नेताओं की शह पाकर UP में जम गये हैं बांग्लादेशी, इसलिए NRC है जरूरी
इन घुसपैठियों को अक्सर आतंकवादी गतिविधियों सहित चोरी−लूटपाट जैसी घटनाओं में शामिल होने के कारण जेल तक जाना पड़ता है। विपक्ष में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी लम्बे समय से बांग्लादेशी घुसपैठ को मुद्दा बनाती रही थी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिना वजह नहीं कहा है कि असम की तरह ही यूपी में भी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) तैयार किया जाना चाहिएं। दरअसल, वोट बैंक की सियासत के चलते बांग्लादेशियों के लिए यूपी हमेशा सुरक्षित ठिकाना रहा। यह बांग्लादेशी अपने को असमिया बताकर अपनी नागरिकता छिपाते रहे तो वोट के सौदागरों ने इन्हें न केवल पाला−पोसा बल्कि इनको यहां की नागरिकता दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। समाजवादी सरकार के समय बड़ी संख्या में बांग्लादेशियों ने यहां घुसपैठ की तो कुछ नेताओं/पार्षदों ने अपने पैड पर लिखकर देना शुरू दिया कि वह इन्हें (बांग्लादेशियों को) लम्बे समय से पहचानते हैं। इसी बुनियाद पर इनका आधार कार्ड/राशन कार्ड बना दिया जाए। नेताओं/पार्षदों के सामने सरकारी कर्मचारियों की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह उनको गलत साबित कर सकें। कई मुस्लिम नेताओं ने तो बांग्लादेशियों को रहने के लिए जमीन तक उपलब्ध करा दी। यहां तक कि धार्मिक स्थलों और परिसरों तक में इनके रूकने की व्यवस्था की गई। बदले में इन घुसपैठियों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया गया। यह सिलसिला लम्बे समय से आज तक चल रहा है। इन घुसपैठियों को अक्सर आतंकवादी गतिविधियों सहित चोरी−लूटपाट जैसी घटनाओं में शामिल होने के कारण जेल तक जाना पड़ता है। विपक्ष में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी लम्बे समय से बांग्लादेशी घुसपैठ को मुद्दा बनाती रही थी। इसलिए योगी आदित्यनाथ की बात को गंभीरता से लेना चाहिए।
योगी ने दो टूक कहा कि एनआरसी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। इससे गरीबों के अधिकार छीन रहे घुसपैठियों को रोकने में मदद मिलेगी। सीएम पिछले साल मेरठ में हुई बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी जरूरत पड़ने पर राज्य में एनआरसी लागू करने की मंशा व्यक्त कर चुके थे।
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उत्तर प्रदेश सरकार वर्षों पुरानी अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की समस्या को जड़ से निपटाने में तत्परता दिखा रही है तो इसे गलत नहीं कहा जा सकता है। दरअसल, उत्तर प्रदेश की पुलिस और खुफिया एजेंसियों के पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि लाखों अवैध बांग्लादेशी नाम बदल कर प्रदेश के तमाम जिलों मे रह रहे हैं। कई मामलों में यह बांग्लादेशी आतंकी गतिविधियों में भी लिप्त पाए गए हैं। उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी ही रही है। प्रदेश में तकरीबन दस लाख बांग्लादेशी अवैध तरीके से रह रहे हैं, जिन्हें पहले ही योगी सरकार प्रदेश से बाहर किए जाने का आदेश जारी कर चुकी है, लेकिन मामला इससे आगे नहीं बढ़ पाया। सरकार के इस आदेश को जारी करने के बाद उक्त आंकड़ा सामने आया था, जोकि काफी चौंकाने वाला है। योगी सरकार साफ कह रही है कि प्रदेश में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों को बाहर करने के लिए शासन स्तर से रणनीति तैयार की जा रही है, जिसमें केंद्र सरकार की भी मदद ली जाएगी।
प्रदेश के एक बड़े पुलिस अधिकारी का कहना है कि अवैध रूप से उत्तर प्रदेश में रह रहे बांग्लादेशियों को भेजने में हमें काफी कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन हम इस मुश्किलों से पार पाने के लिए योजना बना रहे हैं, जिससे कि जल्द से जल्द इन अवैध बांग्लादेशियों को प्रदेश से बाहर किया जा सके। इसके लिए हमे मजबूत लाइन ऑफ एक्शन की जरूरत है। वहीं इस प्रकरण को लेकर गृह विभाग के साथ तमाम अन्य विभाग जोकि इस मुद्दे से जुड़े हैं, के अधिकारियों के साथ बैठक करके इस समस्या के समाधान का रास्ता तलाशा जाएगा।
