सबसे बड़ा सवाल- राजस्थान में इस बार के विधानसभा चुनाव में राज बदलेगा या रिवाज?

assembly elections in rajasthan
Prabhasakshi

भाजपा ने राजपूत समाज के सातवीं बार विधायक बने राजेंद्र राठौड़ को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया है। जबकि प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए डॉक्टर सतीश पूनियां को विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष बना कर जाट समाज को भी साधने का काम किया है।

राजस्थान विधानसभा के चुनाव होने में सिर्फ सात महीने का समय रह गया है। ऐसे में अब सभी राजनीतिक दल अपने संगठन को मजबूत बना कर चुनावी व्यूह रचना बनाने में लग गए हैं। जहां सत्तारुढ़ कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मानना है कि उनकी लोक हितकारी योजनाओं से इस बार के चुनाव में हर बार सत्ता बदलने का रिवाज बदल जाएगा। वहीं भाजपा सहित सभी विपक्षी दलों के नेताओं का मानना है कि प्रदेश की जनता गहलोत सरकार को हटाकर राज बदलने को तैयार बैठी है। वोट पड़ेंगे तब राज बदल जाएगा।

राजस्थान में सबसे पहले आम आदमी पार्टी ने कोटा के नवीन पालीवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर अपने संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम करना प्रारंभ कर दिया है। आप ने विधानसभा चुनाव का प्रभारी राज्यसभा सांसद व पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डॉ. संदीप पाठक को पहले ही नियुक्त कर रखा है। दिल्ली के द्वारका से विधायक विनय मिश्रा को राजस्थान का प्रभारी बनाया गया है। इसके साथ ही पार्टी ने दिल्ली, पंजाब और गुजरात के 7 विधायकों- अमनदीप सिंह गोल्डी, नरेश यादव, चेतर वसावा, नरेंद्र पाल सिंह सवाना, हेमंत खावा, शिवचरण गोयल और मुकेश अहलावत को सह प्रभारी लगाया है।

पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान जयपुर में रोड शो करके एक जनसभा को भी संबोधित कर चुके हैं। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत ही खराब रहा था। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे रामपाल जाट को 628 वोट ही मिल पाए थे। यही हाल अन्य प्रत्याशियों का रहा था। 2018 के चुनाव में आप को प्रदेश में 0.38 प्रतिशत वोट मिले थे। हालांकि अब पार्टी के नेता प्रदेश में अगली सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं।

राजस्थान में मुख्य विपक्षी दल भाजपा भी विधानसभा चुनाव की तैयारी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 1.22 प्रतिशत यानी एक लाख 77 हजार 699 वोट अधिक प्राप्त कर 79 सीट अधिक जीत ली थी। वहीं इतने वोटों के अंतर पर भाजपा की 90 सीटें कम हो गई थी। जिससे भाजपा सत्ता से बाहर हो गई थी। अपनी पिछले विधानसभा चुनावों की कमी को दूर करने के लिए भाजपा अभी से जुट गई है। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा प्रदेश की राजनीति में सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर काम कर रही है।

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पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर ब्राह्मण समाज के चंद्रप्रकाश जोशी (सीपी जोशी) को नियुक्त किया गया है। सीपी जोशी चित्तौड़गढ़ से दूसरी बार लोकसभा सदस्य हैं। जयपुर में कुछ दिनों पूर्व ही ब्राह्मण समाज ने लाखों लागों को एकत्रित कर एक विशाल सम्मेलन का आयोजन किया था। जिसमें ब्राह्मण समाज ने प्रदेश की सभी पार्टियों से उनके समाज को सत्ता में अधिक भागीदारी देने की मांग की थी। उस सम्मेलन के कुछ दिनों बाद ही भाजपा ने सीपी जोशी की प्रदेश अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी कर दी।

भाजपा ने राजपूत समाज के सातवीं बार विधायक बने राजेंद्र राठौड़ को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया है। जबकि प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए डॉक्टर सतीश पूनियां को विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष बना कर जाट समाज को भी साधने का काम किया है। सतीश पूनियां पहली बार आमेर से विधायक बने हैं। इसलिए उन्हें उपनेता का पद ही मिल पाया है। चर्चा है कि मीणा समाज के राज्यसभा सदस्य डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा को केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। राजपूत समाज के गजेंद्रसिंह शेखावत, यादव (अहीर) समाज के डॉक्टर भूपेंद्र यादव, ब्राह्मण समाज के अश्विनी वैष्णव केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।

