सुनहरे कल को निगल गई भ्रष्ट व्यवस्था
हादसे के बाद छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा है। छात्र सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। छात्र व्यवस्थागत खामियों को गिना रहे हैं। छात्र नारेबाजी कर रहे हैं 'छात्रों की हत्या बंद करो'... इस मामले में दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।
दिल्ली की प्रतिष्ठित राव कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सेवा की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की दर्दनाक मौत हो गई। ओल्ड राजेंद्र नगर की इस दर्दनाक हादसे ने देशवासियों को झकझोर दिया। जो युवा आंखों में सुनहरे भविष्य के सपने संजोकर अपना घर बाहर, सुख सुविधा छोड़कर दिल्ली परीक्षा की तैयारी के लिए गये थे, वो मुनाफाखोर कोचिंग संचालक की धूर्तता, सरकारी अमले की अकर्मण्यता और लापरवाही के चलते अपनी अमूल्य जिंदगी गंवा बैठे।
सोचिये उनके परिवारों पर क्या बीत रही होगी। इस व्यवस्था के व्यवस्थापक इतने गैर जिम्मेदार और लज्जाहीन हैं कि उनकी नजर में किसी की जान की कोई कीमत ही नहीं है। ये हालात राष्ट्रीय राजधानी के पॉश इलाकों में संचालित कोचिंग सेंटर के हैं, दूसरे शहरों और कस्बों की बात ही क्या की जाए।
इस साल जलभराव की वजह से दिल्ली की ये पहली घटना नहीं है। इससे पहले 22 जुलाई को यूपीएससी की तैयारी करने वाले एक छात्र की मौत करंट लगने से हो गई। असल में दो चार दिन के शोर गुल और कार्रवाई की नौटंकी के बाद व्यवस्था फिर से पुरानी पटरी पर दौड़ने लगती है। सौ प्रतिशत दावे के साथ कहा जा सकता है कि, राव कोचिंग सेंटर मामले में भी कार्रवाई और सख्ती की पुरानी स्क्रिप्ट दोहराई जाएगी।
इसे भी पढ़ें: IAS Coaching Centre Flooding: कौन-कौन से कोचिंग सेंटर हुए सील? दिल्ली के बाद MP सरकार का भी बड़ा एक्शन
हादसे के बाद छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा है। छात्र सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। छात्र व्यवस्थागत खामियों को गिना रहे हैं। छात्र नारेबाजी कर रहे हैं 'छात्रों की हत्या बंद करो'... इस मामले में दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। ये हादसा सरकार और कोचिंग संचालकों पर गंभीर सवालों के कटघरे में खड़े करता है।
ये कोई पहला ऐसा हादसा नहीं है जब दिल्ली के कोचिंग सेंटरों में छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ हुआ है। 15 जून 2023 को दिल्ली में कोचिंग सेंटरों के हब मुखर्जी नगर में एक कोचिंग सेंटर में आग लगने से 61 लोग घायल हो गए। जांच में पता चला कि आग बिजली के मीटर में लगी थी, जो देखते-देखते पूरी बिल्डिंग में फैल गई। हादसे के वक्त कोचिंग सेंटरों में करीब 200-250 छात्र मौजूद थे। छात्रों ने आग से बचने के लिए खिड़कियां तोड़ीं, रस्सियों के सहारे नीचे उतरे और सीढ़ियों का सहारा लिया। कुछ छात्रों ने बचने के लिए तीसरी मंजिल से छलांग तक लगा दी। इसके अलावा 25 जनवरी 2020 को दिल्ली के भजनपुरा इलाके में कोचिंग सेंटर की दो छतें गिर गईं। इस हादसे में चार छात्रों समेत 5 लोगों की मौत हो गई वहीं 13 लोग घायल हो गए।
दिल्ली हो या फिर कोई दूसरा शहर कमोबेश सरकारी अमले की कार्यप्रणाली एक समान ही होती है। हादसे के बाद प्रशासनिक अमला गहरी नींद से ऐसे जागता है मानो उन्हें इस बात का इल्म ही न हो कि उनके क्षेत्र या शहर में क्या अनियमितता हो रही हैं। जब कोई दुर्घटना घटती तब पता चलता है कि व्यवस्था में कितनी खामियां और छेद हैं। और इन खामियों और छेदों से छनकर आने वाला लाभ नीचे से ऊपर तक बंटता है। पूर्व की घटनाओं पर गौर किया जाए तो अधिकतर मामलों में दोषी साफ तौर पर बच जाते हैं, या मामूली सजा पाते हैं। हादसा की जिम्मेदारी तो संबंधित विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की भी होती है, लेकिन ऐसे मामलों में वो अपना पल्ला झाड़कर किनारे खड़े हो जाते हैं।
