपीए और एसपीजी संशोधन बिल को पास कराने में कामयाब रही है। महाभारत के शांतिपर्व में एक श्लोक है- स्वं प्रियं तु परित्यज्य यद् यल्लोकहितं भवेत अर्थात् राजा को अपने प्रिय लगने वाले कार्य की बजाय वही कार्य करना चाहिए जिसमें सबका हित हो। केंद्र की मोदी सरकार के एक साल के कार्यों का मूल्यांकन उनके संकल्प पत्र में किए गए वादे से करते समय महाभारत में वर्णित यह श्लोक और इसका भावार्थ स्वाभाविक रूप से जेहन में आता है। मोदी सरकार ने एक साल के दौरान तमाम मिथकों को न सिर्फ धता बताया बल्कि उन्हें पूरा करने का जिगर भी दिखाया। अपने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी ने कई नामुमकिन को मुमकिन बनाया है, जिसमें उनके साथी, सहयोगी और सारथी अमित शाह ने बखूबी साथ दिया। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी बीजेपी के संकल्पों को पूरा करने के लिए ऐसी दौड़ी की क्या तमाम सपनों आम हिन्दुस्तानियों की झोली में आकर गिरने लगे, वो सपनें जो कभी इस देश ने देखे थे। देश की आवाम ने देखे थे, आरएसएस ने देखे थे, जनसंघ ने और बीजेपी ने देखे थे। बीते एक बरस में मोदी सरकार 2.0 के पूरे किए गए संकल्पों पर इस रिपोर्ट के जरिए डालते हैं नजर।
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मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति
भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में कहा था कि हम तीन तलाक और निकाह-हलाला जैसी प्रथाओं के उन्मूलन और उन पर रोक लगाने के लिए एक कानून पारित करेंगे। जिसके बाद मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में सबसे पहले मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने का कदम उठाया और बरसों से चली आ रही तीन तलाक प्रथा को खत्म किया। मोदी सरकार ने तीन तलाक को पूरी तरह से बैन करने और इसे अपराध घोषित करने हेतु 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019' को लोकसभा और राज्यसभा से पारित कराया।
जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 से आजादी
अनुच्छेद 370 के बारे में भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में लिखा कि "हम जनसंघ के समय से 370 के बारे में अपने दृष्टिकोण को दोहराते हैं। हम धारा 35-ए को ख़त्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 6 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में सबसे ऐतिहासिक फैसला जम्मू-कश्मीर को लेकर लिया जो जनसंघ के जमाने से पार्टी की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रहा है। नवनिर्वाचित सरकार ने दिखाया कि कुछ करने का जज्बा और हौसला जब प्रधानमंत्री मोदी जैसा हो तो कुछ भी असंभव नहीं। मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को जिस तरह निष्प्रभावी बना दिया, वो विपक्ष को भी हैरान कर गया। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद कश्मीर में एक देश एक कानून की धारणा मजबूत हो गई।
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आतंकवाद पर लगाम के लिए यूएपीए एक्ट
घोषणापत्र में किए गए वादे के अनुरूप मोदी सरकार ने आतंकवादियों पर कड़े प्रहार के लिए विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक (यूएपीए) को मंजूरी दे दी। यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून के जरिए देश की सुरक्षा मजबूत की। इसके कानून के बाद अब सरकार किसी भी व्यक्ति विशेष को आतंकवादी घोषित कर सकती है और उसकी संपत्ति भी जब्त कर सकती है।
भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति
भाजपा के संकल्प पत्र में 'सुशासन' शीर्षक वाले अध्याय में भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए प्रयास किए जाने की बात कही गई है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सरकारी विभागों की सफाई यानी 'नाकारा अफसरों' को निकालने और भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की दिशा में प्रयासरत दिख रही है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने एक बार फिर 22 सीनियर अफसरों को जबरन रिटायर करने का फैसला लिया है। ये सभी अफसर टैक्स डिपार्टमेंट के हैं।
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राम मंदिर का वादा
संविधान के तहत अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए सभी संभावना तलाशी जाएंग।. वादे पर अमल: अयोध्या में राम मंदिर बनाने को लेकर कई स्तरों पर चर्चा हुई। बीजेपी नेता और मंत्रियों ने केंद्र सरकार पर अध्यादेश लाकर राम मंदिर बनाने का दबाव डाला था, लेकिन मोदी सरकार अयोध्या की विवादित जमीन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने रामलाल के नाम जमीन के हक पर हस्ताक्षर के बाद पीएम मोदी ने राममंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ का गठन किया है।
नागरिकता संशोधन बिल पास
गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल को राज्यसभा में चर्चा और पास करने के लिए पेश किया तो उन्होंने बीजेपी घोषणापत्र का भी जिक्र किया था। शाह ने कहा कि चुनाव से पहले ही हमने जनता के सामने नागरिकता संशोधन बिल लाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे जनता ने अपना समर्थन दिया। जनादेश से बड़ा कुछ भी नहीं हो सकता। मोदी सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा से पास कराने में कामयाब रही है, जिसके बाद अब अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिल सकेगी।
- अभिनय आकाश
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