Champions Trophy 2025 पर बीसीसीआई ने दिया अपडेट, कहा- भारतीय टीम के पाकिस्तान दौरे पर फैसला...
बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने सोमवार को कहा किराष्ट्रीय क्रिकेट टीम के अगले साल चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान के दौरे को लेकर अंतिम फैसला भारत सरकार को करना है। पाकिस्तान 19 फरवरी से नौ मार्च तक एकदिवसीय प्रारूप में खेले जाने वाले इस आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) टूर्नामेंट की मेजबानी करने वाला है।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने सोमवार को कहा किराष्ट्रीय क्रिकेट टीम के अगले साल चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान के दौरे को लेकर अंतिम फैसला भारत सरकार को करना है। पाकिस्तान 19 फरवरी से नौ मार्च तक एकदिवसीय प्रारूप में खेले जाने वाले इस आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) टूर्नामेंट की मेजबानी करने वाला है।
शुक्ला ने यहां बांग्लादेश के खिलाफ जारी दूसरे टेस्ट मैच के चौथे दिन के खेल के इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।हमारी नीति यह है कि अंतरराष्ट्रीय दौरों के लिए हम हमेशा सरकार की अनुमति लेते हैं। यह सरकार तय करती है कि हमारी टीम को किसी देश के दौर पर जाना चाहिए या नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इस मामले में भी सरकार जो भी फैसला करेगी हम उसका पालन करेंगे।’’ मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमलों के बाद से भारतीय टीम पाकिस्तान के खिलाफ को द्विपक्षीय श्रृंखला नहीं खेली है। दोनों टीमें का आमना सामना सिर्फ आईसीसी और एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के टूर्नामेंटों में होता है। पाकिस्तान की टीम ने पिछले साल आईसीसी वनडे विश्व कप के लिए सात साल के अंतराल के बाद भारत का दौरा किया था।
बीसीसीआई आईसीसी से टूर्नामेंट को पाकिस्तान से हटाकर श्रीलंका या दुबई में आयोजित करने का अनुरोध कर सकता है। एशिया कप के बीते सत्र का आयोजन ‘हाइब्रिड मॉडल’ के तहत हुआ था। जिसमें भारत को अपने सभी मैच श्रीलंका में खेले थे। इससे श्रीलंका ने टूर्नामेंटों के नौ मैचों की मेजबान की थी जबकि पाकिस्तान ने शेष चार मैचों की मेजबानी की।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) हालांकि चैम्पियंस ट्रॉफी को अपने देश से बाहर ले जाने के विचार के खिलाफ है। पाकिस्तान के हरफनमौला खिलाड़ी हसल अली ने भी हाल ही कहा था कि अगर भारतीय टीम पाकिस्तान की यात्रा नहीं करता है, तो टूर्नामेंट को उनके बिना ही आयोजित करना चाहिए। आईसीसी अपनी ओर साफ कर चुका है कि वह किसी सदस्य बोर्ड को सरकार की नीति के खिलाफ जाने के लिए मजबूर नहीं करेगा।
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