बीती 14 अप्रैल 2024 को राजस्थान की कोचिंग नगरी कोटा के एक हॉस्टल में आग लगने से 8 स्टूडेंट्स झुलस गए। घटना के वक्त हॉस्टल में 60 से ज्यादा छात्र मौजूद थें आग लगने के बाद हॉस्टल में भगदड़ मच गई इस बीच एक छात्र ने अपनी जान बचाने के लिए चौथी मंजिल से छलांग लगा दी।जांच में हॉस्टल मालिक की बड़ी लापरवाही सामने आई। हॉस्टल मालिक ने अंदर ही बिजली का एक बड़ा ट्रांसफार्मर लगवाया हुआ था जिसमें शॉर्ट सर्किट होने से यह हादसा हुआ।
लखनऊ के पॉश इलाके हजरतगंज में नवल किशोर रोड पर तीन मंजिला स्कॉलर्स फोरम टॉवर है। इसके पहले तल पर स्कॉलर्स फोरम कोचिंग चलता है। यहां छात्र-छात्राएं आईआईटी और नीट की तैयारी के लिए पढ़ाई करते हैं. दूसरी और तीसरी मंजिल पर हॉस्टल हैं। दूसरी मंजिल के हॉस्टल में 14 कमरों में कुल 28 छात्राएं रह रहीं हैं। 2 जून 2024 की शाम को छात्राएं अपने कमरे में थी। शाम करीब छह बजे तीसरी मंजिल के कमरा नंबर दो की एसी में शॉर्ट सर्किट से धमाका हो गया। इसके बाद तीन मंजिला हॉस्टल में आग लग गई। सभी कमरों में धुआं फैल गया। करीब 28 छात्राओं में चीख-पुकार मच गई। एक कमरे का शीशा तोड़कर हॉस्टल कर्मियों ने छात्राओं को बाहर निकाला. जानकारी मिलने पर दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया।
24 मई 2024 को गुजरात के सूरत के तक्षशिला कॉम्प्लेक्स में चल रही एक कोचिंग में भीषण आग लगने से 23 छात्रों की मौत हो गई। आग बिल्डिंग में आने जाने के लिए बनाई गई सीढ़ियों के पास रखे ट्रांसफॉर्मर में लगी थी। जैसे ही आग लगी अंदर मौजूद छात्र उतरने के लिये नीचे पहुंचे। लेकिन आग की वजह से वह लौटकर चौथी मंजिल पर चले गए, जहां एक फाइबर का शेड था और अंदर जिम के लिए रखी गई रबर की चटाई और टायर के कारण आग ज्यादा फैली, जिससे बच्चे आग की चपेट में आ गई। घटना से हिली सरकार ने पूरे राज्य में वाणिज्यिक भवनों में चलने वाले कोचिंग सेंटरों को बंद करने का आदेश दिया।
31 मई 2024 हरियाणा के पंचकूला के सेक्टर 16 के एससीओ नंबर 195 की प्रथम मंजिल पर बिजली के मीटर बोर्ड में दोपहर लगभग 12 बजे अचानक आग लग गई। आग के कारण काफी धुंआ हो गया और इससे दूसरी मंजिल पर बने हारट्रोन इंस्टीट्यूट में धुआं फैल गया। जिस समय हादसा हुआ, तो हारट्रोन इंस्टीट्यूट में लगभग 25 से 30 विद्यार्थी कंप्यूटर की ट्रेनिंग करने के लिए आए थे। धुंआ फैलने के कारण विद्यार्थियों को सांस लेने में भी समस्या होने लगी। इसके बाद स्थानीय दुकानदार ने दमकल विभाग को सूचित किया, जिसके बाद दमकल विभाग की गाड़ियां मौके पर पहुंची। दमकल कर्मियों ने लोगों की मदद से दूसरी मंजिल पर पहुंचने के लिए लकड़ी की सीढ़ी लगाई और ऊपर जाकर फंसे हुए विद्यार्थियों को बाहर निकालने के लिए प्रयास शुरू किए।
ये घटनाएं उन सरकारी दावों-वादों की पोल खोलती हैं जिनमें ये कहा जाता है कि प्रशासन व्यवसाियक और अन्य गतिविधियों का संचालन नियम कानून के दायरे में करवा रहा है। यह भी अफसोस की बात है कि ऐसे हादसों की जांच तो होती है, लेकिन उनके आधार पर क्या कार्रवाई हुई, यह मुश्किल से ही पता चलता है। लगता है कि हादसों की तरह उनसे संबंधित जांच रपटों को भी भुला दिया जाता है।
सरकार को कोचिंग संचालन के सख्त नियम बनाने चाहिएं। वहीं स्थानीय प्रशासन, नगर निगम, पुलिस, फायर विभाग और अन्य संबंधित विभागों को व्यावसायिक भवनों के निर्माण और संचालन में कागजी कार्रवाई और फाइलों का पेट भरने की बजाय ईमानदारी और पारदर्शिता से नियम कानून का पालन करवाना चाहिए। यहां सवाल देश के युवाओं और छात्रों का है। यहां सवाल देश के भविष्य का है। यहां सवाल छात्रों के अभिभावकों का है। दिल्ली देश की राजधानी है। यहां देशभर से लाखों छात्र भविष्य बेहतर करने का सपना लेकर तैयारी करने आते हैं। दिल्ली में इस तरह के हादसे होना बेहद चिंता की बात है। इस घटना पर एनडीआरएफ और सरकार अपना काम कर रहे हैं लेकिन वो 3 जिंदगियां तो वापस आने से रहीं।
- डॉ. आशीष वशिष्ठ
स्वतंत्र पत्रकार
अन्य न्यूज़