गंगा एक्सप्रेस-वे यूपी के लिए बड़ी परियोजना है, परन्तु इसका और विस्तार किया जाना चाहिए
ये एक्सप्रेस-वे प्रयागराज से मेरठ तक बनाया जा रहा है। यदि इससे गढ़मुक्तेश्वर, हस्तिनापुर, विदुरकुटी (बिजनौर) शुक्रताल और हरिद्वार जुड़ जाए तो गंगा किनारे के सभी महत्वपूर्ण तीर्थ और ऐतिहासिक स्थल इससे लाभान्वित हो सकते हैं।
आज गंगा एक्सग्रेस−वे का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिलान्यास कर रहे हैं। छह सौ किलो मीटर लंबे इस एक्सप्रेस−वे का नाम भले ही गंगा से जुड़ा हो, किंतु यह सही मायने में गंगा एक्सप्रेस−वे नहीं है। गंगा एक्सप्रेस-वे तो गंगा के किनारे बसे नगरों और महत्वपूर्ण स्थलों से जुड़ना चाहिए। इससे गढ़मुक्तेश्वर, हस्तिनापुर, विदुरकुटी (बिजनौर), शुक्रताल और हरिद्वार तथा दूसरे छोर पर प्रयागराज से वाराणसी भी जोड़ना होगा। उत्तर प्रदेश में सुगम यातायात के लिए इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा रहा है। छह लेन के गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर करीब 36 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। मेरठ से शुरू होने वाला ये एक्सप्रेस−वे हापुड़, बुलन्दशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और रायबरेली से होकर प्रयागराज तक पहुंचेगा। लगभग 600 किलोमीटर लंबा ये हिंदुस्तान का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे होगा। इस पर चलने वाले वाहनों की अधिकतम रफ्तार 120 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई है। इसके साथ ही रोजगार सृजन के लिए इस एक्सप्रेस−वे पर ढाबे, पेट्रोल पंप और ट्रॉमा सेंटर भी बनाए जाएंगे। इस एक्सप्रेस-वे का लाभ एनसीआर, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत कई अन्य राज्यों के लोगों को भी मिलने वाला है। एक्सप्रेस-वे पर आपातकाल में वायुसेना के विमान और हेलिकाप्टर की लैंडिंग और टेकऑफ के लिए शाहजहांपुर जिले में एक हवाई पट्टी भी बनाई जानी है। परियोजना के आस-पास के गांवों के निवासियों के लिए सर्विस रोड भी बनाया जाएगा।
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ये एक्सप्रेस-वे प्रयागराज से मेरठ तक बनाया जा रहा है। यदि इससे गढ़मुक्तेश्वर, हस्तिनापुर, विदुरकुटी (बिजनौर) शुक्रताल और हरिद्वार जुड़ जाए तो गंगा किनारे के सभी महत्वपूर्ण तीर्थ और ऐतिहासिक स्थल इससे लाभान्वित हो सकते हैं। गढ़मुक्तेश्वर गंगा किनारे का प्राचीन स्थल है। यहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा को विशाल मेला लगता है। यह मेला महाभारत कालीन है। कहा जाता है कि महाभारत की समाप्ति पर हत्याओं के पाप से मुक्ति के लिए पांडवों ने यहां कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान किया था। तब से ये मेला लगता चला आ रहा है। हस्तिनापुर महाभारतकालीन नगर है साथ ही जैन धर्म का बड़ा स्थल है। हस्तिनापुर के सामने महाभारत कालीन गुरु द्रोणाचार्य का सैन्य प्रशिक्षण केंद्र और कौरवों की छावनी सेंधवार तथा महात्मा विदुर की स्थली विदुर कुटी है। पास में ही हिंदुओं का पवित्र स्थल शुक्रताल है। इस पवित्र स्थान पर शुकदेव जी महाराज ने अक्षय वट के नीचे बैठकर लगभग 5000 साल पहले महाराज परीक्षित को श्रीमद् भागवत की कथा सुनाई थी। इन स्थलों से होकर इस मार्ग को हरिद्वार से जोड़ दिया जाए तो गंगा से जुड़े सभी स्थल आपस में मिल जाएंगे। गढ़मुक्तेश्वर, हस्तिनापुर, विदुरकुटी और शुक्रताल तो महाभारतकालीन स्थल हैं।
फरवरी 2021 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गंगा एक्सप्रेस-वे की लंबाई बढ़ाने की योजना बनाने के निर्देश दिए थे। गंगा एक्सप्रेस-वे को प्रयागराज से बढ़ाकर वाराणसी और मेरठ से बढ़ा कर हरिद्वार तक करने की तैयारी थी। इन स्थलों के जुड़ने से इस मार्ग की दूरी 150 किलोमीटर और बढ़ जाती। ये प्रस्ताव कहां चला गया पता नहीं। मौजूदा समय में गंगा एक्सप्रेस-वे मेरठ से प्रयागराज तक प्रस्तावित है। यदि ये एक्सप्रेस−वे वाराणसी से हरिद्वार तक बन जाए तो हरिद्वार कुंभ में आने वाले यात्रियों को बहुत सरल और सीधा मार्ग मिलेगा। लखनऊ और पूर्वांचल के श्रद्धालु सीधे हरिद्वार आ सकेंगे। इसके साथ ही श्रद्धालु गंगा किनारे के तीर्थ के एक साथ दर्शन कर सकेंगे। इससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
-अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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