डिजिटल इंडिया के माध्यम से क्रांतिकारी परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है भारत
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, परिवहन एवं बैंकिंग सेवाओं के क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आम लोगों की जिंदगी को किस प्रकार आसान बनाया जाय एवं दूर दराज इलाकों में रहने वाले व्यक्तियों को भी सभी प्रकार की सुविधाएं आसानी से मिल सकें इसलिए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम चलाया गया है।
वैसे डिजिटल इंडिया का विजन तो माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में ही बना लिया था परंतु डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत 01 जुलाई 2015 को हुई थी। इन 7-8 वर्षों के दौरान भारत ने डिजिटलीकरण के क्षेत्र में अतुलनीय प्रगति की है एवं आज भारत में 83 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट एवं स्मार्ट फोन से जुड़े हुए हैं। इस प्रकार भारत ने एक नए डिजिटल युग में प्रवेश कर लिया है। शुरुआती दौर में जरूर कुछ समस्याएं रहीं जैसे तकनीकि से सम्बंधित, उच्च लागत से सम्बंधित, उपलब्धता (कनेक्टिविटी) से सम्बंधित, प्लेटफार्म से सम्बंधित, आदि। अब इन समस्याओं का हल निकाल लिया गया है एवं कम लागत पर इंटरनेट सुविधाओं की उपलब्धता भी बढ़ी है। भारत में अब तो सार्वजनिक अधोसंरचना विकसित कर ली गई है ताकि देश के सभी नागरिक इन सुविधाओं का लाभ ले सकें। यूनीफाईड पेमेंट इंटरफेस (UPI) इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, जिसके माध्यम से आज प्रतिदिन 100 करोड़ से अधिक बैंकिंग व्यवहार करने की ओर भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस सार्वजनिक प्लेटफार्म का सारे बैंकिंग संस्थान उपयोग कर रहे हैं। आधार कार्यक्रम की सफलता के बाद तो डिजिटल इंडिया एक नए दौर में चला गया है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी डिजिटल इंडिया ने कमाल ही कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से एक ऐप बनाए जाने पर विचार किया जा रहा है ताकि कोई भी व्यक्ति कहीं भी अपना इलाज आसानी से करा सके। इसके लिए भी तेजी से कार्य किया जा रहा है। गावों में भी डिजिटल इंडिया पर कार्य किया जा रहा है। अब तो ड्रोन के लिए नए डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग हो रहा है एवं ड्रोन के माध्यम से कृषि को किस प्रकार सहयोग किया जा सकता है इस पर भी कार्य हो रहा है। ड्रोन के माध्यम से बीजों का छिड़काव आदि कार्य किए जाने पर भी विचार किया जा रहा है।
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डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गत 1 फरवरी 2022 को वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए पेपरलेस यानी डिजिटल बजट भारतीय संसद में पेश किया। इस आम बजट के माध्यम से डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई बड़े कदमों का ऐलान किया गया है जिसमें डिजिटल बैंकिंग को लेकर किया गया एक बड़ा ऐलान भी शामिल है। डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकों की स्थापना करेंगे। इन 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयां भी स्थापित की जाएंगी। साथ ही, 1.5 लाख डाकघरों में 100 फीसदी कोर बैंकिंग प्रणाली पर ले आया जाएगा। इससे नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग एवं एटीएम के माध्यम से ग्राहकों को अपने खातों तक पहुंच मिल जाएगी। इस प्रकार वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आत्मनिर्भर डिजिटल इंडिया का डिजिटल बजट पेश किया गया है। आम बजट में सरकार का जोर साफ तौर पर डिजिटल अर्थव्यवस्था व उससे जुड़ी तमाम चीजों पर देखा जा सकता है। प्रत्येक गांव में एक ऐसा केंद्र विकसित किया जा रहा है जहां डिजिटल शिक्षा, डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएं एवं डिजिटल बैंकिंग सुविधाएं एक साथ मिल सकें।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, परिवहन एवं बैंकिंग सेवाओं के क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आम लोगों की जिंदगी को किस प्रकार आसान बनाया जाय एवं दूर दराज इलाकों में रहने वाले व्यक्तियों को भी सभी प्रकार की सुविधाएं आसानी से मिल सकें इसलिए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम चलाया गया है। आत्म निर्भर भारत भी डिजिटल इंडिया से ही बन सकता है। देश में शीघ्र ही 5जी की शुरुआत किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं इसके प्रारम्भ होने के साथ ही भारत एक नए युग में प्रवेश कर जाएगा। भारत में 6.50 लाख से अधिक गांव हैं एवं 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। आजादी के बाद से भी आज तक केवल 50,000 गावों में ही बैंकों की शाखाएं पहुंच पाई हैं। इस प्रकार पुराने तरीकों से तो गावों तक बैंकिंग एवं अन्य सुविधाएं पहुंचा नहीं पा रहीं हैं। इसलिए गावों में बैंकिंग एवं अन्य सुविधाएं पहुंचाने की दृष्टि से भी डिजिटल इंडिया का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। चूंकि दूर दराज इलाकों में निवास कर रहे ग्रामीणों को बैंकिंग एवं अन्य सेवाएं पहुंच नहीं पा रही थी अतः डिजिटल इंडिया में यूपीआई के माध्यम से अब इन घरों तक भी बैंकिंग एवं अन्य सुविधाएं पहुंचा दी गईं हैं। इससे गावों में निवास कर रहे बुजुर्गों को भी बहुत सुविधा हुई हैं।
