रामलीला मैदान वाला अरविंद केजरीवाल कहां गुम हो गया?
अपने साथ हुई मारपीट की घटना के बाद डरे-सहमे मुख्य सचिव ने जब अपनी आपबीती सुनाई तो हर कोई दंग रह गया...लेकिन आम आदमी पार्टी ने अपने विधायकों पर कार्रवाई करने की बजाए...पूरी घटना को बीजेपी की साजिश करार दे दिया।
दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में हुए हमले ने सभी को सकते में डाल दिया। आजादी के बाद देश के इतिहास में इस तरह की यह पहली घटना है। आधी रात को मुख्य सचिव को बैठक के लिए मुख्यमंत्री के घर बुलाया जाए और अपनी बात मनवाने के लिए दो विधायक उन पर हमला कर दें ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। केजरीवाल के आवास पर बुलाई गई बैठक में दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ जो हुआ उसकी जितनी निंदा की जाए कम है।
अपने साथ हुई मारपीट की घटना के बाद डरे-सहमे मुख्य सचिव ने जब अपनी आपबीती सुनाई तो हर कोई दंग रह गया...लेकिन आम आदमी पार्टी ने अपने विधायकों पर कार्रवाई करने की बजाए...पूरी घटना को बीजेपी की साजिश करार दे दिया। याद कीजिए जब केजरीवाल को दिल्ली में प्रचार के दौरान एक ऑटो चालक ने थप्पड़ जड़ा था तो वो सीधे राजघाट पर जाकर धरने पर बैठ गए थे ...लेकिन जब उनकी मौजूदगी में मुख्य सचिव पर हमला हुआ तो उन्होंने मौन धारण कर लिया। वैसे मुख्य सचिव पर हमला करने वाले आम आदमी पार्टी के दो विधायकों की गिरफ्तारी तो हो गई लेकिन सवाल उठता है कि आखिर आम आदमी पार्टी को हो क्या गया है?
मेडिकल रिपोर्ट में चोट की पुष्टि होने के बाद ये साफ हो गया कि मुख्य सचिव के साथ मारपीट की गई...लेकिन फिर भी आम आदमी पार्टी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं। केंद्र सरकार और उसके अफसरों से आम आदमी पार्टी की टकराव की खबरें तो हमेशा आती रहती हैं...लेकिन नौबत हाथापाई तक पहुंच जाएगी ये किसी ने नहीं सोचा था।
किसी इंसान को पढ़ना कितना मुश्किल होता है इसका सबसे बड़ा उदाहरण दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं। याद कीजिए... दिल्ली का रामलीला मैदान, अन्ना का अनशन और मंच पर केजरीवाल का भाषण...केजरीवाल ने लोगों को क्या-क्या सपने नहीं दिखाए...भ्रष्टाचार मिटाने की बात कही, पारदर्शिता की बात कही, सिस्टम बदल देने की बात कही...लेकिन राजनीति में कदम रखते ही वो अपने सारे आदर्श भूल गए। अब तो अन्ना हजारे भी मानते हैं कि केजरीवाल को पहचानने में उनसे भूल हो गई। अन्ना ने कहा कि अगर आंदोलन के दौरान उन्होंने केजरीवाल से हलफनामा ले लिया होता तो वो मुख्यमंत्री नहीं बन पाते। अन्ना को तो अपनी गलती का अहसास हो गया लेकिन क्या केजरीवाल पर इसका कोई असर होगा?
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते वक्त केजरीवाल का कहा एक-एक शब्द दिल्ली की जनता को आज भी याद है... लेकिन अफसोस केजरीवाल सब कुछ भूल गए। ये जानते हुए भी कि दिल्ली में सरकार चलाने के लिए उन्हें हर कदम पर केंद्र से तालमेल बिठाकर चलना होगा...वो हमेशा टकराव का रास्ता चुनते रहे। जब-जब आम आदमी पार्टी के विधायक और नेताओं पर संगीन आरोप लगे केजरीवाल चुप रहे, आंदोलन के दौरान बीजेपी और कांग्रेस नेताओं को भ्रष्ट बताने वाले केजरीवाल को कभी अपने नेताओं में खोट नजर नहीं आई। खिड़की एक्सटेंशन में सोमनाथ भारती कांड को लेकर इतना बवाल हुआ लेकिन केजरीवाल अपने मंत्री का बचाव करते दिखे। केजरीवाल के मंत्री जितेंद्र तोमर और दूसरे विधायक फर्जी डिग्री मामले में फंसे, गिरफ्तारी हुई लेकिन केजरीवाल चुप रहे। जब विवाद बढ़ा तो उनके सिपाहियों ने कभी एलजी पर दोष मढ़ा, तो कभी केंद्र की मोदी सरकार पर।
जब पार्टी के अंदर प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव जैसे नेताओं ने केजरीवाल को तानाशाह करार दिया तो उन्हें एक झटके में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। पार्टी में केजरीवाल के खिलाफ बोलने की सजा हर नेता को मिली...यहां तक कि उन्होंने अपने मंत्री कपिल मिश्रा को भी नहीं बख्शा। दिल्ली की जनता आम आदमी पार्टी के अंदर रोज-रोज का झगड़ा चुपचाप देखती रही। आम आदमी पार्टी के नेता हर दूसरे दिन विवादों में फंसते रहे लेकिन केजरीवाल पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा। जब लाभ का पद मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को एक झटके में अयोग्य करार दे दिया गया तो केजरीवाल और उनके सिपाहियों ने चुनाव आयोग को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।
बात-बात पर बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ आरोपों का चिट्ठा लेकर बैठने वाले केजरीवाल को अपने विधायकों में कभी कोई दोष नजर नहीं आया। केजरीवाल जी दिल्ली की जनता ने आपको बड़ी उम्मीदों से सत्ता सौंपी थी। आप दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं...दिल्ली के लोगों का भला तभी होगा जब आप केंद्र के साथ बेहतर रिश्ते रखेंगे?
मनोज झा
(लेखक एक टीवी चैनल में वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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