उधर, योगी सरकार द्वारा प्रदेश के तमाम जिलों के एसएसपी को जारी निर्देश में कहा गया है कि वह अपने स्तर पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें और अवैध तरीके से जिलों में रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान करके उन्हें चिन्हित करें, इसके लिए बकायदा एक सर्वे कराने को भी कहा गया है। इसके अलावा अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों के आस−पास के लोगों के भी दस्तावेजों की जांच करने को कहा गया है और जिन भी लोगों के दस्तावेज फर्जी पाए जाएं उनके खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही उन नेताओं और सरकारी कर्मचारियों पर भी शिकंजा कसेगा, जिन्होंने फर्जी दस्तावेज बनवाने में घुसपैठियों की मदद की थी। योगी सरकार इस बाबत कानूनी सलाह भी ले रही है कि कैसे अवैध रूप से प्रदेश में रह रहे बांग्लादेशियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए।
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वैसे, योगी सरकार सत्ता में आते ही बांग्लादेशियों के प्रति सख्त हो गई थी। 12 अक्टूबर 2017 को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने अवैध रूप से राज्य में रह रहे बांग्लादेशियों को बाहर निकालने का अभियान शुरू कर दिया था। विदेशी नागरिकों को प्रदेश से बाहर निकालने के लिए एडीजी कानून एवं व्यवस्था ने पूरा रोडमैप तैयार कर अभियान की शुरुआत की थी। घुसपैठियों को बाहर निकालने की कोशिशों के बीच मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में भी विशेष निगरानी के आदेश दिए थे। उन्होंने आदेश दे रखा है कि अवैध घुसपैठ रोकने के लिए समय−समय पर सघन जांच अभियान चलाया जाए। बता दें कि प्रदेश एटीएस ने पिछले दिनों देवबंद व कई जगहों से अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया था। इनकी संलिप्तता बांग्लादेश के आतंकी संगठन से पता चली थी। योगी सरकार की सख्ती के कारण कई शहरों में बांग्लादेशियों पर शिकंजा कसा जा रहा है।
शायद बांग्लादेशी घुसपैठिये भी इस बात को जानते हैं कि भारत में उनके काफी रहनुमा, काफी हमदर्द बैठे हैं जो उनके लिए अपने ही देश की सरकार के खिलाफ तन कर खड़े हो जाते हैं। इन्हीं कथित हमदर्दों से मिले संबल का ही नतीजा था कि बांग्लादेशी घुसपैठियों ने श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा को भी नहीं छोड़ा, यह लोग मथुरा पुलिस की पैनी नजरों से ज्यादा दिनों तक बच नहीं सके। जून 2019 में उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेश के नागरिकों को यहां की एक अदालत ने ढाई साल कैद की सजा सुनाई थी। सजा पाने वालों में पांच पुरुष तथा बारह महिलाएं शामिल थीं। इन सभी को गत वर्ष 12 अप्रैल को पकड़ा गया था। हाईवे थाना पुलिस ने सराय आजमाबाद के निकट झोपड़ियां बना कर रह रहे इन 17 बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में अवैध रूप से रहने के आरोप में पकड़ा था। सजा पाने वाले बांग्लादेशियों में बिलाल हुसैन, शमीम, शरीफ, आफताब, आरिफ, शरीफा, बुलबुली, पारू मुक्ता, तसलीम, रेनू, मीराना, रूपाली, रेशमा, नजमा, जमीना और शाहेनूर शामिल था।
मई 2019 में उत्तर प्रदेश एटीएस ने आगरा से छह बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। ये अन्य अवैध प्रवासियों को भी बांग्लादेश से बुलाते थे और भारत में उनके फर्जी दस्तावेज आधार कार्ड और राशन कार्ड बनवाकर उनका फर्जी पासपोर्ट बनवा लेते थे। इनके मोबाइल के डाटा विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि इनकी राजस्थान और पंजाब से लगती पाकिस्तान सीमा तक गतिविधि थी। गिरफ्तार अभियुक्तों में बांग्लादेश का हबीबुर रहमान, जाकिर हुसैन, मो. काबिल, कमालुददीन, ताइजुल इस्लाम और लिटोन विश्वास शामिल था।
देवबंद तो बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण खूब सुर्खियां बटोरता रहा है। फरवरी 2019 में देवबंद में अवैध रूप से रह रहे पांच बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था। सभी देवबंद में अलग−अलग क्षेत्रों में रह रहे थे। सभी देबवंद में छह साल से रह कर अलग−अलग काम कर रहे थे। अक्टूबर 2018 में कोसीकलां (मथुरा) में खुफिया विभाग की रिपोर्ट के बाद पुलिस ने बड़ी छापामार कार्रवाई कर 40 से ज्यादा अवैध बांग्लादेशियों को पकड़ा था। इनमें महिला, पुरुष और बच्चे शामिल थे। पकड़े गए लोगों में भिक्षुक, कबाड़ बीनने वाले और इधर−उधर झुग्गी डाल कर रहने वाले शामिल थे।
-अजय कुमार
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