कोरोना के टीकाकरण में दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बन कर उभरा भारत
भारत द्वारा अब तक 17 देशों को कोरोना वैक्सीन की एक करोड़ से भी ज्यादा डोज देकर मदद पहुंचाई जा चुकी है और फिलहाल श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, मॉरीशस इत्यादि कई देशों में तो भारतीय वैक्सीन से ही टीकाकरण किया भी जा रहा है।
कोरोना के अंत के लिए भारत में गत 16 जनवरी को दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू हुआ था और पहले ही दिन 207229 लोगों को कोरोना का टीका लगाकर भारत इतने बड़े पैमाने पर टीकाकरण करने वाला पहला देश बन गया था। केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के मुताबिक अमेरिका में एक दिन में सर्वाधिक 79458, ब्रिटेन में 19700 और फ्रांस में 73 टीके ही लगे थे जबकि भारत में पहले ही दिन दो लाख से ज्यादा लोगों का टीकाकरण हुआ था, हालांकि लक्ष्य तीन लाख लोगों का था। हालांकि भारत से पहले अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी सहित कई देशों में टीकाकरण शुरू हो गया था लेकिन भारत न केवल टीकाकरण के पहले ही दिन इतनी बड़ी संख्या में लोगों को टीका लगाने वाला पहला देश बना बल्कि अब कोविड वैक्सीन सबसे तेज गति से लगाने के मामले में भी दुनिया में सबसे आगे है।
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स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक टीकाकरण अभियान के 19वें दिन यानी 4 फरवरी की सुबह तक 4449552 लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। देश में 18 दिनों में करीब 41 लाख लोगों को कोरोना का टीका लगाया गया और इस प्रकार भारत सबसे कम दिनों में 40 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाने वाला नंबर एक देश बन गया। अमेरिका को यही संख्या छूने में 20 दिन तथा इजराइल और ब्रिटेन को 39 दिनों का समय लगा। हालांकि शुरूआत में भारत में टीकाकरण अभियान की रफ्तार कुछ धीमी थी किन्तु अब इसमें तेजी आई है और प्रतिदिन करीब चार लाख लोगों का टीकाकरण हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस तो कोरोना टीकाकरण के मामले में भारत को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बता रहे हैं। उनका कहना है कि भारत की उत्पादन क्षमता दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पूंजियों में से एक है और कोरोना महामारी को दूर करने के लिए भारत की उत्पादन क्षमता का पूर्ण इस्तेमाल होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि भारत द्वारा अब तक 17 देशों को कोरोना वैक्सीन की एक करोड़ से भी ज्यादा डोज देकर मदद पहुंचाई जा चुकी है और फिलहाल श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, मॉरीशस इत्यादि कई देशों में तो भारतीय वैक्सीन से ही टीकाकरण किया भी जा रहा है। भारत में कोरोना टीकाकरण के सर्वाधिक लाभार्थी (करीब 55 फीसदी) सात राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और पश्चिम बंगाल के ही हैं, जहां 4 फरवरी तक क्रमशः 463793, 363521, 354633, 330772, 316638, 311251 और 301091 लोगों का टीकाकरण हुआ। गौरवान्वित करने वाली बात यह है कि भारत पहला ऐसा देश है, जहां इतनी तेज गति से टीकाकरण हुआ है और स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि भारत तेज गति से यह टीकाकरण अभियान जारी रखेगा। इस टीकाकरण अभियान के तहत पहले चरण में तीन करोड़ और दूसरे चरण में इसे 30 करोड़ के लक्ष्य तक ले जाना है।
बता दें कि भारत में टीकाकरण तीन चरणों में होना है, जिसमें सबसे पहले टीका लगवाने के लिए करीब एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों को चिन्हित किया गया है, उसके बाद करीब दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स (पुलिसकर्मी, सेना के जवान, होमगार्ड, सिविल डिफेंस तथा आपदा दल के सदस्य, निगम कर्मचारी, कारागार कर्मचारी तथा कंटेनमेंट क्षेत्र में तैनात कर्मचारी) और फिर 50 साल से ज्यादा आयु वाले तथा 50 साल के कम किन्तु गंभीर बीमारी वाले करीब 27 करोड़ लोगों को टीका दिया जाएगा। टीके की पहली खुराक के 28 दिन बाद दूसरी खुराक भी लगवानी होगी और टीके का असर दूसरी खुराक के 14 दिन बाद शुरू होगा। भारत में फिलहाल ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोजेनेका के साथ मिलकर बनाई गई सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया की ‘कोविशील्ड’ तथा स्वदेश में विकसित भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ का उपयोग टीकाकरण के लिए किया जा रहा है। सरकार द्वारा अभी सीरम इंस्टीच्यूट से 200 रुपये प्रति खुराक के हिसाब से कोविशील्ड की 1.1 करोड़ खुराक जबकि भारत बायोटेक से 295 रुपये प्रति खुराक के हिसाब से 55 लाख खुराकें खरीदी गई हैं, जिनमें से भारत बायोटेक ने सरकार को 16.5 लाख खुराकें मुफ्त दी हैं।
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भारत में शुरू हुआ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि अभी तक हुए सर्वे में यह बात उभर कर सामने आई है कि भले ही शुरूआती दौर में हमारे यहां टीकाकरण अभियान अपेक्षा के अनुरूप रफ्तार नहीं पकड़ पाया, फिर भी दुनिया में सबसे ज्यादा भरोसा भारतीयों को ही अपने वैज्ञानिकों और उनके बनाए टीकों पर है। एडलमेन ट्रस्ट बेरोमीटर के हालिया सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि दुनियाभर में करीब 64 फीसदी लोग ही टीकाकरण कराना चाहते हैं और इनमें से भी तीन में से केवल एक व्यक्ति ही जल्द से जल्द टीका लगवाना चाहता है जबकि 80 फीसदी भारतीय टीकाकरण कराना चाहते हैं और इन 80 फीसदी में से 51 फीसदी भारतीय जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाने के इच्छुक हैं। इस सर्वे के अनुसार भारत सहित ब्राजील, मैक्सिको, चीन, थाईलैंड, कोलम्बिया, आस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, अर्जेन्टीना, यूएई शीर्ष ऐसे 10 देश हैं, जहां सर्वाधिक लोग कोरोना वैक्सीन लगवाना चाहते हैं जबकि रूस, दक्षिण अफ्रीका, जापान, फ्रांस, सिंगापुर, स्पेन जैसे देशों के लोगों में कोरोना टीकों के प्रति सबसे ज्यादा बेरूखी दिखाई दी है।
ऑनलाइन तरीके से यह सर्वे कुल 28 देशों के नागरिकों के बीच किया गया था। सर्वे के आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में 80, ब्राजील में 76, चीन में 74, ब्रिटेन में 66, जर्मनी में 62, अमेरिका में 59, जापान में 54, फ्रांस में 52, अफ्रीका में 49 और रूस में केवल 40 फीसदी लोग कोरोना टीका लगवाना चाहते हैं। शुरुआती दिनों के टीकाकरण अभियान में अपेक्षा से कम टीकाकरण होने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इस अभियान में तेजी लाने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए गए। मसलन, अगर तय दिवस पर कोई व्यक्ति टीका लगवाने नहीं आता है तो दूसरे पंजीकृत व्यक्तियों को बारी से पहले टीका दिया जा सकता है।
-योगेश कुमार गोयल
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं तथा 31 वर्षों से साहित्य एवं पत्रकारिता में सक्रिय हैं। गत वर्ष इनकी ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’ तथा ‘जीव जंतुओं का अनोखा संसार’ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।)
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