जाट समाज के कैलाश चौधरी, अनुसूचित जाति के अर्जुन राम मेघवाल केंद्र सरकार में राज्य मंत्री हैं। बनिया समाज के ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष हैं। वही गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाया गया है। झुंझुनू से सांसद, केंद्र सरकार में उप मंत्री, अजमेर जिले के किशनगढ़ से विधायक व पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे जगदीप धनखड़ भी उपराष्ट्रपति पद पर हैं। गुर्जर समाज की अलका गुर्जर भाजपा की राष्ट्रीय सचिव हैं। ओमप्रकाश माथुर केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य हैं। अभी तक पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे या उनके किसी समर्थक को भाजपा चुनाव अभियान समिति का संयोजक बनाने की चर्चा चल रही थी। मगर कांग्रेस नेता सचिन पायलट द्वारा उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के बाद पार्टी में उनकी भूमिका कम हो सकती है।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असद्दुदीन ओवैसी भी प्रदेश में अपनी पार्टी संगठन को मजबूत करने में लगे हुये हैं। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का पूरा संगठन पार्टी अध्यक्ष व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के इर्द गिर्द ही घूमता रहता है। बेनीवाल ने हाल ही में दिल्ली में अपनी पुत्री का जन्मदिन मनाया था। जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल व पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान शामिल हुये थे। कार्यक्रम में सभी दलों के बड़े नेता आये थे।

कांग्रेस की चुनावी कमान पूरी तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संभाल रखी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी संगठन के काम में लगे हैं। उन्हें अध्यक्ष बने तीन साल होने वाले हैं। ऐसे में चर्चा चल रही है कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर किसी अन्य नेता को नियुक्त किया जा सकता है। यदि प्रदेश अध्यक्ष बदला जाता है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पूरा प्रयास रहेगा कि उनके समर्थक महेश जोशी, महेंद्र चौधरी, नरेंद्र बुडानिया, लालचंद कटारिया, रघु शर्मा में से किसी को अध्यक्ष बनाया जाए ताकि चुनाव में उनके मन मुताबिक टिकटों का वितरण हो सके।

कांग्रेस के 400 में से 367 ब्लॉक अध्यक्षों की तो नियुक्तियां हो चुकी हैं। मगर अधिकांश जिला अध्यक्षों के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। इस कारण नीचे के स्तर पर संगठन पूरी तरह सक्रिय नहीं हो पा रहा है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने हाल ही में 3 विधायकों- अमित चाचान, इंद्राज सिंह गुर्जर, प्रशांत बैरवा सहित कुल 8 लोगों को पार्टी का प्रवक्ता नियुक्त किया है। वहीं सात लोगों को मीडिया पैनलिस्ट और तीन लोगों को मीडिया कोऑर्डिनेटर बनाया गया है।

कांग्रेस में 25 सितंबर 2022 की घटना में दोषी नेताओं पर अभी तक कार्यवाही नहीं होने से भी सचिन पायलट खासे नाराज बताये जा रहे हैं। सचिन पायलट ने जयपुर में एक दिन का उपवास रखकर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर मिलीभगत का खेल खेलने का आरोप लगाया है। पायलट के अनशन को रोकने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने बहुत दबाव बनाया था मगर पायलट अनशन करके ही माने। हालांकि कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पायलट के अनशन को पार्टी विरोधी गतिविधि घोषित कर दिया था। मगर पायलट के खिलाफ अभी तक अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की किसी ने हिम्मत नहीं दिखाई है। अंदरखाने पायलट को हनुमान बेनीवाल सहित आम आदमी पार्टी का भी समर्थन मिल रहा है। कांग्रेस आलाकमान को पता है कि यदि पायलट के खिलाफ किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्यवाही करेंगे तो राजस्थान की स्थिति भी पंजाब की तरह हो सकती है। कुल मिलाकर चुनावी दौर में कांग्रेस पार्टी आपसी गुटबाजी की शिकार हो गई है जिसका खामियाजा उन्हें अगले विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा।

-रमेश सर्राफ धमोरा

(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं। इनके लेख देश के कई समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं।)

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