इसी तरह शिक्षा का क्षेत्र भी है जहां ऑनलाइन कक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है। कोरोना महामारी के दौरान तो इस कार्य के लिए डिजिटल इंडिया का भरपूर उपयोग किया गया। कोरोना महामारी के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में यदि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को नहीं अपनाया जाता तो केवल कल्पना ही की जा सकती है कि आज भारत में सारी शिक्षा व्यवस्था किस स्तर पर होती। अब तो केंद्र सरकार द्वारा एक चैनल एक क्लास को विकसित करने की बात वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए प्रस्तुत किए गए आम बजट में की गई है। यह विचार भी बहुत अच्छा है। इससे ग्रामीण इलाकों तक अच्छे शिक्षकों की पहुंच बनेगी एवं गावों में भी बच्चे उच्च एवं अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। शिक्षकों की गुणवत्ता का लाभ ग्रामीण बच्चों को भी सही मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकेगा। डिजिटल इंडिया के माध्यम से शिक्षा व्यवस्था को नई सोच दी गई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के आम बजट में एक डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाए जाने की घोषणा भी की गई हैं।
इसी प्रकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी क्रांति लाई जा रही है। डॉक्टर अपनी विशिष्ट सेवाएं ऑनलाइन प्रदान कर रहे हैं इसे भी कोविड के समय पर सफलतापूर्वक चलाया गया है। ई-संजीवनी कार्यक्रम को चालू किया गया है जिसके अंतर्गत डॉक्टर ऑनलाइन मरीजों को देखकर अपनी राय दे सकते हैं। टेली मेडिसिन कार्यक्रम पर भी जोर दिया जा रहा है।
5जी की शुरुआत के साथ ही भारत एक नए युग में प्रवेश कर जाएगा। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 5जी मोबाइल सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी होगी। इस तरह शीघ्र ही निजी दूरसंचार कम्पनियां देश में 5जी सेवाओं की शुरुआत कर पाएंगी। 5जी सुविधा शुरू होने के बाद 5जी स्मार्ट फोन की कार्यक्षमता में अतुलनीय सुधार होगा। 5जी के आने से देश भर में इंटरनेट यूजर्स को हाई स्पीड नेट सर्फ़िंग की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। विडीओ स्ट्रीमिंग की गति को भी तेज किया जा सकेगा।
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डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को एक और कदम आगे बढ़ाते हुए अब भारत अपनी डिजिटल करेन्सी बनाने जा रहा है। डिजिटल करेन्सी को लागू करने से फिजीकल करेन्सी की कम आवश्यकता होगी इससे देश को फिजीकल करेन्सी के प्रिंटिंग पर खर्च की जाने वाली भारी राशि की बचत होगी। पूरे विश्व के बड़े राष्ट्रों में भारत पहला राष्ट्र बनने जा रहा है जिसकी अपनी डिजिटल करेन्सी होगी। यह एक क्रांतिकारी सोच है। पोस्ट ऑफिस की समस्त शाखाओं को भी कोर बैंकिंग सोल्यूशन नामक डिजिटल प्लेटफोर्म पर लाया जा रहा है। इससे भी भारत में क्रांतिकारी परिवर्तन आएंगे। इससे पोस्ट ऑफिस की इन शाखाओं की ऋण प्रदान करने की क्षमता बढ़ेगी एवं ये शाखाएं ग्रामीण इलाकों में ऋण आसानी से प्रदान कर सकेंगीं।
ग्रामीण इलाकों में निवास कर रहे किसानों को कृषि सम्बंधी समस्त सुविधाएं डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराई जाएंगी। फसल मूल्यांकन के साथ ही भूमि अभिलेखों को भी डिजिटल प्लेटफार्म पर लाया जा रहा है। खेती किसानी में ड्रोन का इस्तेमाल करने की ओर भी कार्य किया जा रहा है। इससे फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेख एवं कीटनाशकों के छिड़काव में बहुत मदद मिलेगी। डिजिटल इंडिया के माध्यम से किसानों को अपनी फसल अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने हेतु भी सक्षम बनाया जा रहा है। केंद्र सरकार इस हेतु कई नए नए कदम उठा रही है इसका लाभ आने वाले समय में हर भारतीय किसान को मिलने लगेगा।
- प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक
के-8, चेतकपुरी कालोनी, झांसी रोड, लश्कर, ग्वालियर - 474 009
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