मुस्लिमों को लुभाने में अखिलेश और मायावती को पीछे छोड़ते जा रहे हैं योगी

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अजय कुमार । Jul 25 2019 12:19PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ''सबका साथ-सबका विकास के साथ सबका विश्वास'' जीतने की बात कही तो योगी जी भी इसी रास्ते पर चल पड़े। योगी जी ने मुसलमानों को लुभाने के लिए अखिलेश-मायावती सरकार तक को पीछे छोड़ दिया है।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार हर क्षेत्र में राज्य की पूर्ववती सरकारों से दो कदम आगे रहना चाहती है। इसीलिए योगी सरकार द्वारा कई ऐसे कदम उठाए गये हैं जिनको लेकर पहले की सरकारों में हिचकिचाहट नजर आती थी। बात मार्गदर्शन की कि जाए तो कई चीजों को लेकर योगी सरकार को केन्द्र की मोदी सरकार से यह समर्थन मिलता है। इसीलिए तो जब आम चुनाव में शानदार सफलता हासिल करने के बाद मोदी ने 'सबका साथ-सबका विकास के साथ सबका विश्वास' जीतने की बात कही तो योगी जी भी इसी रास्ते पर चल पड़े। योगी जी ने मुसलमानों को लुभाने के लिए अखिलेश-मायावती सरकार तक को पीछे छोड़ दिया है।

अपनी कट्टर हिन्दू वाली छवि के विपरीत मुसलमानों पर जिस तरह से योगी जी मेहरबान हैं, उससे विरोधी भी हैरान हैं। उनके हाथ से मुसलमानों को लेकर योगी को घेरने का ‘हथियार भी छिनता जा रहा है। एक तरफ मोदी तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में खड़े होकर उनका दिल जीतने में लगे हैं तो दूसरी तरफ योगी जी मुस्लिम युवाओं पर रहमत बरसा रहे हैं। इससे पहले योगी मुस्लिम लड़कियों की शादी के लिए धन का आवंटन करने के अलावा मदरसों का कायाकल्प करने और मौलाना आजाद उर्दू विश्वविद्यालय के लिए जमीन आवंटित करने को लेकर चर्चा बटोर चुके थे।

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इसीलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्र सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की बात को आगे बढ़ाते हुए अनुपूरक बजट में मुसलमानों पर खूब मेहरबानी की। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के मुस्लिम बहुल जिलों के लिए झोली खोलने में कोई कोताही नहीं बरती है। सरकार ने मुस्लिम बहुल इलाकों के विकास के लिए 217 करोड़ रुपये का इंतजाम किया है। ऐसा हाल के कई वर्षों में पहली बार हुआ है जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से यूपी को सबसे ज्यादा 1156 करोड़ रुपये मिले हैं। पूर्व की सरकारों में यह रकम महज 400 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष होती थी। यह रकम प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम के तहत दी गई है। इसमें प्रदेश के मुस्लिम बहुल 47 जिलों के 143 ब्लाकों, 15 जिला मुख्यालयों व 89 नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों में विकास कार्य किए जाएंगे। इसके तहत प्रदेश सरकार ने जहां मदरसों के शिक्षकों की पेंशन, उनके अंशदान पर ब्याज के लिए तो रकम दी ही है। इन जिलों में आईटीआई बनाने और वहां मुस्लिम युवाओं को कौशल मिशन के तहत प्रशिक्षित करने का भी इंतजाम किया है।

मुख्य रूप से मुरादाबाद, बरेली, सहारनपुर, मेरठ मंडल के सभी जिले, पूर्वी उत्तर प्रदेश में गाजीपुर, मऊ, जौनपुर, आजमगढ़, संतकबीरनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर और प्रतापगढ़ जिलों में मुस्लिमों के स्वास्थ्य की भी भाजपा सरकार ने चिंता की है। सरकार ने इन जिलों में साफ-सफाई के लिए सोकपिट निर्माण के साथ ही पेयजल की व्यवस्था के लिए कुल 115 करोड़ रुपये दिए हैं। अनुपूरक बजट में सहायता प्राप्त अरबी फारसी मदरसों के कर्मचारियों की नई पेंशन स्कीम के तहत 31 मार्च 2019 तक के लिए अंशदान के लिए एक करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इसी तरह अरबी फारसी मदरसों के नियोक्ता अंश जमा करने में देरी पर देय ब्याज के लिए भी 50 लाख रुपये दिए गए हैं। वहीं अभिदाता अंशदान में देरी पर भी ब्याज के लिए 50 लाख रुपये दिए हैं।

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प्रदेश के अल्पसंख्यक बहुल जिलों में मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए 20 करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया है। इससे किताबों के अलावा कंप्यूटर आदि की भी व्यवस्था की जाएगी। मुस्लिम बाहुल्य जिलों में आईटीआई के निर्माण के लिए 40 करोड़ रुपये दिए गए हैं। सरकार का मानना है कि इन आईटीआई में अल्पसंख्यक छात्रों को कौशल विकास के तहत प्रशिक्षित कर स्वरोजगार की व्यवस्था की जाएगी। अल्पसंख्यक बहुल जिलों में 'मल्टी सेक्टोरियल डेवलप्मेंट प्लान' अब प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम के तहत राजकीय इंटर कालेजों के भवन निर्माण के साथ ही अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण के लिए 40 करोड़ रुपये दिए गए हैं। यही नहीं सरकार ने इन जिलों में रिचार्ज यूनिट सहित सोकपिट निर्माण के लिए 65 करोड़ रुपये और पेयजल के लिए 50 करोड़ रुपए की अतिरिक्त व्यवस्था की है। गौरतलब है कि देश में यह योजना पहले मल्टी सेक्टोरियल प्लान के नाम से चल रही थी। अब इसे प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम कर दिया गया है। वर्ष 2018-19 के वित्तीय वर्ष से पहले केंद्र से महज 400 करोड़ का बजट मिल रहा था। 2018-19 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से केंद्र में इस योजना में 1156 करोड़ रुपए का बजट मिला है जो अब तक किसी भी वित्तीय वर्ष में सबसे ज्यादा रकम है।

-अजय कुमार

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